सुप्रीम कोर्ट बोला-चुनाव के वक्त फ्रीबीज का ऐलान गलत:लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप फ्री राशन दे रहे हैं, बिना कुछ किए पैसे दे रहे

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव के वक्त की जाने वाली मुफ्त की योजनाओं को गलत ठहराया। कोर्ट ने कहा कि लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप उन्हें मुफ्त राशन दे रहे हैं। बिना कुछ किए उन्हें पैसे दे रहे हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ड मसीह की बेंच शहरी इलाकों में बेघर लोगों को आसरा दिए जाने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अब 6 हफ्ते बाद दोबारा इस याचिका पर सुनवाई होगी। बेंच ने केंद्र से कहा;- हम आपकी परेशानी समझते हैं और सराहना करते हैं, लेकिन क्या यह अच्छा नहीं होगा कि आप ऐसे लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाएं और उन्हें देश के विकास का हिस्सा बनाएं। कोर्ट के केंद्र से सवाल-जवाब सवाल- बेंच ने केंद्र से पूछा कि कितने समय में शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन पूरा होगा। उन्होंने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप केंद्र से इसका जवाब मांगिए और हमें बताइए। केंद्र का जवाब- अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र जल्द इस मिशन को पूरा करेगा, इसमें शहरी बेघरों के लिए घर जैसी व्यवस्था और कई अन्य मसले शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट बोला- सरकार कब तक मुफ्त राशन बांटेगी
यह पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने फ्रीबीज को लेकर सख्त टिप्पणी की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार के मुफ्त राशन बांटने पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था- कब तक ऐसे मुफ्त राशन बांटा जाएगा। सरकार रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा कर रही? तब कोर्ट अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड दिए जाने से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान केंद्र ने अदालत को बताया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है। फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और EC को नोटिस भेज चुका है
15 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने फ्रीबीज पर केंद्र और EC को नोटिस भेजा था। एक याचिका में मांग की गई है कि चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित किया जाए। साथ ही चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर फौरन रोक लगाए। फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट में 2 मुख्य याचिकाएं… अक्टूबर 2024 : याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर बोले- फ्रीबीज को रिश्वत माना जाए
याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सोमवार (14 अक्टूबर) को CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने इस मामले को उठाया था। उन्होंने कहा कि विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों का फ्री योजनाओं का वादा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत या वोट के लिए प्रलोभन माना जाए। जनवरी 2022 : BJP नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दाखिल की
BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभाषा आप ही तय करें
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है। चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है। इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा। कोर्ट ही तय करे कि फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे। फ्रीबीज से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला-राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए पैसा है:जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं, मांग हो तो वित्तीय संकट का हवाला देने लगते हैं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फ्रीबीज मामले पर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि राज्यों के पास मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के लिए पैसे हैं, लेकिन जजों की सैलरी-पेंशन देने के लिए नहीं है। राज्य सरकारों के पास उन लोगों के लिए पूरा पैसा है जो कुछ नहीं करते, लेकिन जब जजों की सैलरी की बात आती है तो वे वित्तीय संकट का बहाना बनाते हैं। पूरी खबर पढ़ें पूर्व RBI गवर्नर बोले- फ्रीबीज पर श्वेत पत्र लाए सरकार:इसके फायदे और नुकसान लोगों को बताए पॉलिटिकल पार्टिज की ओर से ऑफर की जाने वाली फ्रीबीज यानी मुफ्त के उपहारों पर सरकार को श्वेत पत्र लाने की जरूरत है। यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने करीब छह महीने पहले कही थी। पीटीआई-भाषा के साथ एक इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लीडरशिप में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को इन मुफ्त उपहारों के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक करे। पढ़ें पूरी खबर…