2025 की पहली एकादशी 10 जनवरी को:संतान के सुख और सौभाग्य की कामना से किया जाता है पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए व्रत से जुड़ी खास बातें

शुक्रवार, 10 जनवरी को नए साल 2025 की पहली एकादशी है। शुक्रवार पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसका नाम पुत्रदा है। ये व्रत खासतौर पर संतान के सुख और सौभाग्य की कामना से किया जाता है। जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें… एकादशी व्रत करने की सरल विधि एकादशी व्रत करने वाले भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए एकादशी व्रत और पूजा करने का संकल्प लें। भगवान विष्णु, महालक्ष्मी और बालगोपाल का अभिषेक करें। विष्णु पूजा के बाद दिनभर निराहार रहना होता है। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फल खाते हैं और दूध का सेवन करते हैं। व्रत करने के लिए मन, वचन, और कर्म से पवित्रता बनाए रखनी होती है। ऐसे कर सकते हैं विष्णु पूजा शुक्रवार और एकादशी के योग में शुक्र ग्रह की भी करें पूजा 10 जनवरी को शुक्रवार और एकादशी का योग है। ऐसे में इस दिन शुक्र ग्रह की भी पूजा करनी चाहिए। शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, हार-फूल, जनेऊ, अबीर, गुलाल, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। शिव जी मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में ऊँ नम: शिवाय और ऊँ शुक्राय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करना चाहिए। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को दूध-चावल का दान करें। आप चाहें तो दूध-चावल से बनी खीर का दान भी कर सकते हैं।