हाल ही में ऑस्ट्रेलिया बेस्ड घोस्ट राइटिंग एजेंसी के फाउंडर तस्लीम अहमद फतेह ने बताया कि उन्होंने अपनी कंपनी के लिए अब तक की बेस्ट हायरिंग कैसे की। उन्होंने 800 एप्लिकेशन में से बिना एक्सपीरियंस वाली एक कैंडिडेट को सिलेक्ट किया। 6 महीने बाद अब वो कैंडिडेट उनके साथ कंपनी में इक्विटी पार्टनर बन चुकी हैं। उन्होंने अपना हायरिंग एक्सपीरियंस LinkedIn पर शेयर भी किया है। रिज्यूमे नहीं सब्मिट किया, फिर भी चुना गया
कंपनी के फाउंडर ने कहा कि इस GenZ कैंडिडेट ने एप्लिकेशन के साथ कोई रिज्यूमे सब्मिट नहीं किया था। इसकी जगह उसने एक वीडियो एप्लिकेशन बनाया और उसके साथ लैंडिंग पेज की एक डिटेल ऐड की। इस पेज में उसने ये बताया था कि उसे क्यों हायर किया जाना चाहिए और इसे LinkedIn पर भी पोस्ट किया। इस वजह से 800 कैंडिडेट्स में से उसे सिलेक्ट किया गया। 6 महीने में फ्रेशर से बनी कंपनी की इक्विटी पार्टनर
फाउंडर ने बताया कि 6 महीने में ही उसने एजेंसी के लगभग सारे काम संभाल लिए हैं और वो उनकी कंपनी में इक्विटी पार्टनर भी है। उसकी मदद से पिछले महीने ही कंपनी के क्लाइंट्स ने हर महीने 30 मिलियन व्यूज हासिल किए हैं यानी हर दिन 1 मिलियन व्यूज। ‘99% काम सिखाए जा सकते हैं, सीखने की इच्छा को प्रायोरिटी दें’
कंपनी के फाउंडर ने ये भी कहा कि मैंने हमेशा हायरिंग मैनेजर्स को ये कहा है कि जरूरी नहीं की सबसे ज्यादा चमकने वाला रिज्यूमे आपके लिए बेस्ट कैंडिडेट हो। 99% काम सिखाए जा सकते हैं। लाएबा इस बात की जीती जागती सबूत है। ऐसे में हमें हमेशा ऐसे कैंडिडेट्स को वरीयता देनी चाहिए जो सीखने की इच्छा रखते हैं।
कंपनी के फाउंडर ने कहा कि इस GenZ कैंडिडेट ने एप्लिकेशन के साथ कोई रिज्यूमे सब्मिट नहीं किया था। इसकी जगह उसने एक वीडियो एप्लिकेशन बनाया और उसके साथ लैंडिंग पेज की एक डिटेल ऐड की। इस पेज में उसने ये बताया था कि उसे क्यों हायर किया जाना चाहिए और इसे LinkedIn पर भी पोस्ट किया। इस वजह से 800 कैंडिडेट्स में से उसे सिलेक्ट किया गया। 6 महीने में फ्रेशर से बनी कंपनी की इक्विटी पार्टनर
फाउंडर ने बताया कि 6 महीने में ही उसने एजेंसी के लगभग सारे काम संभाल लिए हैं और वो उनकी कंपनी में इक्विटी पार्टनर भी है। उसकी मदद से पिछले महीने ही कंपनी के क्लाइंट्स ने हर महीने 30 मिलियन व्यूज हासिल किए हैं यानी हर दिन 1 मिलियन व्यूज। ‘99% काम सिखाए जा सकते हैं, सीखने की इच्छा को प्रायोरिटी दें’
कंपनी के फाउंडर ने ये भी कहा कि मैंने हमेशा हायरिंग मैनेजर्स को ये कहा है कि जरूरी नहीं की सबसे ज्यादा चमकने वाला रिज्यूमे आपके लिए बेस्ट कैंडिडेट हो। 99% काम सिखाए जा सकते हैं। लाएबा इस बात की जीती जागती सबूत है। ऐसे में हमें हमेशा ऐसे कैंडिडेट्स को वरीयता देनी चाहिए जो सीखने की इच्छा रखते हैं।