व्यक्तित्व के अनुरूप होते है सीखने के तरीके, बच्चे अपने सीखने के तरीकों को पहचानें, उनका इस्तेमाल करें

सीखने के कई तरीके होते हैं। अक्सर ये आपके व्यक्तित्व के अनुरूप भी होते हैं। हम सभी अलग-अलग, मगर प्रभावी तरीके से सीखते हैं। जानिए, वे बातें जिनसे आप सीखने के तरीकों को पहचानने के बाद उपयोग कर पाएंगे।

1. आप सुनकर सीखने वालों में से हैं या देखकर

  • आप टीवी देखने को वरीयता देते हैं या समाचार पत्र पढ़ने को? यदि आप देखकर सीखने वालों में से हैं, तो आपको ऐसे शिक्षक के साथ दिक्कत हो सकती है, जो यह मानते हैं कि सिखाने का अर्थ लोगों को कुछ बता देना मात्र होता है। ऐसे में आलेख, पाठ्यपुस्तक और ब्लैक बोर्ड पर लिखी गई सूचनाएं आपकी मदद करेंगी।
  • दूसरी ओर, यदि आप सुनकर सीखने वालों में से हैं, तो आपको ऐसे शिक्षक की कक्षा में दिक्कत महसूस हो सकती है, जो लिखते बहुत हैं और ऐसे आलेख पढ़ने के लिए देते हैं, जिन पर कोई चर्चा न हुई हो। इस स्थिति में कक्षा की चर्चाओं में शामिल होना और अध्ययन समूह में बातचीत बेहतर तरीके होंगे।

2. अकेले पढ़ें या समूह में?

  • कुछ लोग बाहरी दुनिया से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, अर्थात बातचीत, गतिविधियां और अन्य बातों से सीखते हैं। यदि आप बहिर्मुखी हैं, तो आप बातचीत में आसानी से जुड़ते हैं और लोगों की उपस्थिति को पसंद करते हैं। अतः समूह में काम करना आपकी समझ को बढ़ाता है।
  • यदि आप अंतर्मुखी हैं, तो अकेले रहकर, जुटकर काम करना पसंद करते हैं। शायद आपको किसी परियोजना पर लंबे समय तक बिना किसी व्यवधान के सतत काम करने में कोई परेशानी न होती है। किसी की कमी नहीं खलती है।

3. कैसा हो आपके पढ़ने का सबसे अच्छा स्थान

  • सुकून भरे माहौल में पढ़ाई के लिए सबसे अच्छी जगह साफ-सुथरी मेज़ है।
  • मेज़ पर ऐसी वस्तुएं कम होनी चाहिए, जिनसे आपका पढ़ाई से ध्यान बंटता हो।
  • आपकी मेज़ पर हवा और रोशनी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
  • खाने, आराम, पढ़ने के बीच-बीच में ब्रेक लेने की भी योजना बनानी चाहिए।
  • शाम को टेबल लैंप का इस्तेमाल अच्छा है।
  • हर दिन एक ही जगह पढ़ने की आदत डालें।

4. चिंता पर लगाम लगाना सीखें

  • चिंता पढ़ाई को बाधित करने वाला वास्तविक और स्वाभाविक व्यवधान है। चिंता का उजला पक्ष यह है कि एक स्तर तक यह प्रेरणा देने का भी काम करती है।
  • आपको चिंता बढ़ाने वाले विचारों से दूरी बनाना चाहिए।
  • परीक्षा से पहले ऐसा कोई काम न करेंजिससे आपकी चिंता बढ़े।
  • योग और प्राणायाम विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।
  • मानसिक चित्रण की तकनीक का इस्तेमाल भी चिंता कम करता है।

5. यह बातें ध्यान रखें

  • हर पाठ्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा रुचि लेने का प्रयास करें।
  • उपलब्ध पाठ्यवस्तु को ऐसे लेख में बदलें, जो समझने में आसान हो।
  • प्रश्न पूछें, अपने सहपाठियों के प्रश्नों, उत्तरों और टिप्पणियों में रुचि लें तो बेहतर होगा।
  • शिक्षक से बात करें। उनसे अपनी जिज्ञासाएं शांत करें। प्रश्नों के उत्तर खोजने का स्रोत प्राप्त हो।
  • अपने अध्ययन के बीच छोटे-छोटे अवकाश भी लेना चाहिए।
  • आत्मविश्वास के लिए अपने नोट्स की जांच अपने मित्र से करवाएं।

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