रिलेशनशिप- पेरेंट्स को देखकर बच्चे सीखते हैं ये 10 सबक:बच्चों के सामने भूलकर भी न करें ये 8 काम, साइकोलॉजिस्ट के सुझाव

बच्चों के पहले रोल मॉडल उनके माता-पिता ही होते हैं। वे अपने पेरेंट्स की हर एक एक्टिविटी और व्यवहार को बारीकी से नोट करते हैं और उसी से सबक सीखते हैं। बच्चे पेरेंट्स से न सिर्फ व्यवहारिक ज्ञान सीखते हैं, बल्कि उनकी पर्सनैलिटी और आदतें भी बच्चों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। उदाहरण के लिए अगर बच्चा देखता है कि उसके पेरेंट्स एक-दूसरे से प्यार और सम्मान के साथ बात करते हैं तो वह भी दूसरों के साथ ऐसा ही व्यवहार करता है। इसी तरह अगर पेरेंट्स समस्याओं का सामना करने के लिए धैर्य और समझदारी का परिचय देते हैं तो बच्चे भी यही सीखते हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि पेरेंट्स अपने व्यवहार और आदतों पर ध्यान दें क्योंकि यही बच्चे के भविष्य की नींव होती है। तो आज रिलेशनशिप कॉलम में हम बच्चों की लर्निंग स्किल के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- बच्चों में देखकर सीखने की क्षमता होती है तेज बच्चों का ब्रेन डेवलपिंग स्टेज में होता है। जब वे किसी चीज को देखते हैं तो उनका ब्रेन उस सूचना को तेजी से प्रोसेस करता है। इससे वह काम बच्चे के दिमाग में फीड हो जाता है और वह उसे जल्दी सीख जाते हैं। इसके अलावा बच्चों में अपनी इंद्रियों के माध्यम से सीखने की क्षमता तेज होती है। उनका ध्यान देखने और सुनने पर ज्यादा केंद्रित होता है। इससे वह नए अनुभवों को जल्दी समझते हैं। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों के सामने बहुत ही सहज रहना चाहिए। बच्चे अपने पेरेंट्स से सीखते हैं जीवन के ये सबक बच्चे अपने माता-पिता को देखकर कई चीजें सीखते हैं, जो उनके व्यवहार और भावनाओं से जुड़ी होती हैं। इनमें उठने-बैठने, खाने-पीने, बोलने, भावनाओं को व्यक्त करने, दूसरों का दुख समझने और विवादों को सुलझाने समेत कई चीजें शामिल हैं। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- आइए, अब ऊपर दिए कुछ पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। गुस्से और डर में आपकी प्रतिक्रिया से गुस्से और डर जैसी चुनौतीपूर्ण भावनाओं में आपकी प्रतिक्रिया बच्चों को सिखाती है कि उन्हें ऐसी स्थिति में खुद को कैसे संभालना है। अगर आप आसानी से इन परिस्थितियों को हैंडल करते हैं तो बच्चे भी यही सीखते हैं। दूसरों के साथ आपके व्यवहार से बच्चे हर किसी के प्रति आपके व्यवहार को देखते हैं। चाहे वह दोस्त हों, परिवार हो या कोई अजनबी। आप लोगों से कैसे पेश आते हैं, इसका उन पर काफी प्रभाव पड़ता है। गलतियों पर आपकी प्रतिक्रिया से गलतियां हर किसी से होती हैं, लेकिन आप उन्हें कैसे संभालते हैं, यह मायने रखता है। खासकर तब, जब आपके घर में छोटे बच्चे हैं। बहाने बनाने के बजाय अपनी गलतियों को स्वीकार करना उन्हें जवाबदेही सिखाता है। ईमानदारी से माफी मांगना उन्हें विनम्र बनाता है। सेल्फ केयर से बच्चे ये भी नोटिस करते हैं कि आप अपनी सेहत को कितनी प्रिऑरिटी देते हैं। अगर आप नियमित एक्सरसाइज करते हैं, संतुलित भोजन करते हैं और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करते हैं तो बच्चे इससे खुद की केयर करना सीखते हैं। विवादों को सुलझाने के तरीकों से आपका किसी भी विवाद को सुलझाने का तरीका बच्चों के लिए एक उदाहरण सेट करता है। अगर आप बिना पैनिक हुए किसी भी विवाद को आसानी से हैंडल करते हैं तो इससे बच्चे भी भविष्य में यही सीखते हैं। समस्याओं को हल करने के तरीके से प्रॉब्लम-सॉल्विंग एक ऐसी स्किल है, जो बच्चों को लाइफटाइम काम आती है। रोजमर्रा की समस्याओं से निपटने के प्रति आपका नजरिया उन्हें गंभीरता से सोचना सिखाता है और वे इससे किसी भी प्रॉब्लम को हल करना सीखते हैं। दूसरों की बातें सुनने के तरीकों से जब आप दूसरों की बातों को ध्यान से सुनते हैं और सोच-समझकर जवाब देते हैं तो आपके बच्चे भी इसका महत्व सीखते हैं। इससे उनमें धैर्यपूवर्क दूसरों की बात सुनने की क्षमता विकसित होती है। किसी भी काम को जिम्मेदारीपूर्वक करने से आप अपने काम को लेकर कितने जिम्मेदार हैं, इससे बच्चों में जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। वहीं अगर आप काम को बिना मन से बोझ समझकर करते हैं तो बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पशु-पक्षियों के साथ आपके व्यवहार से पशु-पक्षियों और पालतू जानवरों के प्रति आपके अच्छे व्यवहार से बच्चे जीवों के प्रति उदारता सीखते हैं। इससे उनमें जानवरों के साथ गलत व्यवहार न करने की भावना विकसित होती है। पेरेंट्स के इन व्यवहारों का बच्चों पर पड़ता नेगेटिव असर माता-पिता की छोटी सी गलती भी बच्चे के दिमाग पर बुरा प्रभाव डालती है। झूठ बोलना, बहानेबाजी करना या गुस्सा आने पर चिल्लाने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए पेरेंट्स को अपनी कुछ आदतों पर लगाम लगाना चाहिए। इसे नीचे ग्राफिक से समझिए- बच्चों को बचपन से ही सिखाएं अच्छी आदतें बचपन में सीखी गई आदतें जीवन भर काम आती हैं। इसलिए बच्चों को छोटी उम्र से ही अच्छी आदतें सिखानी चाहिए। इससे वे सफल और अच्छे इंसान बनते हैं। इनमें नियमित दिनचर्या से लेकर व्यवहारिक चीजों तक, सब कुछ शामिल करना चाहिए। जैसेकि- अंत में यही कहेंगे कि पेरेंटिंग सीखने और सिखाने की एक जर्नी है, जो आजीवन चलती रहती है।