पैन इंडिया स्टार बनीं रश्मिका मंदाना का सफर आसान नहीं था। किरिक पार्टी से डेब्यू के बाद उन्होंने डबल शिफ्ट्स, स्क्रीन टेस्ट और रिजेक्शन झेले, लेकिन हार नहीं मानी। पुष्पा की सफलता ने उन्हें हर घर में पहचान दिलाई। अब अपनी पहली सोलो फिल्म ‘द गर्लफ्रेंड’ को लेकर उत्साहित रश्मिका ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अपने स्ट्रगल, स्टारडम और नए प्रोजेक्ट पर खुलकर बात की। कई बार शरीर ने जवाब दे दिया, लेकिन फिर भी सेट पर जाना पड़ा बहुत मुश्किल दौर था। ऐसा लगता था कि मैं पूरी ताकत से भाग रही हूं, लेकिन मंजिल नजर ही नहीं आ रही। दिन-रात मेहनत कर रही थी – डबल शिफ्ट्स, डायलॉग कोचिंग, स्क्रीन टेस्ट, रिजेक्शन। कई बार ऐसा हुआ कि शरीर ने जवाब दे दिया, लेकिन फिर भी सेट पर जाना पड़ा। हाथ जल जाते, कभी पेट दर्द से परेशान होती, फिर भी खुद को संभालना पड़ता। पर यही वो समय था जब मैंने खुद से वादा किया कि यह संघर्ष कभी बेकार नहीं जाएगा। जब भी निराश होती थी, खुद से कहती थी – ‘अच्छे दिन आएंगे, बस चलते रहो।’ यही सोच मेरी सबसे बड़ी ताकत बनी। मैं अपनी सबसे बड़ी कॉम्पटीटर खुद हूं मैं कभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं होती। हर फिल्म के बाद सोचती हूं, ‘अब इससे बेहतर क्या कर सकती हूं?’ जब ‘पुष्पा’ की, तब लगा कि ये बेस्ट है, लेकिन अब सोचती हूं कि इससे आगे क्या? मैं अपनी सबसे बड़ी कॉम्पटीटर खुद हूं। मैं यह नहीं चाहती कि लोग मुझे किसी और से कंपेयर करें। मेरा फोकस हमेशा खुद को बेहतर बनाने पर रहता है। मेरे लिए स्टारडम से ज्यादा जरूरी यह है कि लोग मुझसे कनेक्ट महसूस करें। जब लोग आपकी सच्चाई से प्यार करने लगते हैं, तो सफलता और असफलता मायने नहीं रखती। मैं बस पलभर का स्टारडम नहीं चाहती जब दिल्ली, पटना, मुंबई जैसे शहरों के लोग मुझे अपनाते हैं, तो यह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि लगती है। मैं बस पलभर का स्टारडम नहीं चाहती, बल्कि ऐसा प्यार चाहती हूं जो लंबे समय तक बना रहे। जैसे कहते हैं न, ‘घर की बेटी’, मैं चाहती हूं कि लोग मुझे उसी तरह से अपनाएं। मैं लोगों के दिलों का हिस्सा बनना चाहती हूं, उनकी बातचीत में रहना चाहती हूं। यही वजह है कि मैं हर फिल्म में अपनी पूरी जान लगा देती हूं। अब जब लोग इतना प्यार देते हैं, तो लगता है कि मेरी मेहनत सही दिशा में जा रही है। मेरे काम में अब आत्मविश्वास है, जो पहले नहीं था इन सालों में मैंने बहुत कुछ सीखा और खुद को काफी इवॉल्व किया है। शुरुआती दिनों में मैं परफॉर्म तो कर रही थी, लेकिन खुद पर उतना भरोसा नहीं था। लोग कहते थे कि मैं स्क्रीन पर अच्छी लगती हूं, लेकिन मैं खुद अपने काम से संतुष्ट नहीं थी। आज मुझे पता है कि जब मैं स्क्रीन पर आती हूं, तो लोग मुझ पर फोकस करते हैं। मेरे काम में अब एक आत्मविश्वास है, जो पहले नहीं था। यह मेरे लिए सबसे बड़ा बदलाव है और इसी पर मुझे गर्व भी है। ‘द गर्लफ्रेंड’ मेरी बेबी फिल्म है ‘द गर्लफ्रेंड’ मेरे लिए बहुत खास फिल्म है। यह एक अलग तरह की कहानी है, जिसमें इमोशन और ड्रामा है। मैंने इस फिल्म को अपने करियर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी की तरह लिया है। इसे मैं अपनी ‘बेबी फिल्म’ मानती हूं, क्योंकि यहां सबकुछ मुझ पर टिका था। पूरी टीम ने दिल लगाकर मेहनत की है और मुझे यकीन है कि ऑडियंस को यह फिल्म जरूर पसंद आएगी।