महाराष्ट्र के गवर्नमेंट-सेमी गवर्नमेंट ऑफिस में मराठी अनिवार्य:नोटिस और निर्देश भी मराठी में होंगे; उल्लंघन करने वालों पर एक्शन

महाराष्ट्र सरकार ने गवर्नमेंट और सेमी-गवर्नमेंट ऑफिस में हर तरह के संवाद के लिए मराठी को अनिवार्य कर दिया है। आदेश के मुताबिक सभी नगरीय निकायों, सरकारी निगमों और सहायता प्राप्त संस्थानों में भी मराठी का इस्तेमाल जरूरी होगा। यह नियम पूरे राज्य में निर्देश बोर्ड और डॉक्यूमेंटेशन पर भी लागू किया गया है। राज्य के योजना विभाग ने सोमवार को अधिसूचना जारी की है। जिसमें कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। सरकार की मराठी भाषा नीति को पिछले साल मंजूरी मिली थी। इस नीति का उद्देश्य भाषा का संरक्षण, प्रचार और विकास करना है, ताकि मराठी का उपयोग सरकारी कामकाज में बढ़ाया जा सके। आदेश में शामिल नियम मराठी को 2024 में मिला शास्त्रीय भाषा का दर्जा महाराष्ट्र राजभाषा अधिनियम 1964 के मुताबिक राज्य में प्रस्ताव, पत्र और परिपत्र समेत सभी आधिकारिक दस्तावेज मराठी में होने चाहिए। 2024 में स्वीकृत हुई मराठी भाषा नीति ने भाषा के संरक्षण, संवर्धन, प्रसार और विकास के लिए सभी सार्वजनिक मामलों में मराठी के इस्तेमाल की सिफारिश की थी। पिछले साल अक्टूबर में, केंद्र सरकार ने लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। केंद्र ने कहा था कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से खास तौर पर एजुकेशन और रिसर्च फील्ड में रोजगार अवसर बढ़ेंगे। आदेश में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी जो भाषा नियमों का पालन नहीं करेंगे, उन पर एक्शन लिया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों की शिकायत ऑफिस के सीनियर अधिकारी या विभाग प्रमुखों से की जा सकती है। वे जांच करेंगे और जरूरी होने पर एक्शन लेंगे।