मंदिरों की प्रदक्षिणा करने की परंपरा:परिक्रमा के बिना अधूरी मानी जाती है पूजा, जानिए किस देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए

विधिवत पूजा-पाठ करते समय और मंदिरों में दर्शन करते समय प्रदक्षिणा यानी परिक्रमा भी खासतौर पर की जाती है। परिक्रमा के बिना पूजा अधूरी ही रहती है, ऐसी मान्यता है। कहा जाता है कि परिक्रमा करने से जाने-अनजाने पापों का फल हमें भोगना नहीं पड़ता है। जानिए परिक्रमा से जुड़ी खास बातें… परिक्रमा यानी प्रदक्षिणा का अर्थ है देवता और मंदिरों के चारों ओर घूमना। ये श्रद्धा, समर्पण और आस्था प्रकट करने का प्रतीक है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की अलग-अलग संख्या बताई गई है। जैसे सूर्य देव की सात परिक्रमा करनी चाहिए, भगवान गणेश की चार, विष्णु जी और उनके सभी अवतारों की चार, देवी दुर्गा की एक, हनुमान जी की तीन, शिव जी की आधी परिक्रमा करने का विधान है। शिव जी की आधी परिक्रमा क्यों करते हैं? शिव जी की आधी प्रदक्षिणा करने के पीछे पौराणिक वजह है। शिवलिंग दो हिस्सों में बना होता है, पहला हिस्सा शिवलिंग और दूसरा हिस्सा जलाधारी होता है। जब हम शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाते हैं तो वह जलाधारी से नीचे की ओर बहता है। शिवलिंग पर चढ़े हुए जल-दूध और अन्य चीजों पर हमारे पैर नहीं लगना चाहिए। अगर हम परिक्रमा के लिए जलाधारी से आगे बढ़ेंगे तो शिवलिंग पर चढ़े हुए जल-दूध पर हमारा पैर लगेगा, जो कि सही नहीं है। जलधारी को लांघना नहीं चाहिए। इसी वजह से जलधारी तक पंहुचकर शिवलिंग की परिक्रमा पूरी हो जाती है। परिक्रमा मंत्र यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।। मंदिरों में परिक्रमा करते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र का अर्थ ये है कि जाने-अनजाने में किए गए और इस जन्म और पुराने जन्मों के सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। परिक्रमा करते समय ये बातें ध्यान रखें परिक्रमा किसी भी देवमूर्ति या मंदिर में चारों ओर घूमकर करनी चाहिए। कुछ मंदिरों में मूर्ति की पीठ और दीवार के बीच परिक्रमा के लिए जगह नहीं होती है, ऐसी स्थिति में मूर्ति के सामने खड़े होकर ही गोल घूमकर प्रदक्षिणा की जा सकती है। परिक्रमा करते समय व्यक्ति देवता के चारों ओर घूमकर एक चक्र पूरा करता है, ये इस बात को दर्शाता है कि हमारा जीवन भगवान के आसपास चारों ओर घूमता है। परिक्रमा करने से हमारे मन में भगवान के लिए भक्ति भाव बना रहता है। परिक्रमा करने से मन होता है शांत