रिलेशनशिप- दूसरों से खुद को कमतर समझते हैं?:सेल्फ-एस्टीम की है कमी, कैसे बढ़ाएं, साइकोलॉजिस्ट की ये 8 सलाह आपके काम आएगी

आत्म-सम्मान या सेल्फ-एस्टीम हमारे जीवन का आधार है। जब हम खुद को वैल्यू देते हैं, आत्मविश्वास से भरे होते हैं, तब हम किसी भी चुनौती का सामना बेहतर तरीके से कर पाते हैं। हालांकि, कभी-कभी कुछ परिस्थितियों और नकारात्मक सोच के कारण हम खुद को कम आंकने लगते हैं। यह लो सेल्फ-एस्टीम की वजह से होता है, जो हमारे जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपका आत्मविश्वास कम है? क्या इससे आपकी मेंटल हेल्थ, काम या रिश्तों पर असर पड़ रहा है? जब हम खुद को कम समझते हैं तो हर चीज मुश्किल लगने लगती है। हालांकि, धीरे-धीरे आप अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं। छोटे-छोटे बदलाव और कुछ आसान कदमों से आप फिर से आत्मविश्वास महसूस कर सकते हैं। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- सेल्फ-एस्टीम क्या है? सेल्फ-एस्टीम ऐसी भावना है, जो हमें अपनी अहमियत का एहसास कराती है। जब हम खुद को समझते हैं, अपनी खूबियों को पहचानते हैं, तब खुद को वैल्यू देते हैं। क्या आपने कभी महसूस किया है कि आप किसी की तारीफ से खुश हो जाते हैं? ठीक वैसे ही, जब आप खुद को समझते हैं तो आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। सेल्फ-एस्टीम का मतलब है, खुद को सम्मान देना, खुद से प्यार करना और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना। खुद को समझकर और वैल्यू देकर, हम जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाते हैं। हम सबकी अपने बारे में एक राय होती है। ये राय हमारे जीवन और दूसरों के साथ हमारे रिश्तों पर गहरा असर डालती है। सेल्फ-एस्टीम का महत्व सेल्फ-एस्टीम मेंटल हेल्थ, रिलेशनशिप और प्रोफेशनल ग्रोथ पर गहरा असर डालती है। लो सेल्फ-एस्टीम की वजह से असफलताओं पर अधिक ध्यान जाता है और अपनी छोटी सफलता को नजरअंदाज करते हैं। इससे डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है। हेल्दी सेल्फ-एस्टीम मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाती है। आप तनाव कम महसूस करते हैं। किसी से बात करने और उनकी मदद लेने में सहज होते हैं। कम आत्म-सम्मान होने पर आप समाज से कट सकते हैं, जबकि बेहतर आत्म-सम्मान की वजह से खुलकर संवाद करते हुए मजबूत रिश्ते बना सकते हैं। लो सेल्फ-एस्टीम के कारण कम आत्म-सम्मान के कई कारण हो सकते हैं। विचार, अतीत के अनुभव और दूसरों के साथ रिश्तों का भी इस पर प्रभाव पड़ता है। किशोरावस्था से वयस्क होने तक आत्म-सम्मान बढ़ता है और 50-60 साल की उम्र में यह चरम पर होता है। हालांकि, अकेलापन और सोशल सपोर्ट की कमी से सेल्फ-एस्टीम में कमी आ सकती है। इंसान एक सामाजिक प्राणी है और अकेलेपन में मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकता है। बचपन में माता-पिता या अन्य व्यक्तियों द्वारा किया गया शारीरिक या भावनात्मक शोषण भी आपके आत्म-सम्मान को कम कर सकता है। सोशल मीडिया पर दूसरों के साथ तुलना करने से भी आत्म-सम्मान में कमी आ सकती है। सेल्फ-एस्टीम बढ़ाने के तरीके हम सभी के भीतर एक आवाज होती है। अगर हम खुद से यह कहते हैं, ‘मैं कुछ नहीं कर सकता’ या ‘मेरे दोस्त मुझे छोड़ देंगे’ तो इससे हमारा आत्म-सम्मान कम होने लगता है। नकारात्मक सोच को सकारात्मक विचारों में बदलना सेल्फ-एस्टीम बढ़ाने में मदद कर सकता है। आइए इसे ग्राफिक के माध्यम से समझते हैं। खुद से करें पॉजिटिव बातचीत अगर आप खुद से यह कहते हैं, “मैं कुछ नहीं कर सकता हूं।” तो आप अपने रास्ते में खुद ही रुकावट डाल रहे हैं। जितना खुद को कमतर समझेंगे, आगे बढ़ने में उतनी ही मुश्किल होगी। ऐसे में खुद से बोलें, “मैं यह कर सकता हूं।” ताकत को पहचानें क्या आपने अपनी छोटी-छोटी सफलताओं पर ध्यान दिया है? जैसे, अपने जिम रूटीन को पूरा करना या किसी मुश्किल प्रोजेक्ट को समय पर खत्म करना। जब भी आपको लगे कि आप किसी चीज में सफल नहीं हो रहे हैं तो खुद को याद दिलाएं कि आपने पहले कितनी मुश्किलें आसान की हैं। सीखने की कोशिश करें यह जरूरी नहीं कि आप सब कुछ परफेक्ट करें। सबसे महत्वपूर्ण है कि आप सीखते रहें। नई स्किल सीखने की कोशिश करें। चाहे वह आपकी नौकरी से संबंधित हो या शौक से। छोटे लक्ष्य बनाएं बड़ी उम्मीद पालने के बजाय छोटे और साधारण लक्ष्य बनाएं। हर छोटे लक्ष्य की सफलता आपको आत्मविश्वास और ऊर्जा देगी। इसके साथ बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ें। या किसी बढ़े लक्ष्य को हिस्से में बांट लें और एक-एक स्टेप बढ़ें। जैसे आपको एक दिन में कोई किताब पढ़कर खत्म करनी है तो इसे सुबह के समय उठकर एक चौथाई हिस्सा खत्म करें, लंच के दौरान बुक पढ़ें, शाम को नाश्ते के दौरान पढ़ सकते हैं। दोस्तों को बुलाकर उन्हें किताब पढ़कर सुना सकते हैं और रात को सोने से पहले इसे खत्म कर सकते हैं। अपना ख्याल रखें अगर आप खुद को महत्वपूर्ण समझते हैं, तो अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें। हेल्दी डाइट लें, सही नींद और मानसिक शांति आपके आत्म-सम्मान को बढ़ाती है। मेडिटेशन और एक्सरसाइज करें। पॉजिटिव लोगों को दोस्त बनाएं ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं, जो आपको समझते हैं, आपकी सराहना करते हैं। जिनका प्रभाव आपके जीवन पर सकारात्मक हो। मदद लें नकारात्मक विचारों से परेशान हो जाएं तो मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं। अपने दोस्त, परिवार या किसी पेशेवर से बात करें।