सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को BBC की डॉक्यूमेंट्री सीरीज ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर केंद्र सरकार की रोक मामले में सुनवाई। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा- इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। इसे 10 मिनट में निपटाया नहीं जा सकता है। बेंच ने केंद्र से फैसले के ओरिजिनल रिकॉर्ड पेश करने के अपने फरवरी 2023 के आदेश को पालन करने का निर्देश दिया। बेंच का ये निर्देश सीनियर जर्नलिस्ट एन राम, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, एड. प्रशांत भूषण-एम एल शर्मा की याचिकाओं पर आया। सभी ने केंद्र सरकार के डॉक्यूमेंट्री पर रोक के फैसले को चुनौती दी है। इसके साथ ही बेंच ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने की परमिशन दी है। मामले की अंतिम सुनवाई जनवरी 2025 में होना तय की गई है। BBC की डॉक्यूमेंट्री सीरीज ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ 2002 में हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। इसे जनवरी 2023 में पब्लिश किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी स्क्रीनिंग पर रोक लगाई थी। आरोप लगाया गया था कि BBC पीएम नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है। गुजरात दंगे को दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। कोर्ट रूम लाइव…. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है और इसके लिए दो सप्ताह और चाहिए। याचिकाकर्ताओं के वकील: मेहता की याचिका पर आपत्ति जताते हुए बोले- सरकार को पता है कि उसे जवाब दाखिल करना है, लेकिन उसने अभी तक ऐसा नहीं किया है। ये एक कार्यकारी निर्णय था और अदालत केंद्र द्वारा जवाब दाखिल किए बिना भी आगे बढ़ सकती है। जस्टिस खन्ना: अदालत को मामले में केंद्र की प्रतिक्रिया देखने की जरूरत है। 3 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपने फैसले से संबंधित ओरिजिनल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था और याचिकाओं के बैच पर नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ताओं के वकील: सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को रोकने के लिए IT (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) Code) रूल्स 2021 के तहत इमरजेंसी पॉवर्स का इस्तेमाल किया था। डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर रोक दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक है। याचिकाकर्ताओं ने Twitter (X)-Google को पक्ष बनाया
याचिकाकर्ताओं ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट को बहाल करने के निर्देश की मांग करते हुए ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब X) और गूगल एलएलसी (Google LLC) को पक्ष बनाया। उन्होंने कहा- धारा 69 ए के तहत सार्वजनिक पहुंच को रोकने के लिए निर्देश देने की कार्यपालिका की शक्ति भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित किसी भी गंभीर अपराध के लिए उकसावे को रोकने तक सीमित है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की सामग्री संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के तहत संरक्षित थी और सीरीज की सामग्री अनुच्छेद 19(2) में दिए किसी भी प्रतिबंध के अंडर नहीं आती है। याचिका में आईटी मिनिस्ट्री के सचिव के प्रतिबंध को चुनौती
याचिका में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आईटी मिनिस्ट्री) के सचिव के लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी गई है। IT नियमों के नियम 16 के तहत ट्विटर इंडिया को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 ट्वीट ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए गए थे। नतीजतन प्रशांत भूषण के ट्वीट और TMC सांसद मोइना मोइत्रा के शेयर किए URL लिंक हटाए गए थे। याचिका में कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव ने आईटी नियम 2021 के नियम 13(2) के तहत ऑथराइज्ड अधिकारी के तौर पर अपनी पावर के तहत निर्देश जारी किए। पहली नजर में निर्देश अवैध हैं, क्योंकि वे बॉम्बे हाईकोर्ट के दिए अंतरिम आदेश का सीधा उल्लंघन करते हैं। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड 17 जनवरी को टेलीकास्ट हुआ था, जबकि दूसरा एपसोड 24 जनवरी को टेलीकास्ट हुआ था। सरकार ने 21 जनवरी 2023 को विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री के लिंक शेयर करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर (अब X) पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे। 17 जनवरी को पहला एपिसोड टेलिकास्ट हुआ, अगले दिन सरकार ने हटाया
दरअसल, BBC ने 17 जनवरी 2023 को ‘द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया था। पहले एपिसोड के डिस्क्रिप्शन में लिखा था कि ये डॉक्यूमेंट्री भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच तनाव पर नजर डालती है। गुजरात में 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के दावों की जांच करती है। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हम नहीं जानते कि डॉक्यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार है। गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था। कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ नहीं पाया था। SIT ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था। UK के सांसद ने कहा था- डॉक्यूमेंट्री निष्पक्ष नहीं
UK के सांसद लॉर्ड रामी रेंजर ने BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर 18 जनवरी को ट्वीट( अब x पोस्ट) किया था। उन्होंने BBC से कहा था- आपने भारत के 100 करोड़ से अधिक लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। एक लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री, भारतीय पुलिस और भारतीय न्यायपालिका की भावनाओं को ठेस पहुंची है। हम गुजरात दंगों की निंदा करते हैं, लेकिन आपकी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की भी आलोचना करते हैं। डॉक्यूमेंट्री विवाद
24 जनवरी 2023: JNU में डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पथराव हुआ इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 24 जनवरी 2023 को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में बवाल हुआ था। यूनिवर्सिटी को खबर लगी कि छात्र संघ के ऑफिस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की जा रही है तो वहां की बिजली और इंटरनेट काट दिया गया। इसके बाद भी छात्र नहीं माने और उन्होंने डॉक्यूमेंट्री को मोबाइल पर डाउनलोड करने का क्यूआर कोड शेयर किया था। विवाद इतना बढ़ गया कि डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर देर रात पथराव किया गया। पथराव किसने किया, यह पता नहीं चल पाया है। हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए थे। 25 जनवरी: जामिया यूनिवर्सिटी में 7 स्टूडेंट्स हिरासत में लिए गए जामिया में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अब तक 7 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया है। इन पर माहौल खराब करने के प्रयास का आरोप है। SFI ने छात्रों की रिहाई तक स्क्रीनिंग टाल दी है। यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर की शिकायत पर इन्हें हिरासत में लिया गया है। जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने बताया कि विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर छात्र संगठन SFI यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहा है। हम ऐसी किसी भी काम की अनुमति नहीं देंगे। छात्रों की किसी भी गैरजरूरी हरकत पर कार्रवाई होगी। 25 जनवरी: BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर पुडुचेरी विश्वविद्यालय में झड़प हुई पुडुचेरी विश्वविद्यालय में बुधवार (25 जनवरी) को PM मोदी पर BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई थी। इसके बाद छात्रों के दो संगठनों के बीच झड़प हो गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एहतियात के तौर पर बिजली और वाईफाई को ठप कर दिया था, फिर छात्रों के एक गुट ने फोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी। 25 जनवरी: पंजाब यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री को लेकर हंगामा हुआ पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) के स्टूडेंट सेंटर में 25 जनवरी को विवादित डॉक्यूमेंट्री चलाने पर हंगामा हुआ। NSUI ने यह डॉक्यूमेंट्री चलाई। जिसे देखने कई स्टूडेंट्स जुट गए। इतने में यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को इसकी भनक लग गई और प्रोजेक्टर पर चलाई गई इस डॉक्यूमेंट्री को तुरंत बंद करवा दिया गया। इससे पहले लगभग आधी डॉक्यूमेंट्री चल चुकी थी 26 जनवरी: गणतंत्र दिवस पर केरल कांग्रेस ने डॉक्यूमेंट्री दिखाई
केरल कांग्रेस ने गणतंत्र दिवस के मौके पर BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) यह स्क्रीनिंग तिरुवनंतपुरम में शंकुमुघम बीच पर की। पार्टी ने कहा- ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा सके इसलिए बीच पर इसकी स्क्रीनिंग की गई है। 26 जनवरी: हैदराबाद यूनिवर्सिटी में SFI और ABVP के बीच हुआ बवाल
26 जनवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच विवाद हुआ। SFI ने 400 से अधिक छात्रों को विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जवाब में RSS की स्टूडेंट्स विंग और ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी कैंपस में ‘द कश्मीर फाइल्स’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर कैंपस में BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की अनुमति देने का आरोप लगाया। इसके विरोध में कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी मेन गेट पर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने BBC की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगा दिया है तो कैंपस में उसे दिखाने की इजाजत कैसे दी गई। इससे पहले 21 जनवरी को भी स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। छात्रों ने इसके लिए न यूनिवर्सिटी प्रशासन को सूचना दी और न ही इजाजत ली थी। मामला सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने एक्शन लिया। 27 जनवरी: दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुआ हंगामा 27 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्रों और पुलिस में ठन गई। छात्रों का कहना था कि वे यह डॉक्यूमेंट्री देखना चाहते हैं, जबकि पुलिस उन्हें देखने नहीं दे रही है। वहीं, पुलिस का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, लिहाजा इसकी स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती। पुलिस ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी के पास धारा 144 लागू है। यहां भीड़ जमा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हंगामे के बाद कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया। 29 जनवरी: मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में बवाल
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 29 जनवरी को बवाल हुआ था। इंस्टीट्यूट की रोक के बावजूद 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने फोन-लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी। TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने शाम 7 बजे को डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इसका विरोध किया था। इसके बाद पुलिस ने मामले में दखल देते हुए कहा था कि TISS में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं होगी। इसके बाद स्टूडेंट्स ने 9 लैपटॉप और फोन पर डॉक्यूमेंट्री देखी।
याचिकाकर्ताओं ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट को बहाल करने के निर्देश की मांग करते हुए ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब X) और गूगल एलएलसी (Google LLC) को पक्ष बनाया। उन्होंने कहा- धारा 69 ए के तहत सार्वजनिक पहुंच को रोकने के लिए निर्देश देने की कार्यपालिका की शक्ति भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित किसी भी गंभीर अपराध के लिए उकसावे को रोकने तक सीमित है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की सामग्री संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के तहत संरक्षित थी और सीरीज की सामग्री अनुच्छेद 19(2) में दिए किसी भी प्रतिबंध के अंडर नहीं आती है। याचिका में आईटी मिनिस्ट्री के सचिव के प्रतिबंध को चुनौती
याचिका में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आईटी मिनिस्ट्री) के सचिव के लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी गई है। IT नियमों के नियम 16 के तहत ट्विटर इंडिया को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 ट्वीट ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए गए थे। नतीजतन प्रशांत भूषण के ट्वीट और TMC सांसद मोइना मोइत्रा के शेयर किए URL लिंक हटाए गए थे। याचिका में कहा गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव ने आईटी नियम 2021 के नियम 13(2) के तहत ऑथराइज्ड अधिकारी के तौर पर अपनी पावर के तहत निर्देश जारी किए। पहली नजर में निर्देश अवैध हैं, क्योंकि वे बॉम्बे हाईकोर्ट के दिए अंतरिम आदेश का सीधा उल्लंघन करते हैं। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड 17 जनवरी को टेलीकास्ट हुआ था, जबकि दूसरा एपसोड 24 जनवरी को टेलीकास्ट हुआ था। सरकार ने 21 जनवरी 2023 को विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री के लिंक शेयर करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर (अब X) पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे। 17 जनवरी को पहला एपिसोड टेलिकास्ट हुआ, अगले दिन सरकार ने हटाया
दरअसल, BBC ने 17 जनवरी 2023 को ‘द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया था। पहले एपिसोड के डिस्क्रिप्शन में लिखा था कि ये डॉक्यूमेंट्री भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच तनाव पर नजर डालती है। गुजरात में 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के दावों की जांच करती है। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हम नहीं जानते कि डॉक्यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार है। गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था। कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ नहीं पाया था। SIT ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था। UK के सांसद ने कहा था- डॉक्यूमेंट्री निष्पक्ष नहीं
UK के सांसद लॉर्ड रामी रेंजर ने BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर 18 जनवरी को ट्वीट( अब x पोस्ट) किया था। उन्होंने BBC से कहा था- आपने भारत के 100 करोड़ से अधिक लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। एक लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री, भारतीय पुलिस और भारतीय न्यायपालिका की भावनाओं को ठेस पहुंची है। हम गुजरात दंगों की निंदा करते हैं, लेकिन आपकी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की भी आलोचना करते हैं। डॉक्यूमेंट्री विवाद
24 जनवरी 2023: JNU में डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर पथराव हुआ इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 24 जनवरी 2023 को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में बवाल हुआ था। यूनिवर्सिटी को खबर लगी कि छात्र संघ के ऑफिस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की जा रही है तो वहां की बिजली और इंटरनेट काट दिया गया। इसके बाद भी छात्र नहीं माने और उन्होंने डॉक्यूमेंट्री को मोबाइल पर डाउनलोड करने का क्यूआर कोड शेयर किया था। विवाद इतना बढ़ गया कि डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों पर देर रात पथराव किया गया। पथराव किसने किया, यह पता नहीं चल पाया है। हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए थे। 25 जनवरी: जामिया यूनिवर्सिटी में 7 स्टूडेंट्स हिरासत में लिए गए जामिया में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अब तक 7 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया गया है। इन पर माहौल खराब करने के प्रयास का आरोप है। SFI ने छात्रों की रिहाई तक स्क्रीनिंग टाल दी है। यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर की शिकायत पर इन्हें हिरासत में लिया गया है। जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने बताया कि विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर छात्र संगठन SFI यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहा है। हम ऐसी किसी भी काम की अनुमति नहीं देंगे। छात्रों की किसी भी गैरजरूरी हरकत पर कार्रवाई होगी। 25 जनवरी: BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर पुडुचेरी विश्वविद्यालय में झड़प हुई पुडुचेरी विश्वविद्यालय में बुधवार (25 जनवरी) को PM मोदी पर BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई थी। इसके बाद छात्रों के दो संगठनों के बीच झड़प हो गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एहतियात के तौर पर बिजली और वाईफाई को ठप कर दिया था, फिर छात्रों के एक गुट ने फोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी। 25 जनवरी: पंजाब यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री को लेकर हंगामा हुआ पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) के स्टूडेंट सेंटर में 25 जनवरी को विवादित डॉक्यूमेंट्री चलाने पर हंगामा हुआ। NSUI ने यह डॉक्यूमेंट्री चलाई। जिसे देखने कई स्टूडेंट्स जुट गए। इतने में यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को इसकी भनक लग गई और प्रोजेक्टर पर चलाई गई इस डॉक्यूमेंट्री को तुरंत बंद करवा दिया गया। इससे पहले लगभग आधी डॉक्यूमेंट्री चल चुकी थी 26 जनवरी: गणतंत्र दिवस पर केरल कांग्रेस ने डॉक्यूमेंट्री दिखाई
केरल कांग्रेस ने गणतंत्र दिवस के मौके पर BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) यह स्क्रीनिंग तिरुवनंतपुरम में शंकुमुघम बीच पर की। पार्टी ने कहा- ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा सके इसलिए बीच पर इसकी स्क्रीनिंग की गई है। 26 जनवरी: हैदराबाद यूनिवर्सिटी में SFI और ABVP के बीच हुआ बवाल
26 जनवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच विवाद हुआ। SFI ने 400 से अधिक छात्रों को विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जवाब में RSS की स्टूडेंट्स विंग और ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी कैंपस में ‘द कश्मीर फाइल्स’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। ABVP कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर कैंपस में BBC की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की अनुमति देने का आरोप लगाया। इसके विरोध में कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी मेन गेट पर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने BBC की डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगा दिया है तो कैंपस में उसे दिखाने की इजाजत कैसे दी गई। इससे पहले 21 जनवरी को भी स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। छात्रों ने इसके लिए न यूनिवर्सिटी प्रशासन को सूचना दी और न ही इजाजत ली थी। मामला सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने एक्शन लिया। 27 जनवरी: दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुआ हंगामा 27 जनवरी को डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्रों और पुलिस में ठन गई। छात्रों का कहना था कि वे यह डॉक्यूमेंट्री देखना चाहते हैं, जबकि पुलिस उन्हें देखने नहीं दे रही है। वहीं, पुलिस का कहना है कि इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, लिहाजा इसकी स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती। पुलिस ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी के पास धारा 144 लागू है। यहां भीड़ जमा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हंगामे के बाद कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया। 29 जनवरी: मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में बवाल
मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर 29 जनवरी को बवाल हुआ था। इंस्टीट्यूट की रोक के बावजूद 200 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने फोन-लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी। TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने शाम 7 बजे को डॉक्यूमेंट्री दिखाने का ऐलान किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा ने इसका विरोध किया था। इसके बाद पुलिस ने मामले में दखल देते हुए कहा था कि TISS में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं होगी। इसके बाद स्टूडेंट्स ने 9 लैपटॉप और फोन पर डॉक्यूमेंट्री देखी।