कुकी संगठन की याचिका- मणिपुर CM ने हिंसा भड़काई:सुप्रीम कोर्ट बोला- लीक ऑडियो में आवाज CM की ही है या नहीं, इसकी जांच को तैयार

मणिपुर के कुकी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें कुछ ऑडियो क्लीप का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि CM बीरेन सिंह ने मणिपुर में हिंसा भड़काई है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि लीक ऑडियो में आवाज मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की ही है या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए। हम इस जांच के लिए तैयार है। दरअसल, मणिपुर में हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ ऑडियो क्लीप वायरल हुए थे। इसमें बीरेन सिंह को कुकी लोगों पर बमबारी और हथियार लूटने की बात कहते सुना गया। कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट ट्रस्ट ने मणिपुर CM के खिलाफ जांच की मांग की याचिका लगाई। उन्होंने कहा- मामले की जांच CBI, ED नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से चयनित अधिकारियों वाली SIT से कराना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को ऑडियो क्लीप की जांच के लिए मटेरियल मुहैया कराने निर्देश दिए हैं। कोर्ट रूम LIVE सुप्रीम कोर्ट में कुकी ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने दलीलें रखीं। वहीं, राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जिरह में हिस्सा लिया। मणिपुर CM ने कहा था- मेरे खिलाफ साजिश हुई मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने PTI को दिए इंटरव्यू में ऑडियो क्लीप मामले पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग उनके पीछे पड़े हैं। एक साजिश चल रही है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहिए। मामले को लेकर एक एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था। 4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।