आमतौर पर हाथी के सिर पर बाल नहीं होते। लेकिन तमिलनाडु के राजागोपालस्वामी मंदिर में रहने वाला हाथी ‘सेनगामलम’ अपनी हेयर स्टाइल की वजह से चर्चा में है। दरअसल, आईएफएस अफसर सुधा रमन ने हाथी का फोटो ट्वीट किया। लोगों ने इसे खूब पसंद किया। महावत राजगोपाल का कहना है कि ये हाथी मेरे बच्चे जैसा है।
मैं उसे नया लुक देना चाहता था, इसलिए दिन में 3 बार उसके बालों की सफाई करता हूं। सेनगामलम को नहलाने के लिए 45 हजार रुपएका शॉवर लगाया गया है। राजगोपाल के मुताबिक, सेनगामलम को केरल से 2003 में तमिलनाडु के राजागोपालस्वामी मंदिर लाया गया था।
आतिशबाजी के बीच पूरे लाव-लश्कर के साथ निकले महाकाल
उज्जैन मेंसाेमवार काे महाकाल की पहली सवारी लाव-लश्कर के साथ निकली। कोरोना संक्रमण के चलते सवारी में श्रद्धालुओंके शामिल हाेने पर राेक थी। भक्तों को जहां से भी सवारी के दर्शन का मौका मिला, उन्होंने नहीं छोड़ा। सवारी के रास्ते में घरों की बालकनियाें और नृसिंहघाट की मल्टियों की छत पर खड़े होकर श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
बैरिकेड्स के पीछे भक्तों की भीड़ थी। महाकाल के जयकारे गूंजे। सवारी मार्ग बदलने के कारण पहली बार सवारी शक्तिपीठ हरसिद्धि के द्वार से निकली। प्रशासन ने हरसिद्धि की ओर जाने वाले मार्ग पर लाल कारपेट बिछाया, रंगोलियां बनाईं और आतिशबाजी की।
मंदिर के पट पर लोगों ने चढ़ावा चढ़ाया
फोटो राजस्थान केसिरोही के आराध्य देव सारणेश्वर महादेव मंदिर की है। कोरोनाकाल में लॉकडाउन के चलते मंदिरों में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि अभी अनलॉक की प्रक्रिया फिर से शुरू हो चुकी है, लेकिन मंदिरों को खोलने की अनुमति अभी तक नहीं मिली। सोमवार को सावन का पहला सोमवार था और जिलेवासी आराध्य देव के दर्शन न करें ऐसा संभव नहीं।
इसके लिए सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शन के लिए भक्त आना शुरू हो गए थे। हालांकि इस दौरान मंदिर के पट बंद थे। लेकिन यहां पहुंचे भक्तों ने पट पर ही भगवान सारणेश्वर जी की पूजा अर्चना की खुशहाली की कामना की। मंदिर के पट पर लोगों ने चढ़ावा चढ़ाया और अपने आराध्य देव को शीश नवाया।
50 साल में पहली बार, गर्भगृह तक नहीं पहुंच सके भक्त
फोटो छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम की है। यहांकुलेश्वर महादेव के सुप्रसिद्ध मंदिर में सावन के पहला सोमवार को नदी में बाढ़ की धार की वजह से शिवभक्तों को मंदिर तक पहुंचने में तकलीफ हुई। भक्त धार को पार कर किसी तरह मंदिर तो पहुंच गए मगर गर्भगृह में इस बार जाने की अनुमति उन्हें नहीं मिल पाई।
थोड़ी दूर से ही हाथ जोड़कर भोलेनाथ से विनती कर उन्हें संतोष करना पड़ा क्योंकि कोरोना काल में पुलिस का सख्त पहरा था। पुजारी राजेन्द्र मनु ने बताया कि लगभग 50 साल में ऐसा पहली बार हुआ कि भक्त गर्भगृह तक नहीं पहुंच सके।
शिवालयों में उमड़ा आस्था का सैलाब
फोटो मध्यप्रदेश के मुरैना की है।श्रावण मास में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना के लिए हर साल शिवालयों में श्रद्धालुओं का सैलाव उमड़ता था। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में सिर्फ पुजारियों ने भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया और इसके बाद पट बंद कर दिए गए। नतीजतन लोगों को मंदिरों के पट बंद थे और श्रद्धालु बाहर से ही मत्था टेकते हुए नजर आए।
पिछले एक महीने से खराब है पंप की मोटर
छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ ब्लाक मुख्यालय से 22 किमी दूर गोमर्डा अभयारण्य के खम्हारपाली पंचायत के आश्रित ग्राम जवाहर नगर के ग्रामीण बारिश के मौसम में भी नाले के पानी सेगुजारा करने को मजबूर हैं। गांव में एक हैंडपंप है, जिसमें लगे पंप से गांव में पानी की सप्लाई होती थी। पर पिछले एक माह से मोटर के खराब होने से ग्रामीण नाले का पानी पी रहे हैं।
सौराष्ट्र दूसरे दिन भी तर
गुजरात केगिर सोमनाथ जिले में भारी बारिश होने से रावल नदी में बाढ़ आ गई। पोरबंदर से आए बाराती भी फंस गए। कुछ ने जान खतरे में डालकर नदी पार की। बारिश से सौराष्ट्र क्षेत्र के विभिन्न जिलों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। राजकोट का क्रिकेट स्टेडियम भी बरसाती पानी से तरबतर हो गया।
मूंडवा में 70.5 और खींवसर में 59 एमएम बारिश
राजस्थान के नागौरमें मानसून सावन से पहले ही झूम कर बरस रहा है। ऐसा पिछले छह साल में पहली बार हुआ है। यही नहीं, सावन के पहले ही दिन इतनी तेज बारिश भी छह साल में पहली बार हुई है। रविवार रात्रि 12 बजे बाद जैसे ही सावन मास लगा, बारिश शुरू हुई हो गई। मूंडवा में 70.5, खींवसर में 59 और नागौर में 45 एमएम पानी बरसा।
3 तहसीलों में एक ही दिन में औसत 51 एमएम बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार देश में 5 स्थानों पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन बने हैं। जिले में 1 जुलाई से अब तक 82.5 एमएम औसत बारिश हुई है जो 6 जुलाई के औसत से 20 एमएम ज्यादा है। फोटो पास के सिणोद गांव का है।