टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 86 साल के थे। दो दिन पहले मीडिया में उनके बीमार होने की खबर आई थी, हालांकि उन्होंने एक पोस्ट में कहा था कि वे ठीक हैं और चिंता की कोई बात नहीं। माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे, दादी ने परवरिश की 21 साल चेयरमैन रहे, टाटा ग्रुप का मुनाफा 50 गुना बढ़ा COVID-19 महामारी के समय 500 करोड़ रुपए दान दिए रतन टाटा, ग्रुप की परोपकारी शाखा, टाटा ट्रस्ट में गहराई से शामिल थे। टाटा ग्रुप की यह आर्म शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास जैसे सेक्टर्स में काम करती है। अपने पूरे करियर के दौरान, रतन टाटा ने यह तय किया कि टाटा संस के डिविडेंड का 60-65% चैरिटेबल कॉज के लिए इस्तेमाल हो। रतन टाटा ने COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए 500 करोड़ रुपए का दान दिया था। रतन टाटा ने एक एग्जीक्यूटिव सेंटर की स्थापना के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था। वे यहीं से पढ़े थे। उनके योगदान ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया, एक परोपकारी और दूरदर्शी के रूप में उनकी विरासत को और बढ़ाया है। रतन की जिंदगी के 3 किस्से रतन टाटा की 7 तस्वीरें कुछ बातें टाटा कंपनी की 156 साल पहले टाटा ग्रुप की स्थापना: इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी का हिस्सा टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, इसकी 30 कंपनियां दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में 10 अलग-अलग बिजनेस में कारोबार करती हैं। अभी एन चंद्रशेखरन इसके चेयरमैन हैं। टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल उसके चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है। 2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल हैं। सुबह उठकर टाटा चाय पीने से लेकर टेलीविजन पर टाटा बिंज सर्विस का इस्तेमाल, और टाटा स्टील से बने अनगिनत उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।
रतन टाटा कहते थे…’सबसे बड़ा जोखिम, जोखिम नहीं उठाना है’ रतन टाटा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… रतन टाटा के जाने के बाद अब कौन संभालेगा विरासत, अभी ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन के पास टाटा ग्रुप में अब तक सबसे ऊंचा पद टाटा परिवार के ही किसी सदस्य को मिलता रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रतन टाटा के जाने के बाद अब उनकी विरासत को कौन संभालेगा। फिलहाल ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन के पास है। वे टाटा परिवार से नहीं हैं। पूरी खबर पढ़ें… टाटा के निधन पर रिएक्शन: अडाणी बोले- महापुरुष कभी ओझल नहीं होते, PM ने कहा- दूरदर्शी और दयावान थे रतन टाटा के निधन पर बिजनेस, पॉलिटिक्स से लेकर हर क्षेत्र के दिग्गजों ने शोक जताया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा के साथ अपने संबंधों और मेल-मिलाप पर विस्तार से बात रखी। पूरी खबर पढ़ें…
रतन टाटा कहते थे…’सबसे बड़ा जोखिम, जोखिम नहीं उठाना है’ रतन टाटा से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… रतन टाटा के जाने के बाद अब कौन संभालेगा विरासत, अभी ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन के पास टाटा ग्रुप में अब तक सबसे ऊंचा पद टाटा परिवार के ही किसी सदस्य को मिलता रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रतन टाटा के जाने के बाद अब उनकी विरासत को कौन संभालेगा। फिलहाल ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन के पास है। वे टाटा परिवार से नहीं हैं। पूरी खबर पढ़ें… टाटा के निधन पर रिएक्शन: अडाणी बोले- महापुरुष कभी ओझल नहीं होते, PM ने कहा- दूरदर्शी और दयावान थे रतन टाटा के निधन पर बिजनेस, पॉलिटिक्स से लेकर हर क्षेत्र के दिग्गजों ने शोक जताया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा के साथ अपने संबंधों और मेल-मिलाप पर विस्तार से बात रखी। पूरी खबर पढ़ें…