रिलेशनशिप- भाई दूज पर बचपन की यादों को करें ताजा:प्यारी बहन को दें खास तोहफा, इन 5 तरीकों से इस दिन को बनाएं यादगार

याद है आपको भाई-बहन के साथ बीता वो सुनहरा बचपन, जब गलती कोई और करता था और डांट किसी और को पड़ती थी। हम खुद के हिस्से की चॉकलेट तो खा लेते थे, लेकिन फ्रिज में रखी बहन की चॉकलेट भी चुरा लिया करते थे। जहां बहन ने एक ग्लास पानी मांगा तो रिटर्न में जवाब आता था, ‘खुद जाकर क्यों नहीं ले लेती।’ लेकिन जब पापा की डांट से बचने की बात आती थी तो वो बहन ही होती थी, जो हमें हमेशा बचा लिया करती थी। ऐसा अनोखा रिश्ता सिर्फ भाई-बहन का ही हो सकता है, जहां एक-दूसरे के साथ रहना मुश्किल लगता है, लेकिन एक-दूसरे के बिना भी नहीं रहा जाता। वैसे तो यह रिश्ता किसी विशेष दिन का मोहताज नहीं होता। लेकिन जैसे बाकी के रिश्तों के लिए एक खास दिन चुना गया है, वैसे ही भाई-बहन के लिए भी रक्षाबंधन तो मनाया ही जाता है। साथ ही एक और दिन है, जो इस रिश्ते के लिए बना है और वो है- भाई दूज। भाई दूज एक ऐसा त्योहार है, जो भाई-बहन के प्यार और अपनेपन को बढ़ावा देता है। इसे भाऊबीज, भैया दूज या भाई टीका भी कहा जाता है। यह एक ऐसा समय है, जब भाई-बहन एक-दूसरे के लिए अपने प्यार, सम्मान और समर्पण को मनाने के लिए एक साथ आते हैं। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी सलामती की प्रार्थना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वादा करते हैं। कल भाई दूज है और इस मौके पर रिलेशनशिप कॉलम में बात करेंगे भाई-बहन के प्यार की। साथ ही जानेंगे कि भाई-बहन अपनी बचपन की यादों को फिर से कैसे जगा सकते हैं और कैसे अपने रिश्ते को और गहरा कर सकते हैं। खट्टा-मीठा सा होता है भाई-बहन का रिश्ता भाई-बहन का रिश्ता खट्टी-मीठी नोक-झोंक से भरा होता है। यह रिश्ता बचपन से ही शुरू होता है और जीवन भर साथ रहता है। इस रिश्ते में प्यार, स्नेह, मजाक, नोक-झोंक और समर्थन, सभी चीजें शामिल होती हैं। भाई-बहन खुद एक-दूसरे को चाहे कितना भी तंग कर लें, लेकिन किसी दूसरे ने ऐसा करने की सोची भी तो उससे लड़ जाते हैं। सच में भाई-बहन का रिश्ता बहुत अनोखा होता है। भाई-बहन से अच्छा कोई और दोस्त नहीं होता बचपन से लेकर बड़े होने तक भाई-बहन अपने सारे सुख-दुख साथ में बांटते हैं। बचपन में जो बात न मानने पर एक दूसरे के दुश्मन बन जाते थे, वही दुश्मन बड़े होते-होते कभी क्राइम पार्टनर्स तो कभी दोस्त बन जाते हैं। पापा की डांट से बचाना, मम्मी से कोई बात छिपाना, रात में चुपके से साथ में आइसक्रीम खाना और घर लेट आने पर दरवाजे पर पहरेदार बनकर इंतजार करना। ये सब भाई-बहन ही एक-दूसरे के लिए कर सकते हैं। इतिहास भी भाई-बहन के अटूट रिश्ते का गवाह भगवान कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा का हिंदू पौराणिक कथाओं में विशेष तौर पर जिक्र किया गया है। सुभद्रा के लिए कृष्ण का सुरक्षात्मक स्वभाव रहा है। कृष्ण ने परिवार के खिलाफ जाकर अर्जुन के साथ सुभद्रा की शादी में उनकी मदद की थी। कृष्ण और सुभद्रा की यह कहानी इस बात को दर्शाती है कि एक भाई अपनी बहन की रक्षा और उसकी खुशी के लिए किस हद तक जा सकता है। यमराज और यमुना के बीच एक अनोखा रिश्ता रहा है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं और वह उनकी सलामती की प्रार्थना करती हैं। उनकी कहानी भाई-बहन के रिश्तों के सुरक्षात्मक पहलू का प्रतीक है। रामायण में भगवान राम और उनकी बड़ी बहन शांता का रिश्ता भी बहुत गहरा रहा है। शांता राजा दशरथ और रानी कौशल्या की बेटी थीं और उन्हें राजा रोमपद ने गोद लिया था। ऋष्यशृंग के साथ शांता की शादी के बाद अयोध्या में समृद्धि आ गई थी, जिसके बाद श्रीराम और उनके भाइयों का जन्म हुआ। उनकी कहानी मजबूत पारिवारिक संबंधों और भाई-बहनों द्वारा एक-दूसरे के लिए किए गए त्याग को दर्शाती है। भाई दूज पर अपने टूटे हुए रिश्ते को फिर से जोड़ें भाई दूज एक खास अवसर है, जब भाई-बहन अपने रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं। यदि आप किसी कारणवश अपने भाई या बहन से अलग हैं या किसी बात पर नाराज हैं और बात नहीं कर रहे हैं, तो इस भाई दूज पर अपने रिश्ते को फिर से एक मौका दें। नीचे पॉइंटर्स में कुछ सुझाव दिए हैं, जो आपके भाई या बहन के साथ आपका रिश्ता फिर से जोड़ सकते हैं- इन सुझावों को अपनाकर आप अपने भाई-बहन के साथ रिश्ते को फिर से मजबूत बना सकते हैं और भाई दूज को एक यादगार पल बना सकते हैं।