रिलेशनशिप- परिवार में क्यों आ जाती हैं दूरियां:क्या करें कि एक–दूसरे के ज्यादा करीब आ सकें, रिलेशनशिप कोच की 10 सलाह

आजकल परिवारों में तनाव और गलतफहमियां बढ़ती जा रही हैं। कभी-कभी छोटी-सी बात पर विवाद हो जाता है और इन विवादों की वजह से इमोशनल डिस्टेंस इतना बढ़ जाता है कि हम एक-दूसरे के दर्द को नहीं समझ पाते हैं। इस वजह से रिश्तों में तनाव पैदा होता है। ऐसी परिस्थितियों में पूरे परिवार का सुकून छिन जाता है और सब तनाव भरे माहौल में जीते हैं। लोग आपस में बातें शेयर करना बंद कर देते हैं। अपनी तकलीफ अंदर दबाए रह जाते हैं। इससे मुसीबत और बढ़ जाती है। हमें यह महसूस होने लगता है कि जो प्यार और समझदारी जिन्दगी का हिस्सा हुआ करती थी, वह कम होती जा रही है। हम चाहते हैं कि परिवार में फिर से वह खुशियां लौटें, जो कभी हमारे रिश्तों की पहचान हुआ करती थी। हमारे बीच प्यार और समझदारी बनी रहे। हालांकि, यह आसान नहीं होता है। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- परिवार में क्यों बढ़ता है तनाव? पारिवारिक रिश्तों में तनाव बढ़ने की मुख्य वजह कम्युनिकेशन की कमी, इमोशनल कनेक्शन का अभाव और बिना सुने-समझे समाधान बताने और सलाह देने की आदत है। जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे की बात नहीं सुनते या अपने इमोशंस को सही तरीके से आपस में शेयर नहीं करते, तो रिश्तों में दूरियां पैदा होती हैं। साथ ही पुराने एक्सपीरियंस और परिपक्वता की कमी भी तनाव का कारण बनती है। हम कभी-कभी एक-दूसरे को पुराने तरीके से ही समझने की कोशिश करते हैं जबकि इस दौरान दोनों के विचार और नजरिए में बदलाव आ चुका होता है। प्यार और सम्मान न करने से भी रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। यदि हम अपने परिवार के सदस्यों की जरूरतों और भावनाओं का सम्मान करें और आपस में खुलकर बात करें, तो फैमिली स्ट्रेस को कम किया जा सकता है और रिश्तों में शांति और सामंजस्य बना रहता है। फैमिली रिलेशन कैसे सुधारें? पारिवारिक रिश्तों में इमोशनल नजदीकियां बढ़ाने के लिए खुद पहल करना सबसे जरूरी है। खुद पहल करेंगे तो फैमिली आपको एक पॉजिटिव उदाहरण के रूप में देखेगी। यह समझना भी जरूरी है कि करीबी रिश्ते होने का मतलब यह नहीं है कि सब एक जैसे हों। परिवार के हर सदस्य की अपनी जरूरतें और अनूठी विशेषताएं होती हैं। पारिवारिक रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए आपको सुनना सीखना होगा, सहानुभूति दिखाना होगा और परिवार के सदस्यों को इमोशनल सपोर्ट देना होगा। साथ ही हर सदस्य के जीवन को समझना और बदलाव को स्वीकार करना भी संबंधो को गहरा बनाता है। प्यार दिखाना, गलतियों को स्वीकार करना और हर व्यक्ति की भावनात्मक जरूरतों को समझना पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करता है। बड़े बच्चों की आजादी का करें सम्मान घर के बच्चे अब बड़े हो चुके हैं। इस बात को आप जितनी जल्दी स्वीकार करेंगे दोनों के बीच रिश्ते उतने ही बेहतर होंगे। यह समझना जरूरी है कि उन्हें आजादी और प्राइवेसी की आवश्यकता है। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उनकी अपनी पहचान, प्राथमिकताएं और विचार विकसित होते हैं। इसलिए, बच्चों के साथ बातचीत करते हुए सहानुभूति और समझदारी दिखाएं। उन्हें खुद के फैसले लेने और जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने का अधिकार दें। किसी नए काम को करते समय घर के बच्चों से सलाह लें और उनकी राय का सम्मान करें। बदलते दौर में, बच्चे नई चीजों की बेहतर समझ रखते हैं। आपको अपनी उम्मीदों और अपेक्षाओं में भी लचीलापन लाना होगा। बच्चों के जीवन में बदलाव और चुनौतियां आ सकती हैं। आपको उनके अनुभवों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। आप उनकी जिंदगी में एक साथी बनकर, बिना निर्णय लेने की कोशिश किए, उन्हें सही मार्गदर्शन दे सकते हैं। बच्चों के साथ खुले दिल से बात करने का माहौल बनाएं, ताकि वे बिना किसी हिचक के अपने विचार और इमोशंस शेयर कर सकें। दूर-दराज के रिश्तों को बनाएं बेहतर परिवार में हर किसी का सोचने और चीजों को देखने का अपना नजरिया होता है। कभी-कभी इससे रिश्तों में दूरी आ जाती है, लेकिन इसे सुधारने के कुछ आसान तरीके हैं। सबसे पहले, हमें अपने भीतर समझ विकसित करनी होगी। अगर हम एक-दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करें, तो अलग-अलग जगहों पर रहने के बावजूद रिश्ते बेहतर बने रहते हैं। कई बार परिवार के लोग अलग-अलग जगहों पर रहते हैं। ऐसे में मेल-मिलाप कम हो पाता है और रिश्ते में दूरी पैदा हो जाती है। ऐसे में कुछ महीने या साल में एकाध बार साथ में समय बिताना भी रिश्तों को मजबूत करता है। छोटी-छोटी बातों के जरिए भी संपर्क बनाए रखें। फोन कॉल्स, मैसेज और किसी त्योहार पर पूरे परिवार का इकट्ठा होना या मिलने का समय तय करना रिश्तों को और गहरा बनाता है। एक-दूसरे की असमानताओं को स्वीकार करें। परिवार के लोग हमेशा एक जैसे नहीं होते, लेकिन यही विविधता रिश्तों को और खास बनाती है। याद रखें, रिश्ते तभी टिकते हैं जब हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और समझते हैं।