ओयो ने अपने कर्मचारियों की छुट्टी 6 महीने और बढ़ाई, खुद से नौकरी छोड़ने का भी दिया विकल्प

कोरोना संकट के कारण होटल सेक्टर में आई मुश्किलों के चलते होटल कंपनियों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। ऐसे में होटल कंपनी ओयो ने मई से छुट्टी पर भेजे गए अपने कर्मचारियों की छुट्टी को अगले 6 महीनों के लिए बढ़ाकर 28 फरवरी 2021 तक करने का फैसला लिया है। साथ ही स्वयं से कंपनी छोड़ने का भी विकल्प दिया है। इससे पहले कंपनी ने चार मई से कर्मचारियों को अगले चार महीने के लिए छुट्टी पर भेजा था।

कर्मचारियों के लिए वित्तीय सहायता

कंपनी ने छुट्टी की अवधि बढ़ाने और स्वयं नौकरी छोड़ने के विकल्प के चुनाव करने वाले कर्मचारियों के लिए अन्य राहत की भी घोषणा की है। इसमें कर्मचारियों के लिए वित्तीय सहायता, ईएसओपी वेस्टिंग पर छूट, हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज को देने की भी घोषणा की है। इस पर ओयो (इंडिया और साउथ एशिया) के सीईओ रोहित कपूर ने कहा कि आदर्श स्थिति में कंपनी ऐसा कभी नहीं करती। हमें पता है कि आपने हमसे बहुत उम्मीद की, लेकिन हमें इसके लिए खेद है। हम वर्तमान में ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहां सब कुछ आदर्श से बहुत दूर है।

लॉकडाउन के बाद कारोबार पर बुरा असर पड़ा

कोरोना महामारी के चलते मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन लगा था, जिससे होटल सहित अन्य सभी कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। हालांकि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद कंपनी ने कोविड-19 से पूर्व की 30 फीसदी क्षमता के साथ काम करना शुरु किया। इससे पहले कंपनी ने कई कर्मचारियों को चार मई से सीमित लाभ के साथ चार महीने की छुट्टी पर भेज दिया था। साथ ही सभी कर्मचारियों से उनके वेतन में 25 फीसदी की कटौती स्वीकार करने को कहा था।

कंपनी के रेवेन्यू में गिरावट

ओयो का कारोबार 80 से ज्यादा देशों में है। कोरोना संकट के कारण इस बार रेवेन्यू में गिरावट आई है। ऐसे में कंपनी को अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती, बिना वेतन उन्हें छुट्टी पर भेजने जैसे फैसले लेने पड़े। इसके चलते कंपनी को अपने काम करने के मॉडल पर फिर से विचार करना पड़ा है। कंपनी के कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से समझौता किए बिना कंपनी को पूरी क्षमता से काम करने में मदद करने के लिए एक ‘हाइब्रिड वर्क प्लेस मॉडल’ के रूप में कस्टमाइज्ड किया गया है।

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कोरोना संकट के कारण इस बार रेवेन्यू में गिरावट आई है। ऐसे में कंपनी को अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती, बिना वेतन कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने जैसे फैसले लेने पड़े।