हाल ही में राजस्थान के जयपुर में मूवमेंट डिसऑर्डर नामक बीमारी को लेकर एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें शामिल हुए कुछ पीड़ितों ने बताया कि उन्हें ज्यादा लंबे समय तक पेन किलर खाने से ये समस्या हुई। पीड़ितों ने मूवमेंट डिसऑर्डर से होने वाली प्रॉब्लम्स के बारे में अपनी परेशानियां और अनुभव भी साझा किए। मूवमेंट डिसऑर्डर एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। अगर इसे सही समय पर कंट्रोल नहीं किया जाता है तो शारीरिक अपंगता भी हो सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, साल 2012 से 2018 के बीच भारत के तीन शहरों बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई के मूवमेंट डिसऑर्डर क्लीनिक में 14,561 नए रोगियों का इलाज किया गया। इसमें 9,578 पुरुष और 4,983 महिलाएं शामिल थीं। तो आज सेहतनामा में हम मूवमेंट डिसऑर्डर के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- मूवमेंट डिसऑर्डर क्या है? हमारे शरीर में जितना भी मूवमेंट होता है, वह सबकुछ ब्रेन से कंट्रोल होता है। ब्रेन में एक हिस्सा होता है सेरिबेलम, जो ब्रेन और शरीर के बीच समन्वय बनाता है। ये शरीर के अंगों को कंट्रोल करता है और उसे प्रतिक्रिया के लिए ऑर्डर देता है। जैसेकि हाथ हिलाना, बोलना, चलना, पलक झपकाना आदि। सेरिबेलम के डैमेज होने से मूवमेंट डिसऑर्डर की समस्याएं होती हैं। मूवमेंट डिसऑर्डर होने पर क्या होता है? मूवमेंट डिसऑर्डर होने पर बॉडी पर से कंट्रोल खत्म हो जाता है। हाथ-पैर कांप सकते हैं, बोलने में परेशानी हो सकती है। अगर आप हाथ उठाना चाहते हैं तो शायद न उठा पाएं, मुंह या गर्दन एक तरफ मुड़ जाए, अपनी इच्छानुसार कोई काम न कर सकें। इससे हर तरह का मूवमेंट प्रभावित हो सकता है। मूवमेंट डिसऑर्डर क्यों होता है? मूवमेंट डिसऑर्डर कई वजहों से हो सकता है। जयपुर में कुछ लोगों ने डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं खाईं थीं। उसकी वजह से उन्हें मूवमेंट डिसऑर्डर हुआ। हालांकि मूवमेंट डिसऑर्डर होने का यह महज एक कारण है। इसके अलावा भी कई अन्य वजहों से मूवमेंट डिसऑर्डर हो सकता है। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षण क्या होते हैं? मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें आमतौर पर शरीर के अंग असामान्य तरीके से काम करते हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक से मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षणों को समझिए- मूवमेंट डिसऑर्डर का खतरा किन लोगों को अधिक है? दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के न्यूरोलॉजी डायरेक्टर डॉ. राजुल अग्रवाल बताते हैं कि मूवमेंट डिसऑर्डर किसी को भी हो सकता है। हालांकि कुछ लोगों को इसका खतरा अधिक होता है। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए- मूवमेंट डिसऑर्डर का पता कैसे लगाया जा सकता है? मूवमेंट डिसऑर्डर के मामले अक्सर जटिल होते हैं। इसलिए डॉक्टर्स सबसे पहले पेशेंट की हिस्ट्री के आधार पर कई तरह के फिजिकल और न्यूरोलॉजिकल टेस्ट कराते हैं। इसके अलावा लक्षणों के आधार पर वे कुछ और टेस्ट करा सकते हैं। इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए- इसके अलावा डॉक्टर्स एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) भी करा सकते हैं। इन जांचों के आधार पर ही वे मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज करते हैं। मूवमेंट डिसऑर्डर से बचने के लिए क्या करें? डॉ. राजुल अग्रवाल बताते हैं कि किसी भी बीमारी से बचाव में हेल्दी लाइफ स्टाइल की बड़ी भूमिका होती है। इसलिए नीचे ग्राफिक में दी बातों का हमेशा ध्यान रखें। अगर आपको मूवमेंट डिसऑर्डर हो तो क्या करें? मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षण दिखने पर बिना देरी किए किसी स्पेशलिस्ट से मिलें। अगर चलने में दिक्कत हो या किसी भी बॉडी मूवमेंट में कोई असामान्य बात दिखे तो तुरंत किसी स्थानीय न्यूरोलॉजिस्ट या किसी फिजिशियन से सलाह लें। मूवमेंट डिसऑर्डर के इलाज के दौरान डॉक्टर की सलाह पर फिजिकल एक्टिविटी करें। इसके अलावा संतुलित डाइट लेना भी जरूरी है। मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज कैसे होता है? डॉ. राजुल अग्रवाल बताते हैं कि मूवमेंट डिसऑर्डर का इलाज लक्षण के आधार पर अलग-अलग तरीके से होता है। अधिकांश मूवमेंट डिसऑर्डर का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है। इसलिए ट्रीटमेंट का टारगेट लक्षणों काे कम करना है। हालांकि कुछ मूवमेंट डिसऑर्डर ऐसे होते हैं, जो इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। इसका इलाज किन तरीकों से किया जाता है, इसे नीचे पॉइंटर्स से समझिए- दवाइयों से कई दवाएं मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षणों को कंट्रोल कर सकती हैं। जैसेकि मसल्स को आराम देने वाली दवाएं अकड़न और दर्द को कम कर सकती हैं। मूवमेंट डिसऑर्डर का ही एक प्रकार है पार्किंसंस डिजीज। ब्रेन में एक खास केमिकल डोपामाइन की कमी से पार्किंसंस होता है। इसे डोपामिनर्जिक मेडिसिन से ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा कंडीशंस के आधार पर अन्य दवाओं से मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। फिजिकल थेरेपी से ये थेरेपी शरीर की फिजिकल एक्टिविटीज को बेहतर बनाने में मदद करती है। फिजियोथेरेपिस्ट दर्द और जकड़न जैसे मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षणों का इलाज करते हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपी से ये थेरेपी मरीज के डेली टास्क को पूरा करने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट मरीज को रोजमर्रा की एक्टिविटीज में आने वाली मुश्किलों से निपटने में मदद करते हैं। फिजिकल एक्टिविटीज में मदद करने वाली चीजों से छड़ी, वॉकर और व्हीलचेयर जैसे उपकरणों से मूवमेंट डिसऑर्डर के मरीज को चलने में मदद मिलती है। ये चलने में होने वाली परेशानी और दर्द काे कम करते हैं। स्पीच थेरेपी से ये थेरेपी बोलने और निगलने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है। स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपिस्ट या ऑडियोलॉजिस्ट बोलने में कठिनाई व किसी प्रकार के स्पीच डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों का इलाज करते हैं। साइकोथेरेपी मूवमेंट डिसऑर्डर की वजह से स्ट्रेस, डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसे मेंटल हेल्थ इशू भी होते हैं। साइकोथेरेपी के जरिए साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट मरीज की अनहेल्दी भावनाओं, विचारों और व्यवहारों का पता लगाते हैं और उसका इलाज करते हैं। बोटुलिनम टॉक्सिन (बोटॉक्स) इंजेक्शन से इस इंजेक्शन की मदद से डिस्टोनिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है। डिस्टोनिया मूवमेंट डिसऑर्डर का ही एक प्रकार है। इसमें चेहरे की मसल्स में ऐंठन, असामान्य तरीके से पलकें झपकना, गर्दन में दर्द या जकड़न, बोलने में परेशानी, आवाज में कंपन या हाथों में ऐंठन हो सकती है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (DBS) से इसमें एडवांस पार्किंसंस डिजीज, डिस्टोनिया और अन्य न्यूरोलॉजिकल मूवमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की ब्रेन सर्जरी की जाती है। इससे काफी हद तक मूवमेंट डिसऑर्डर को कंट्रोल किया जा सकता है। ………………………… सेहतनामा की ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- कैंसर डाइट पर सिद्धू कितने सही:क्या डाइट सचमुच मददगार है, कैंसर में क्या खाना चाहिए, डॉक्टर की जरूरी सलाह पूर्व भारतीय क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा कि उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू अब कैंसर से मुक्त हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि नवजोत कौर ने दवाओं के साथ डाइट में कुछ खास चीजें शामिल करके चौथे स्टेज के कैंसर पर काबू पा लिया है। पूरी खबर पढ़िए…