कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को:सुबह सूर्य को और शाम को चंद्र को चढ़ाएं अर्घ्य, सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास जलाएं दीपक

शुक्रवार, 15 नवंबर को कार्तिक मास का अंतिम दिन पूर्णिमा है। इस तिथि को देव दीपावली और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान, दान-पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवनभर बना रहता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था, इस वजह से इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार हिन्दी पंचांग के आठवें महीने में कार्तिकेय स्वामी तारकासुर का वध किया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव जी आठवें महीने का नाम कार्तिकेय के नाम पर कार्तिक रखा था। जानिए कार्तिक पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…