हिन्दी पंचांग का नवां महीना अगहन यानी मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए बहुत खास माना जाता है, क्योंकि इस महीने को श्रीकृष्ण ने अपना ही एक स्वरूप बताया है। मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण के पौराणिक मंदिरों और तीर्थों में दर्शन-पूजन करने की परंपरा है, इन दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही श्रीकृष्ण के ग्रंथ और उनकी कथाएं भी पढ़ी-सुनी जाती हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है कि मासानां मार्गशीर्षोऽहम् यानी मार्गशीर्ष मास मेरा ही स्वरूप है। हिन्दी पंचांग में महीने की अंतिम तिथि पूर्णिमा पर जो नक्षत्र रहता है, उस नक्षत्र के नाम पर ही महीने का नाम रखा जाता है। इस महीने की पूर्णिमा पर मृगशिरा नक्षत्र रहता है, इसकारण हिन्दी पंचांग के नवें महीने का नाम मार्गशीर्ष पड़ा है। पौराणिक कथा के मुताबिक, गोकुल की गोपियां श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए भक्ति करती थीं, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कहा था कि जो भक्त मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान करता है, वह मुझे प्राप्त कर सकता है। इस कथा की वजह से मार्गशीर्ष मास में यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा है। सरल स्टेप्स में ऐसे कर सकते हैं बाल गोपाल की पूजा