यूपी कॉलेज में नमाज पढ़ने पहुंचे 900 लोग:विरोध में छात्रों ने हनुमान चालीसा पढ़ी; वक्फ बोर्ड के 6 साल पुराने नोटिस पर मचा बवाल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उदय प्रताप कॉलेज में बनी एक मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यहां बीते शुक्रवार यानी जुमे के दिन बड़ी तादाद में लोग नमाज पढ़ने पहुंचे। इसके विरोध में 2 दिसंबर को छात्रों ने कॉलेज के गेट पर हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया। हालात बेकाबू होने पर पुलिस मौके पर पहुंची और 7 छात्रों को हिरासत में लिया। कॉलेज के अंदर और बाहर अभी भी पुलिस तैनात है। हालांकि, विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि अगर नमाजी दोबारा कॉलेज में घुसे तो और बड़ा आंदोलन होगा। ‘पहले 20-25 लोग नमाज पढ़ने आते थे, जुमे को 900 लोग आ गए’ यह पूरा विवाद यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक पुराने नोटिस के वायरल होने के बाद शुरू हुआ है। दरअसल, 115 साल पुराना उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी के भोजूबीर इलाके में लगभग 100 एकड़ में बना है। कॉलेज कैंपस में एक छोटी मस्जिद है, जहां कुछ लोग लंबे समय से नमाज पढ़ने आते हैं। 25 नवंबर को कॉलेज के स्थापना दिवस पर सीएम योगी आदित्यनाथ कॉलेज आए थे। उन्होंने घोषणा की कि इस कॉलेज में 25 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, इसलिए इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाना चाहिए।’ इस घोषणा के बाद यूपी सुन्‍नी वक्फ बोर्ड की 6 साल पुरानी एक नोटिस वायरल होने लगी, जिसमें मस्जिद को वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी बताया गया था। सोमवार को हुए प्रदर्शन में शामिल कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष सुधीर सिंह कहते हैं, नोटिस वायरल करने के पीछे यह इरादा था कि खबर फैल जाए कि जब कॉलेज के पास अपनी संपत्ति ही नहीं है, कॉलेज वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी है तो इसे विश्वविद्यालय का दर्जा कैसे दिया जा सकता है। जबकि कॉलेज वक्फ बोर्ड के दावे को 2018 में ही नकार चुका है। छात्रों ने वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका, हनुमान चालीसा पढ़ी कॉलेज के प्रधानाचार्य डीके सिंह के मुताबिक, पहले यहां सीमित संख्या में लोग नमाज पढ़ने आते थे, लेकिन बीते शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग परिसर में नमाज पढ़ने पहुंचे। सुधीर सिंह कहते हैं, ’29 नवंबर को जुमे के दिन अचानक मस्जिद में पूरे जनपद से 800 से 900 लोग नमाज पढ़ने चले आए। आमतौर पर कॉलेज के स्टाफ के कुछ लोग और उनके रिश्तेदार वगैरह ही नमाज पढ़ने आते थे। यह संख्या 20-25 की होती थी। कॉलेज को धर्मयुद्ध का अखाड़ा बना दिया गया। इस पर छात्र आक्रोशित हुए और उन्होंने विरोध किया।’ सुधीर कहते हैं, ‘2 दिसंबर को हमने वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका। इसके बाद कॉलेज के मेन गेट पर हनुमान चालीसा का पाठ किया। हमने सभी सामाजिक संस्थाओं और संतों को भी पत्र लिखकर कहा कि अगर कॉलेज में नमाजी आए तो हम बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे। हमें वाराणसी बार एसोसिएशन और सेंट्रल बार एसोसिएशन सहित कई संगठनों का समर्थन मिला है।’ 2018 में वक्फ बोर्ड ने नोटिस में मस्जिद को वक्फ की प्रॉपर्टी बताया था 6 दिसंबर 2018 को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत यूपी कॉलेज को नोटिस भेजा था। भोजूबीर तहसील सदर के रहने वाले वसीम अहमद खान ने इस नोटिस का रजिस्ट्री लेटर भेजा था। इसमें कॉलेज प्रशासन से कहा गया, ‘कॉलेज की छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है। इसे नवाब ने वक्फ को दे दिया था, लिहाजा ये वक्फ की संपत्ति है और इसे कब्जे में लिया जाना चाहिए। अगर 15 दिन के अंदर कॉलेज की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया, तो इसके बाद कॉलेज की आपत्ति नहीं सुनी जाएगी।’ तब इस नोटिस का कॉलेज की तरफ से जवाब दे दिया गया था। यूपी कॉलेज शिक्षा समिति के तब के सचिव यूएन सिन्हा ने 21 दिसंबर को इसके जवाब में कहा था कि कॉलेज की स्थापना 1909 में चैरिटेबल एंडाउमेंट एक्ट के तहत हुई थी। उदय प्रताप कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह के मुताबिक, यूएन सिन्हा ने वक्फ बोर्ड को दिए अपने जवाब में कहा था कि एंडाउमेंट ट्रस्ट की जमीन न खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है और किसी भी तरह का मालिकाना हक भी है तो एक्ट के जरिए यह हक खत्म हो जाता है। कुछ लोग मस्जिद का रिनोवेशन करवाना चाहते थे डीके सिंह के मुताबिक, ‘यह किसी अवांछनीय तत्व की हरकत है जो अब कॉलेज की जमीन को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन बता रहा है। परिसर के कागज खतौनी विवरण में कहीं भी मस्जिद का जिक्र नहीं है।’ डीके सिंह के मुताबिक, कॉलेज की तरफ से जवाब दे देने के बाद से ही बोर्ड की तरफ से आगे कोई लेटर नहीं भेजा गया था। हालांकि इधर कुछ लोग मस्जिद में कुछ निर्माण कार्य कराना चाहते थे, जिस पर कॉलेज ने एक्शन लिया और पुलिस के सहयोग से निर्माण सामग्री हटवा दी थी। 2022 में ही पुलिस को बता दिया गया था कि परिसर में कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता है।’ कॉलेज ने मजार की बिजली भी कटवा दी थी क्योंकि मजार पर अवैध रूप से कॉलेज से ही बिजली चोरी करके इस्तेमाल की जाती थी। उस समय भी बोर्ड ने नोटिस भेजा था, लेकिन तब के प्राचार्य और सचिव ने सक्रियता से इसका जवाब दे दिया था। दावा करने वाले वसीम अहमद खान का निधन हो चुका है मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भोजूबीर के रहने वाले वसीम अहमद खान का 2023 में 75 वर्ष की उम्र में निधन हो चुका है। 2022 में वसीम अहमद ने वक्फ बोर्ड से कहा दिया था कि अब उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती, लिहाजा वह इस मामले की पैरवी नहीं कर सकते। मस्जिद के इतिहास में बताया जाता है कि 1857 के गदर में अंग्रेजों ने टोंक के नवाब को यहां नजरबंद कर दिया था। उनके कुछ लोग उनकी वजह से यहां बस गए थे और नवाब ने उन लोगों के लिए एक बड़ी मस्जिद और एक छोटी मस्जिद बनवाई थी। यूपी कॉलेज के परिसर में छोटी मस्जिद है। कॉलेज में एग्जाम जारी, छात्रों ने कहा, ‘नमाजी आए तो हम विरोध करेंगे’ कॉलेज में 2 दिसंबर से सेमेस्टर एग्जाम चल रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि एग्जाम ठीक से करवाने के लिए कॉलेज और प्रशासन पूरी तरह तत्पर है। मेन गेट के अंदर स्टूडेंट्स का आईकार्ड चेक करके ही प्रवेश दिया जा रहा है। स्टूडेंट्स और स्टाफ से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की गई है। हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। डीके सिंह का कहना है कि कॉलेज भी यही चाहता है कि लोग सीमित संख्या में ही नमाज अदा करने पहुंचें। एग्जाम को देखते हुए और शांति व्यवस्था के साथ नमाज अदा करने के लिए वाराणसी पुलिस प्रशासन ने परिसर में फोर्स तैनात कर दी है। यह खबर भी पढ़ें… ‘महिला के पढ़ने से प्रजनन दर क्‍यों घटती है’:MPSC प्रीलिम्‍स में पूछा गया सवाल; स्‍टूडेंट्स ने कहा- आयोग की मानसिकता पिछड़ी है महाराष्‍ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन यानी MPSC के प्रीलिम्‍स एग्‍जाम में ऐसा सवाल पूछा गया, जिसे असंवेदनशील बताया जा रहा है। स्‍टूडेंट्स और एजुकेशन एक्टिविस्‍ट्स का कहना है कि महिलाओं की शिक्षा को प्रजनन दर से जोड़ना बेहद अप्रासंगिक और गैर संवेदनशील है। पूरी खबर पढ़ें…