रिलेशनशिप- कहीं आप मिक्स पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार तो नहीं:यह क्या है, कैसे करें पहचान, साइकोलॉजिस्ट से जानें 5 लक्षण

हम सभी का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है। यह हमारे सोचने के तरीके, इमोशंस और व्यवहार से तय होता है। इसी व्यक्तित्व से हमें समाज में पहचान मिलती है। कभी-कभी हम अपने आस-पास के लोगों में या खुद में कुछ ऐसे बदलाव देखते हैं, जो सामान्य नहीं लगते। ये बदलाव अगर लंबे समय तक बने रहें, तो ये पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का संकेत हो सकते हैं। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक तरह की मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है। इससे रिश्ते निभाने में मुश्किल होने लगती है। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में जानेंगे कि- पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है? पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है। इसमें व्यक्ति के सोचने, इमोशंस को समझने और दूसरों के साथ व्यवहार करने का तरीका बदल जाता है। यह समस्या दिमाग के काम करने के तरीके में गड़बड़ी के कारण होती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को लोगों से मिलने-जुलने में परेशानी होती है। इसका इलाज थेरेपी के जरिए किया जा सकता है। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक को विस्तार से समझते हैं। भावनात्मक अस्थिरता: इससे पीड़ित व्यक्ति अपने इमोशंस कंट्रोल नहीं कर पाता है। साथ ही उसे अपने इमोशंस को समझने और जाहिर करने में मुश्किल हो सकती है। सामाजिक कठिनाइयां: व्यक्ति को दोस्ती करने, नए रिश्ते बनाने में समस्या होती है। वह अक्सर अकेलापन महसूस करता है। सेल्फ-रिस्पेक्ट की कमी: व्यक्ति में सेल्फ-रिस्पेक्ट और सेल्फ-कॉन्फिडेंस की कमी होती है। हमेशा खुद को दूसरों से कम आंकता है। ज्यादा संवेदनशीलता: पीड़ित व्यक्ति को किसी भी प्रकार का नकारात्मक व्यवहार अधिक प्रभावित करता है। व्यवहार में कठोरता: व्यक्ति के व्यवहार में कठोरता होती है और वह किसी एक ही तरीके से कार्य करता है। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के प्रकार पर्सनैलिटी डिसऑर्डर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक्स को विस्तार से समझते हैं। पैरानॉयड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: इससे पीड़ित व्यक्ति दूसरों पर विश्वास नहीं करते हैं। इन्हें हमेशा धोखा खाने का डर लगा रहता है। स्किट्जॉयड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: ऐसे लोगों में नए दोस्त या रिश्ते बनाने की इच्छा नहीं होती है। ये अधिकतर अकेले ही रहते हैं। स्किजोटाइपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: ऐसे लोग समाज से अलग रहते हैं और भविष्य जानने जैसा अजीबोगरीब दावा करते हैं। एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: इसमें व्यक्ति दूसरों की भावनाओं की अनदेखी करते हैं। उन्हें किसी अपराधबोध का एहसास भी नहीं होता है। बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: इसमें व्यक्ति इमोशनली अस्थिर होते हैं। उनका व्यवहार जल्दी-जल्दी बदलता है। वह आत्महत्या का प्रयास भी कर सकते हैं। हिस्ट्रियॉनिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: इसमें व्यक्ति अटेंशन पाने के लिए नाटकीय तरीके से व्यवहार करते हैं। हमेशा सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनने की कोशिश करते हैं। नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: इसमें व्यक्ति में खुद को दूसरों से ज्यादा महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ मानने की भावना होती है। अवॉयडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: ऐसे लोग दूसरों के साथ घुलने-मिलने में हिचकिचाते हैं। उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि दूसरे उनकी आलोचना करेंगे। ऐसे लोग खुद को नाकाबिल समझते हैं। डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: ऐसी स्थिति में व्यक्ति दूसरों पर जरूरत से ज्यादा निर्भर होते हैं। वह खुद से निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते हैं। ऑब्सेसिव-कंपल्सिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर: ऐसे व्यक्ति नियमों और शेड्यूल पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं। हर काम को परफेक्शन के साथ करने के चक्कर में देर कर बैठते हैं। साथ ही काम के चक्कर में रिश्तों की उपेक्षा भी कर सकते हैं। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कारण पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मुख्य कारणों में आनुवांशिक वजहें हो सकती हैं। साथ ही बचपन के अनुभव शामिल हो सकते हैं। परिवार में किसी को मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम रही है, तो इस समस्या के होने का खतरा बढ़ सकता है। इलाज के तरीके पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का इलाज हर व्यक्ति की जरूरतों के हिसाब से किया जाता है। डॉक्टर व्यक्ति की स्थिति और लक्षणों को ध्यान में रखकर इलाज करते हैं। साइकोथेरेपी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT): इसमें नकारात्मक सोच को पहचानने और उसे बदलने में पर जोर दिया जाता है। डायलेक्टिकल बिहेवियरल थेरेपी (DBT): इसमें आपको अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझने और संभालने के तरीके सिखाए जाते हैं। साथ ही आपको दूसरों के साथ रिश्तों को सुधारने के तरीके बताए जाते हैं। मेडिकेशन कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में, जैसे डिप्रेशन, चिंता आदि में डॉक्टर आपको दवाइयां दे सकते हैं। हालांकि, इलाज का मुख्य तरीका थेरेपी ही है। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से निपटने के उपाय अगर आपका कोई अपना पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीड़ित है, तो घबराने की कोई बात नहीं है। किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार के सदस्य से बात करें, जो आपकी मदद कर सके। यहां कुछ आसान उपाय दिए गए हैं, जिससे आप इस समस्या से निपट सकते हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल की मदद लेें। मुश्किलों को पहचानें: सबसे पहले अपने व्यक्तित्व के उन पहलुओं को पहचानें, जो आपके लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। ये जानने के बाद आप एक योजना बना सकते हैं कि इनसे कैसे निपटा जाए। अच्छी आदतें अपनाएं: अपनी सेहत का ध्यान रखें। नियमित रूप से व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और हेल्दी डाइट लें। समय पर मदद लें: किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से मिलें और उनसे सलाह लें। वे आपको इस स्थिति से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। उनसे नियमित रूप से संपर्क में रहें ताकि आपकी स्थिति में सुधार होता रहे।