फिल्ममेकिंग में राइटिंग को सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं जितेंद्र:पंचायत फेम एक्टर बोले- स्क्रिप्ट अच्छी हो तो बाकी चीजें मायने नहीं रखती

पंचायत फेम एक्टर जितेंद्र कुमार इन दिनों अपने नए गाने ‘कह दो ना’ को लेकर चर्चा में हैं। ये गाना हाल ही में रिलीज हुआ है। इस गाने में उनके साथ मनप्रीत कौर भी हैं। अब जीतेंद्र ने गाने और अपने इंडस्ट्री के सफर के बारे में दैनिक भास्कर से बातचीत की। उन्होंने बताया कि फिल्ममेकिंग में राइटिंग सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर स्क्रिप्ट अच्छी हो तो बाकी चीजें मायने नहीं रखती है। पेश है जितेंद्र कुमार से हुई बातचीत के दौरान कुछ और खास अंश.. गाने की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा? जब मैंने पहली बार गाना सुना, तो मुझे यह नहीं पता था कि इसे किसने बनाया है। लेकिन रेखा मैम (रेखा भारद्वाज) की आवाज ने मुझे आकर्षित किया। जब मैं क्रिएटिव टीम से मिला और उन्होंने जिस तरीके से ब्रीफ किया मुझे बहुत अच्छा लगा। शूटिंग के दौरान, जब भी मस्ती और मजाक का मौका मिलता, हम इसका आनंद लेते थे और इस दौरान कुछ नई दोस्तियां भी बनीं। अपने पार्टनर्स में कौन-कौन सी क्वालिटीज आप देखना चाहते हैं? मेरे लिए तामझाम से ज्यादा, रोज की छोटी-छोटी बातें अहम होती हैं। बातचीत निरंतर बनी रहनी चाहिए और जो इंसान हर दिन आपके पास हो, उससे स्पेशल फीलिंग भी होनी चाहिए। स्पेशल महसूस कराने के लिए अलग-अलग मौकों पर कुछ खास करना जरूरी है। इसलिए, बेसिक चीजें ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। आप अपनी जर्नी को किस तरह से देखते हैं? मेरी जर्नी काफी रोचक रही है। मुझे बहुत अच्छे मौके मिले और मैं कई दिलचस्प किरदारों का हिस्सा बना। मुझे खुशी है कि मैं उन कहानियों का हिस्सा बना जो अलग और यूनिक थीं। मैं चाहता हूं कि मैं और भी नई कहानियां और किरदार करूं, जो लोगों ने पहले नहीं देखे हों। अब राइटिंग के काम को किस तरफ से देखते हैं? फिल्ममेकिंग में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा राइटिंग है। वही लोग जो फिल्म बना रहे हैं, उन्हें पता होता है कि क्या होने वाला है, कौन से किरदार होंगे और स्क्रीन पर क्या दिखाई देगा। राइटर और डायरेक्टर की कल्पना बहुत जरूरी है। अब एक्टर्स भी अच्छे राइटर्स के साथ काम करना चाहते हैं क्योंकि अगर स्क्रिप्ट अच्छी हो, तो बाकी सारी चीजें सेकेंडरी हो जाती हैं। इसलिए राइटिंग को सबसे ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। ओटीटी कैसा प्लेटफॉर्म है? 7-8 साल पहले जो साधारण कंटेंट था, वह अब बदल चुका है। अब लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बहुत तरह के कंटेंट देख रहे हैं, जो रोमांटिक, थ्रिलर और फैंटेसी जैसी शैलियों में होते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने फिल्म मेकर्स को ज्यादा स्वतंत्रता दी है, जिससे वे अपना कंटेंट ज्यादा प्रयोगात्मक तरीके से बना सकते हैं। अगर कंटेंट अच्छा होता है, तो लोग उसे पसंद करते हैं और यह हिट हो जाता है। डिसएग्रीमेंट्स को कैसे हैंडल करते हैं? ऐसी स्थितियां आती हैं जब डिसएग्रीमेंट्स होते हैं और उस समय लगता है कि सबसे बुरा हो गया है। कई बार यह निगेटिव एनर्जी देती है और आगे बढ़ने में रुकावट डालती है। मुझे लगता है कि ऐसी स्थिति में हमें कुछ भी दिल पर नहीं लेना चाहिए, क्योंकि जिंदगी बहुत छोटी है। किसी के साथ बिना कुछ कहे अगर आप कुछ रखते हैं, तो वह सिर्फ आपका नुकसान है। इसलिए, हमेशा खुलकर अपनी बात कहनी चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।