माघ महीने में नदियों में स्नान करने का महत्व काफी अधिक है। इस महीने में प्रयागराज के संगम में भक्त कल्पवास के लिए पहुंचते हैं। इस साल प्रयागराज में कुंभ का मेला लगा हुआ है। इतनी ठंड होने के बाद भी लाखों भक्त रोज गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर रहे हैं। मान्यता है कि इस महीने में किए गए नदी स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है। जानिए माघ मास में नदी स्नान की परंपरा से जुड़ी खास बातें… उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ग्रंथों में माघ स्नान के बारे में जिक्र है। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, शिप्रा, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। शास्त्रों में लिखा है कि – माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् ततः। इस श्लोक का अर्थ ये है कि माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है। माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके भगवान विष्णु, शिव जी का ध्यान करना, पूजन करना बहुत शुभ होता है, इसी वजह से करोड़ों भक्त हर साल माघ मास में कल्पवास के लिए प्रयागराज के संगम तट पहुंचते हैं। माघ मास की सर्दी में ठंडे पानी से स्नान करना, एक तप की तरह है। इसे भगवान के प्रति समर्पण की तरह माना जाता है। स्नान के बाद नदी के जल से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। नदी में स्नान न कर पाएं तो क्या करना चाहिए?