बीमार होने पर हम इलाज करवाने के लिए अस्पताल जाते हैं। लेकिन क्या हो जब अस्पताल में हमें कोई नई बीमारी पकड़ ले। जी हां, ये हो सकता है। हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद भी हम किसी नई बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। मेडिसिन की भाषा में इसे नोसोकोमियल (Nosocomial) इन्फेक्शन कहते हैं। इसे HAI (हेल्थकेयर एसोसिएटेड इन्फेक्शन) भी कहा जाता है। इसका अर्थ है अस्पतालों के जरिए होने वाला इन्फेक्शन। वैसे तो ये मरीज, डॉक्टर, केयरटेकर किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है, लेकिन मुख्यत: वही लोग इसका शिकार होते हैं, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। तो आज सेहतनामा में हम बात करेंगे अस्पतालों से फैलने वाले नोसोकोमियल इन्फेक्शन की। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. शीतल वर्मा, प्रोफेसर, क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ नोसोकोमियल इन्फेक्शन क्या है? ये एक ऐसा इन्फेक्शन है, जो आपको किसी बीमारी का इलाज कराते समय हॉस्पिटल में हो सकता है। ये इन्फेक्शन गंभीर और कभी-कभी जानलेवा स्थितियों का कारण भी बन सकता है। HAI का खतरा अस्पताल पहुंचने, अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे बाद, अस्पताल या सर्जिकल सेंटर से डिस्चार्ज होने के तीन दिन बाद और किसी सर्जिकल प्रोसिजर के तीस दिन बाद तक रहता है। ये इन्फेक्शन बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के जरिए लोगों में फैलता है। ये 48 घंटों के भीतर व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेता है। यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो ये सीरियस हेल्थ इश्यू का कारण भी बन सकता है। हालांकि अधिकांश HAI से बचा जा सकता है। इसके लिए मेडिकल टीमों, मरीज और उनके केयरटेकर द्वारा सुरक्षा उपायों को फॉलो करना बहुत जरूरी है। नोसोकोमियल इन्फेक्शन के आंकड़े नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अस्पतालों में भर्ती होने वाले लगभग 10 से 20% मरीजों को नोसोकोमियल इन्फेक्शन हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया भर में 14 लाख से ज्यादा लोग हर समय इससे पीड़ित रहते हैं। WHO द्वारा 14 देशों के 55 अस्पतालों में किए गए सर्वे के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने वाले औसतन 8.7% मरीज नोसोकोमियल इन्फेक्शन का शिकार होते हैं। स्टडी से पता चलता है कि इंटेसिव केयर यूनिट (ICU) में इन्फेक्शन रेट 11-25% है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की स्टडी के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में 1.36 करोड़ लोग हेल्थकेयर एसोसिएटेड इन्फेक्शन (HAI) का शिकार होते हैं, जिनमें चीन से 5.2 करोड़, पाकिस्तान से 1 करोड़ और भारत से तकरीबन 90 लाख मामले आते हैं। नोसोकोमियल इन्फेक्शन कितने प्रकार का होता है? हेल्थकेयर एसोसिएटेड इन्फेक्शन कई प्रकार के होते हैं और उनके होने के कई कारण हो सकते हैं। नोसोकोमियल इन्फेक्शन कैसे फैलता है? नोसोकोमियल इन्फेक्शन किसी व्यक्ति के छींकने, खांसने या थूक के माध्यम से फैल सकता है। ये तब भी हो सकता है, जब हेल्थकेयर प्रोवाइडर प्रॉपर इन्फेक्शन कंट्रोल की प्रक्रिया को फॉलो नहीं करते हैं। हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स किसी व्यक्ति को HAI होने का पता तब लगा सकते हैं, जब उसमें शुरुआती लक्षणों के तौर पर स्किन पर लाल चकत्ते दिखें या सर्जिकल एरिया के आसपास जलन व खुजली हो रही हो। नोसोकोमियल इन्फेक्शन के लक्षण HAI से पीड़ित लोगों में इन्फेक्शन के प्रकार के आधार पर अलग-अलग लक्षण डेवलप हो सकते हैं। नोसोकोमियल इन्फेक्शन के कुछ आम लक्षण हैं, जिनके बारे में नीचे ग्राफिक में देखें- नोसोकोमियल इन्फेक्शन के रिस्क फैक्टर क्या हैं? रिस्क फैक्टर वह होता है, जो बीमारी होने की संभावना को बढ़ाता है। यदि आपके उपचार में नीचे ग्राफिक में दी गई चीजें शामिल हैं तो आपको नोसोकोमियल इन्फेक्शन होने की संभावना है। नोसोकोमियल इन्फेक्शन से हो सकती हैं ये बीमारियां HAI से होने वाली बीमारियां उसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती हैं। नीचे ग्राफिक में HAI के कुछ संभावित कॉम्प्लिकेशंस के बारे में बताया गया है। नोसोकोमियल इन्फेक्शन से कैसे बचा जा सकता है डॉ. शीतल वर्मा कहती हैं कि नोसोकोमियल इन्फेक्शन को इफेक्टिव कंट्रोल उपायों के जरिए रोका जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर के साथ-साथ मरीज व उनके केयरटेकर को भी जागरूक होने की जरूरत है। हॉस्पिटल बिना मास्क के न जाएं, लोगों से उचित दूरी बनाकर रखें, हॉस्पिटल से आने के बाद तुरंत अपने कपड़े बदलें और संभव हो तो नहा लें। सैनिटाइजर का उपयोग करें। ऐसे कुछ सुरक्षा उपायों के साथ नोसोकोमियल इन्फेक्शन से बचा जा सकता है। हम अस्पताल में होने वाले इन्फेक्शन को रोक नहीं सकते, लेकिन हम उसके जोखिम को काफी हद तक कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं। नीचे ग्राफिक में इस बारे में देखें- …………………………….. ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- पब्लिक टॉयलेट यूज करना खतरनाक: गंदगी के कारण हर साल 5 लाख लोगों की मौत, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके पब्लिक टॉयलेट बैक्टीरिया और खतरनाक वायरस से भरे होते हैं, जिससे यूजर्स में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यहां मौजूद हेपेटाइटिस ए वायरस और स्ट्रेप्टोकोकस, स्टेफिलोकोकस और ई. कोली जैसे बैक्टीरिया से कई बीमारियां हो सकती हैं। पूरी खबर पढ़िए…