महिला टीचरों में सालों से चल रहा झगड़ा-मारपीट:400 दिन की छुट्टी लगाई; स्कूल में सिर्फ 7 बच्चे बाकी, 8 महीने सड़ता रहा मिड-डे मील

उत्तर प्रदेश के उन्नाव का एक प्राइमरी स्कूल लंबे समय से बंद चल रहा है। इसकी वजह यह है कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका अल्का सिंह सहित तीनों महिला टीचरों ने पुराने आपसी विवाद के चलते 400 दिन की छुट्टी ले ली थी। स्कूल लंबे समय से बंद पड़ा है। स्कूल में 8 महीने से मिड-डे मील नहीं बना। कई बार शिकायत होने के बाद अब प्रशासन ने इन तीनों टीचरों को सस्पेंड कर दिया है। बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का गोद लिया हुआ गांव, स्कूल में सिर्फ 7 बच्चे टीकरगढ़ी गांव, उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बिछिया ब्लॉक में आता है। जिला मुख्यालय से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर इस गांव को उन्नाव सीट से बीजेपी के तेजतर्रार सांसद साक्षी महाराज ने गोद लिया है। ‘गांव को गोद लेना’ कोई संवैधानिक दायित्व नहीं होता, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के बाद बीजेपी के सांसद इस दावे के साथ गांवों को गोद ले लेते हैं कि इसे एक मॉडल विलेज की तरह विकसित करेंगे। गांव की प्रधान नन्ही देवी हैं। उनके देवर देवेंद्र यादव ने भास्कर को बातचीत में बताया कि दो मजरों वाली इस ग्रामसभा में करीब 8000 वोटर हैं। इनमें से करीब 5000 की आबादी इसी प्राइमरी स्कूल के आसपास रहती है। स्थिति यह है कि कुछ साल पहले तक इस स्कूल में 120 बच्चे रजिस्टर्ड थे। इन तीन टीचरों के अलावा दो सहायक टीचर भी थीं। उन दोनों टीचरों ने भी ट्रांसफर ले लिया है। अब स्कूल के रजिस्टर में सिर्फ 7 बच्चों का नाम रजिस्टर पर लिखा है। इसकी वजह है स्कूल की महिला टीचर्स की आपसी लड़ाई। ‘टीचरों में मिड-डे मील, पैसे के लेनदेन की लड़ाई’: बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ा देवेंद्र बताते हैं, टीचर अल्का सिंह और मंजू यादव दोनों उन्नाव शहर से आती हैं और दसियों सालों से इसी स्कूल में पढ़ाती रही हैं। दोनों के पति भी टीचर हैं। बीते कई सालों से दोनों के बीच लड़ाई चल रही है। कई बार खुलेआम मारपीट तक की नौबत आई। स्कूल की तीसरी टीचर अमिता शुक्ला मंजू सिंह के खेमे में हैं। देवेंद्र के मुताबिक, उन्होंने कई बार दोनों महिला टीचरों के बीच का विवाद सुलझाने की कोशिश की, लेकिन इससे कोई समाधान नहीं निकला तो उन्होंने शिकायत कर दी। देवेंद्र कहते हैं, ‘टीचर्स के इस विवाद के चलते स्कूल का माहौल इतना खराब हो गया कि बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया। अब सिर्फ 7 या 8 बच्चों का नाम स्कूल में लिखा है। गांव के करीब 500 बच्चे आसपास के प्राइवेट स्कूलों में जाने लगे हैं।’ गांव के राजेश लोधी गरीब किसान हैं। उनका एक भतीजा और दो भतीजियां स्कूल में पढ़ने जाते थे। राजेश कहते हैं, टीचरों के बीच में सुबह से दोपहर तक गाली-गलौच और लड़ाई होती थी। कभी मिड-डे मील बनाने को लेकर तो कभी पैसे के लेनदेन को लेकर। जब रोज लड़ाई हो रही है तो पढ़ाई कैसे होगी। हमें बच्चों का स्कूल जाना बंद करवाना पड़ा। हम गरीब लोग हैं, बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं भेज सकते। हमारे बच्चे अब कहीं पढ़ाई नहीं कर रहे। देवेंद्र ने हमें बताया कि लंबे समय से स्कूल में कोई टीचर नहीं आ रहे हैं। कल यानी 14 नवंबर को अल्का सिंह स्कूल आई थीं। अब उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि गांव के पूर्व प्रधान नीरज सिंह कहते हैं कि अल्का सिंह को कैंसर हो गया था, इसलिए वो बीच में स्कूल नहीं आईं। इस पर देवेंद्र कहते हैं, ‘कैंसर की बात झूठी है। नीरज सिंह पहले स्कूल का मिड-डे मील खुद बनवाते थे। इससे कमाई की जाती थी जो वह टीचरों के साथ मिल-बांटकर खाते थे। मेरी भाभी के प्रधान बनने के बाद हमने मिड-डे मील का काम टीचरों को सौंप दिया। अब इसको लेकर लड़ाई होती है।’ हमने अल्का और मंजू सिंह के फोन नंबरों पर संपर्क करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने हमारा फोन नहीं उठाया। जांच टीम को मिला 8 महीने पुराना मिड-डे मील का सड़ा सामान मिड-डे मील न बनने और लंबे समय से टीचरों के छुट्टी पर रहने की शिकायत राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य श्यामपति त्रिपाठी के पास पहुंची थी। तब उन्होंने जांच के आदेश दिए। स्कूल का निरीक्षण करने गई टीम ने बंद कमरे खोले तो स्कूल में 8 महीने पुराना मिड-डे का सामान मिला। यह पूरी तरह सड़ चुका था। बिछिया ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी संजय यादव ने कहा, जांच में पता चला कि हर बुधवार को होने वाली स्कूल की शिक्षा समिति 4 महीने से नहीं हुई है। टीचर्स ने इकठ्ठा 400 दिन की मेडिकल और चाइल्ड केयर लीव के लिए अप्लाई किया था। तीनों टीचर्स सस्पेंड, सैलरी रोक दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा शिक्षा विभाग की गाइडलाइंस के अनुसार, किसी सरकारी कर्मचारी को उसकी पूरी सर्विस के दौरान ज्यादा से ज्यादा दो साल के लिए मेडिकल लीव दी जा सकती है। इसमें भी एक बार में अधिकतम 6 महीने यानी 180 दिन की छुट्टी ली जा सकती है। राज्य बाल संरक्षण आयोग की जांच के बाद उन्नाव के जिलाधिकारी गौरांग राठी ने बीएसए संगीता सिंह को तीनों टीचर्स को सस्पेंड कर विभागीय जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अल्का सिंह, मंजू यादव और अमिता शुक्ला को निलंबित कर दिया गया है। लिमिट से ज्यादा छुट्टी और दूसरी अनियमितताओं की जांच खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई है। स्कूली शिक्षा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… देश का सबसे महंगा स्कूल दिल्ली में:महीने की फीस 2.5 लाख; इंटरनेशनल कोर्स पढ़ाने वाले स्कूलों में क्या खासियत मुंबई, दिल्ली और उत्तराखंड में देश के सबसे महंगे स्कूल हैं। इन स्कूलों की औसतन सालाना फीस 8 से 10 लाख रुपए या उससे भी ज्यादा है। कई स्कूलों में फीस इतनी ज्यादा है कि एक हाईली पेड आईटी इंजीनियर या सॉफ्टवेयर डेवलपर की आधे से ज्यादा सैलरी अपने बच्चे को इस स्कूल में पढ़ाने में चली जाएगी। पूरी खबर पढ़िए…