ट्रम्प के ग्रीनलैंड पर कब्जा वाले बयान पर फ्रांस-जर्मनी नाराज:डेनमार्क बोला- ग्रीनलैंड की आजादी मंजूर, लेकिन अमेरिका का कभी नहीं होने देंगे

डोनाल्ड ट्रम्प के ग्रीनलैंड पर कब्जा करने की धमकियों के बाद फ्रांस और जर्मनी ने उन्हें ऐसा न करने की चेतावनी दी है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने बुधवार को कहा कि चाहे वह कोई भी देश हो, उसे यूरोपीय यूनियन के किसी देश और उसकी सीमाओं पर हमला करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बैरोट ने ग्रीनलैंड को यूरोपीय यूनियन का क्षेत्र कहा और कहा कि यह द्वीप डेनमार्क के जरिए यूरोपीय यूनियन से जुड़ा हुआ है। बैरोट ने कहा कि यूरोपीय यूनियन दुनिया के किसी देश को अपनी सीमा पर हमला करने नहीं देगा चाहे वे कोई भी क्यों न हों। हम एक मजबूत महाद्वीप हैं। बैरोट ने यह भी कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि ट्रम्प ग्रीनलैंड पर कब्जा करने के लिए हमला करेंगे। लेकिन यह भी सच है कि हम अब उस दौर में पहुंच रहे हैं जहां सिर्फ ताकतवर की ही मनमानी चलेगी। डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोकेके रासमुसेन ने बुधवार को कहा कि यदि ग्रीनलैंड के लोग चाहें तो वह आजाद हो सकता है, लेकिन वह किसी भी हाल में अमेरिका का राज्य नहीं बनेगा। रासमुसेन ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगम में किंग के साथ इस मुद्दे पर बातचीत भी की। डेनमार्क के ग्रीनलैंड पर कंट्रोल चाहते हैं ट्रम्प
दरअसल अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शपथग्रहण से पहले लगातार अपने सहयोगी और पड़ोसी देशों को परेशान करने वाले बयान दे रहे हैं। ट्रम्प ने दिसंबर में ग्रीनलैंड को अमेरिकी कंट्रोल में लेने की बात कही थी। इसके बाद से ट्रम्प कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं। ट्रम्प का कहना है कि नेशनल सिक्योरिटी और पूरी दुनिया में आजादी के लिए अमेरिका का ग्रीनलैंड पर कंट्रोल बेहद जरूरी है। ग्रीनलैंड उत्तरी अटलांटिक महासागर में मौजूद एक आईलैंड है। यह डेनमार्क के कंट्रोल वाला एक स्वायत्त क्षेत्र है। जिसका अपना प्रधानमंत्री होता है। जर्मनी बोला- कोई जबर्दस्ती सीमा को नहीं बदल सकता
जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टीफन हेबेस्ट्रेट ने ट्रम्प के बयान को लेकर कहा- हमेशा की तरह यहां भी पुराना सिद्धांत लागू होता है कि सीमाओं को न तो कोई जबरदस्ती खत्म कर सकता है और न ही इसे बदल सकता है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने इस मामले को लेकर कहा कि सीमाओं की अखंडता का सिद्धांत हर देश पर लागू होता है। चाहे वह पूर्व हो या पश्चिम। शोल्ज ने यह भी माना कि उन्होंने यूरोपीय यूनियन के कई नेताओं से इस मुद्दे पर चर्चा की है। ग्रीनलैंड पहुंचे ट्रम्प के बेटे जूनियर ट्रम्प
ट्रम्प के बेटे डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर 7 जनवरी को ग्रीनलैंड पहुंचे। इस दौरे को ट्रम्प के ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि ट्रम्प जूनियर ने साफ कर दिया था कि वे निजी दौरे पर ग्रीनलैंड जा रहे हैं और उनकी किसी सरकारी अधिकारी से मिलने की कोई योजना नहीं है। ट्रम्प जूनियर के ग्रीनलैंड जाने के बाद डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन का भी बयान आया है। फ्रेडरिक्सन ने कहा कि अमेरिका, डेनमार्क का करीबी सहयोगी है। यह बहुत अच्छी बात है कि अमेरिका ग्रीनलैंड को लेकर इच्छुक है, लेकिन ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है। अमेरिका ने पहले भी ग्रीनलैंड खरीदने की इच्छा जताई थी
यह पहली बार नहीं है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ग्रीनलैंड खरीदने की इच्छा जताई हो। इससे पहले 1946 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने डेनमार्क से 10 करोड़ डॉलर में इस बर्फीले द्वीप को खरीदने पेशकश दी थी। ग्रीनलैंड के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अमेरिकी वायुसेना का अड्डा है, जहां करीब 600 सैनिक तैनात हैं। पनामा नहर को छीनने की धमकी दे चुके हैं ट्रम्प ट्रम्प इससे पहले कनाडा और मेक्सिको को अमेरिका में मिलने का ऑफर दे चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने दो दिन पहले पनामा नहर को फिर से अमेरिकी कंट्रोल में लेने की धमकी भी दी थी। ये नहर कैरेबियन देश पनामा का हिस्सा है। इस नहर पर 1999 तक अमेरिका का कंट्रोल था। ट्रम्प की इस धमकी के बाद पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी। मुलिनो ने कहा था कि पनामा की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। ग्रीनलैंड से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… आज का एक्सप्लेनर:ग्रीनलैंड, पनामा और कनाडा पर कब्जा क्यों चाहते हैं ट्रम्प, इसके लिए किस हद तक जाएंगे; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है 29 नवंबर 2024 को कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रम्प से मिले। डिनर टेबल पर ट्रम्प ने कहा कि कनाडा को अमेरिका का ’51वां राज्य’ बन जाना चाहिए। इस मुलाकात से जुड़ी पोस्ट में भी ट्रम्प ने कनाडा के PM को ‘गवर्नर ट्रूडो’ कहा। ट्रम्प के इस विस्तारवादी रवैये की खूब चर्चा हुई। पूरी खबर यहां पढ़ें…