रिलेशनशिप- कैसे बोलें कि लोग आपकी बात सुनें:बोलते हुए इन 7 कारणों से खराब होता इम्प्रेशन, साइकोलॉजिस्ट के 8 सुझाव

बोलना अपने आप में एक कला है, जिसमें किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता होती है। ये कला न केवल कम्युनिकेशन में मदद करती है, बल्कि व्यक्ति की पर्सनैलिटी और आत्मविश्वास को भी दर्शाती है। बहुत से लोग अपनी बातचीत से लोगों को इम्प्रेस नहीं कर पाते। कई बार इससे उन्हें नुकसान भी हो सकता है। प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए भी अपनी बात को प्रभावी ढंग से रख पाने की यह कला बहुत जरूरी है। प्रभावी ढंग से बातचीत न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। इसमें कॉन्फिडेंस से लेकर स्पष्ट न बोलना जैसी कई चीजें शामिल हैं। हालांकि खुद में कुछ बदलाव करके अपनी बातचीत को इम्प्रेसिव बनाया जा सकता है। तो आज रिलेशनशिप कॉलम में हम इस बारे में बात करेंगे कि ‘कैसे बोलें कि लोग आपकी बात सुनें।’ साथ ही जानेंगे कि ऐसी कौन सी चीजें हैं, जो आपकी बातचीत को बेअसर बनाती हैं। लोग क्यों नहीं सुनते आपकी बात कुछ लोग बातचीत करते हुए जाने-अनजाने में छोटी-छोटी गलतियां करते हैं, जिससे खराब इंप्रेशन पड़ता है। बोलने वाले को पता भी नहीं होता कि वो जो बोल रहा है, वह गलत तरीका है। हो सकता है, आप भी दूसरों से बात करते हुए ये गलतियां करते हों। ये वो चीजें हैं, जो बातचीत पर निगेटिव असर डालती हैं। नीचे ग्राफिक में देखिए- कैसे बोलें कि लोग ध्यान देकर सुनें पहले तो ये जान लीजिए कि आप जितने अच्छे श्रोता होंगे, उतने ही बेहतर वक्ता बन सकते हैं। इसलिए सामने वाले व्यक्ति की बात को ध्यान से सुनने की आदत डालें। इसके अलावा अपनी बातचीत को इम्प्रेसिव बनाने के लिए कुछ चीजों का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। नीचे ग्राफिक से समझिए- अब आइए ऊपर दिए पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। बातचीत के दौरान डिस्ट्रैक्शन से दूर रहें बातचीत के वक्त टीवी या फोन देखने से डिस्ट्रैक्शन होता है। अगर आप किसी ऐसे दोस्त या फैमिली मेंबर से बात कर रहे हैं, जो इन चीजों में व्यस्त है तो आपको अपनी बात कहना मुश्किल लग सकता है। ऐसे में जब दूसरा व्यक्ति किसी काम में या ऐसी चीजों व्यस्त न हो तो उस समय अपनी बात कहें। आप उससे ये भी पूछ सकते हैं कि आपसे कब बात की जा सकती है। इससे वह आपकी बात को ध्यान से सुनेगा। साथ ही याद रखें कि बात करते हुए खुद भी मोबाइल का इस्तेमाल न करें। जब बोल रहे हों तो पूरा ध्यान सिर्फ बोलने पर रहे। बातों को घुमा-फिराकर न कहें जो आप कहना चाहते हैं, उसे कहने से पहले समरी तैयार करें और मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करें। बातचीत के पहले 30 सेकेंड के भीतर अपनी बात कहें। इससे सामने वाला व्यक्ति आपकी बात को पूरे अटेंशन के साथ सुनेगा। जब आपके पास कहने के लिए कोई महत्वपूर्ण बात हो तो ज्यादा समझाने के बजाय कम समझाना ज्यादा अच्छा होता है। आप जितना ज्यादा बोलेंगे, लोग उसे उतना ही कम याद रखेंगे। बातों में पॉजिटिविटी रखें पॉजिटिव बातें लोगों का ज्यादा ध्यान आकर्षित करती हैं। शिकायतों, बहानों और निराशावादी बातचीत से बचना चाहिए। दूसरे व्यक्ति पर काेई आरोप लगाए बिना अपनी भावनाओं काे व्यक्त करें। फैक्ट्स आधारित बातें करें, गप्प नहीं किसी स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर बताने से सामने वाले व्यक्ति के मन में आपका सम्मान कम हो जाता है। इसके बजाय फैक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करें और जहां तक हो सके, ईमानदार रहें। लोग बेबुनियाद बातों की तुलना में तथ्य पर आधारित जानकारी को सुनने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं। बनें नहीं, स्वाभाविक रूप से बातचीत करें बातचीत के दौरान ज्यादा बनने की कोशिश न करें। जैसे हैं, वैसे ही बात करें। आवाज न ज्यादा तेज हो, न बहुत धीमी। सहज होकर बोलें ताकि आत्मविश्वास से भरे लगें। जब आप मिलनसार, शांत और आत्मविश्वासी होते हैं तो लोगों के सुनने की संभावना अधिक होती है। बातचीत के दौरान पॉज लेकर सोचें बातचीत के दौरान हल्का पॉज लेना, फिर से ध्यान केंद्रित करने और सार्थक बातचीत करने का समय देता है। जब भी आप बातचीत में कोई विचार साझा करते हैं तो एक छोटा सा पॉज लें। इस दौरान अपने अगले शब्दों पर विचार करें और अब जो आप बोलने जा रहे हैं, उस पर ध्यान केंद्रित करें। इससे अपनी बात को बेहतरीन तरीके से रखने मदद मिलती है। बॉडी लैंग्वेज में आत्मविश्वास दिखाएं बॉडी लैंग्वेज लोगों को दिखाती है कि आपके पास कहने के लिए कुछ महत्वपूर्ण है। बातचीत के दौरान सीधे खड़े रहें, आगे की ओर देखें और बात करते समय अपने चेहरे को रिलैक्स रखें। बॉडी लैंग्वेज आपकी भावनाओं की एक ईमानदार छवि है। इसलिए ये सुनिश्चित करें कि बॉडी लैंग्वेज आपके शब्दों और इरादों से मेल खाए। यदि आप ईमानदारी से बोलते हैं और पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल करते हैं तो लोग मानेंगे कि आप सच्चे हैं। आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें जिस व्यक्ति से बात कर रहे हैं, उसके साथ सहज रूप से आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें। जब आप बात कर रहे हों तो 50% आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें और जब आप सुन रहे हों तो 70% समय आई कॉन्टैक्ट बनाएं। जब आप आई कॉन्टैक्ट बनाते हैं तो अधिक भरोसेमंद और ईमानदार लगते हैं। दूसरों की बात भी ध्यान से सुनें जब आप किसी की बात ध्यान से सुनते हैं तो ये दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है। चाहे परिवार के किसी सदस्य के साथ गंभीर बातचीत हो या कुछ कुलीग्स के साथ डिस्कशन, उसे सुनने का प्रयास करें। दूसरे व्यक्ति को अटेंशन दें और उसके दृष्टिकोण के साथ सहानुभूति रखें। लोगों को सुनने के लिए आपको उन्हें दिखाना होगा कि आप भी एक अच्छे श्रोता हैं। दूसरे व्यक्ति को बीच में टोकने से बचें। इसके बजाय उन्हें छोटे-छोटे इशारों से दिखाएं कि आप सुन रहे हैं। यदि आप चाहते हैं कि वे आपके विचारों का सम्मान करें तो आप भी उन्हें वही सम्मान दें। …………………..