महाशिवरात्रि पर पति-पत्नी एक साथ करें पूजा:पूजा-पाठ, तीर्थ यात्रा जैसे धर्म-कर्म जीवन साथी के साथ करने से बढ़ता है आपसी प्रेम, सुखी रहता है वैवाहिक जीवन

बुधवार, 26 फरवरी को शिव-पार्वती की पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि है। इस दिन शिव मंदिरों में दर्शन-पूजन करने की परंपरा है। इस दिन घर में भी शिव पूजा और मंत्र जप करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक महाशिवरात्रि पर पति-पत्नी को एक साथ शिव पूजा करनी चाहिए, ऐसा करने से आपसी प्रेम बढ़ता है और भगवान की कृपा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। पूजा में शिव-पार्वती के मंत्र ऊँ उमा महेश्वराय नमः मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। पति-पत्नी को एक साथ पूजा क्यों करनी चाहिए? विवाह के समय पति-पत्नी एक-दूसरे को सात वचन देते हैं। इन सात वचनों में से एक वचन ये भी होता है कि पति-पत्नी एक साथ धर्म-कर्म और तीर्थ यात्रा करेंगे। पति या पत्नी अकेले कोई पूजा या तीर्थ यात्रा करते हैं तो उसका पूरा पुण्य नहीं मिलता है। ऐसी मान्यता है। पूजा-पाठ एक साथ करने से आपसी तालमेल बढ़ता है। धर्म-कर्म और तीर्थ यात्रा करने से विचारों में सकारात्मक बदलाव आता है और वैवाहिक जीवन के वाद-विवाद शांत होते हैं। एक-दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम की भावना बनी रहती है। नकारात्मकत्मता और भय दूर करता है महामृत्युंजय मंत्र महाशिवरात्रि की पूजा में घर और विचारों की नकारात्मकता दूर करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के जप से अनजाना भय भी दूर होता है। महामृत्युंजय मंत्र- ऊँ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्। विधिवता पूजा न कर पाएं तो शिवलिंग पर चढ़ाएं जल जो लोग महाशिवरात्रि पर विधिवत पूजा नहीं कर पा रहे हैं, वे शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र चढ़ाकर भी सामान्य पूजा कर सकते हैं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप करते हुए पति-पत्नी एक साथ शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऐसे कर सकते हैं शिव जी की सरल पूजा किसी शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शंकराय नम:, ऊँ रुद्राय नम: आदि मंत्रों का जप करें। शिव जी को चंदन, फूल, जनेऊ, वस्त्र चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। शिव जी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें। प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। धूप, दीप, कर्पूर जलाकर आरती करें। शिव जी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें। भक्तों को प्रसाद वितरित करें।