ISRO के 100वें सैटेलाइट में टेक्निकल खराबी आई:NVS-02 सैटेलाइट मिशन ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सका, 29 जनवरी को लॉन्च किया था

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के 100वें NVS-02 सैटेलाइट मिशन में रविवार को तकनीकी खराबी आ गई। इंडियन स्पेस एजेंसी ने 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के जरिए NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च किया था। ISRO ने अपनी बेवसाइट पर जानकारी दी कि सैटेलाइट को जिस ऑर्बिट स्लॉट में स्थापित करना था, वहां जगह नहीं बन पाई। क्योंकि थ्रस्टर्स को फायर करने के लिए ऑक्सीडाइजर की एंट्री कराने वाले वाल्व नहीं खुले थे। फिलहाल सैटेलाइट सिस्टम ठीक है और अभी एलिप्टिकल ऑर्बिट में है। सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भारतीय क्षेत्र के ऊपर जियोस्टेशनरी सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित किया जाना था। लेकिन सैटेलाइट पर लगा लिक्विड इंजन ठीक से काम नहीं कर रहा है। अभी सैटेलाइट को ऑर्बिट में नहीं भेजा जा रहा है और आगे के लिए भी रोका जा सकता है। ऑर्बिट में नेविगेशन के लिए दूसरी रणनीति पर काम किया जा रहा है। NVS-02 ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल से 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी थी। इसरो का यह 100वां लॉन्चिंग मिशन था। यह ISRO के नए अध्यक्ष वी नारायणन के कार्यकाल का पहला मिशन है। 2250 किलो वजन और पावर हैंडलिंग क्षमता 3 किलोवाट
NVS-02 इसी NVS सीरीज का दूसरा सैटेलाइट है। इसका वजन 2250 किलो है और पावर हैंडलिंग क्षमता 3 किलोवाट है। NVS-02 सही और सटीक समय का अनुमान लगा सके, इसके लिए इसमें स्वदेशी और आयात की गई रुबिडियम एटॉमिक घड़ियों को लगाया गया है। लॉन्चिंग से करीब 19 मिनट 10 सेकंड के बाद NVS-02 अलग होगा। यह पृथ्वी से करीब 323 किमी ऊपर जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित होगा। इसका जीवनकाल लगभग 12 साल है। NVS-02 से GPS नेविगेशन सुविधा को बढ़ावा मिलेगा
लॉन्चिंग के बाद ISRO ने बताया था कि NVS-02 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में GPS जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से अरुणाचल तक का हिस्सा कवर करेगा। साथ ही साथ कोस्टल लाइन से 1500 किमी तक की दूरी भी कवर होगी। इससे हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए बेहतर नेविगेशन हेल्प मिलेगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो (ISRO) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसका पहला मिशन SLV-3 E1/ रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड के जरिए 10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया था। तब से 30 दिसंबर 2024 तक SHAR लॉन्चिंग व्हीकल के जरिए 99 मिशन लॉन्च कर चुका है। NVS-02 की खासियत- एटॉमिक वॉच, वजन 2250 किलोग्राम नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) भारत का इंडिपेंडेंट रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। जिसे भारतीय यूजर को सही पोजीशन, वेलॉसिटी और टाइम (PVT) सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है। NVS-01/02/03/04/05 सैटेलाइट्स को इन्हीं सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है।