आज (25 अक्टूबर) शुक्र पुष्य नक्षत्र है। इस साल गुरुवार (24 अक्टूबर) और शुक्रवार यानी आज, दो दिन पुष्य नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र की शुरुआत गुरुवार सुबह करीब 11.15 बजे हुई थी और ये नक्षत्र शुक्रवार सुबह करीब 11.55 बजे तक रहेगा। दीपावली से पहले आने वाले पुष्य नक्षत्र में खरीदारी के साथ ही पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शुक्र पुष्य नक्षत्र में शिव जी के साथ ही शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से कुंडली के शुक्र ग्रह से संबंधित दोषों का असर कम हो सकता है। पूजा-पाठ के अलावा आज अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य भी करें। ज्योतिष में कुल नौ ग्रह बताए गए हैं और इनमें शुक्र ग्रह भी शामिल है। ये ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी है। शास्त्रों में शुक्र को असुरों का गुरु माना जाता है, शुक्र का एक नाम शुक्राचार्य भी है। शुक्र की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है। जानिए शुक्र पुष्य नक्षत्र पर शिव जी की पूजा कैसे करें घर के मंदिर में या किसी अन्य शिव मंदिर में सबसे पहले गणेश पूजन करें। गणेश जी के बाद शिव जी की पूजा शुरू करें। शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत चढ़ाएं। इसके बाद फिर से जल अर्पित करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, हार-फूल, आंकड़े के फूल, धतूरा चढ़ाएं, श्रृंगार करें। जनेऊ, अबीर, गुलाल, अष्टगंध जैसी अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। बिल्व पत्र के साथ मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए धूप-दीप जलाएं। आरती करें। पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा। इसके बाद अपनी जगह पर खड़े होकर आधी परिक्रमा करें। भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें। पूजा में शुक्र ग्रह के मंत्र ऊँ शुक्राय नम: का भी जप करें। शुक्र ग्रह के निमित्त शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। इस पूजा के बाद दूध का दान करें। शुक्र ग्रह की चीजें जैसे फलदार वृक्ष का पौधा, चांदी, सोना, सफेद चंदन, इत्र, नए कपड़े, दही, हीरा आदि चीजों का दान कर सकते हैं। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का करें अभिषेक दीपावली से पहले पुष्य नक्षत्र पर भी महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी-विष्णु का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। शंख में केसर मिश्रित जल भरें और फिर भगवान को अर्पित करें। लक्ष्मी-विष्णु की प्रतिमा को लाल-पीले वस्त्र पहनाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। घर में बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित है तो उनका भी विशेष श्रृंगार करें। माखन-मिश्री के साथ तुलसी चढ़ाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। आज शाम घर के आंगन में तुलसी के पास दीपक जलाएं। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है, इसलिए आज शनिदेव के लिए तेल का दान करें। शनि देव की प्रतिमा पर तेल चढ़ाएं। भगवान को नीले फूल, काले तिल चढ़ाएं। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें।