कभी भी सुंदरता को नहीं व्यक्ति को गुणों देखना चाहिए। गुणों से ही व्यक्ति की असली पहचान होती है। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा बहुत सुंदर था। इसी वजह से उसे अपने सुंदर चेहरे पर बहुत घमंड था। राजा के महामंत्री बहुत विद्वान थे, लेकिन वे दिखने में सुंदर नहीं थे। मंत्री का रंग सांवला था और चेहरे पर भी कई छोटे-छोटे निशान थे।
एक दिन राजा मजाक के मूड में था। उसने अपने मंत्री से कहा कि आप बुद्धिमान हैं, लेकिन अगर आप सुंदर भी होते तो अच्छा रहता।
महामंत्री समझ गए कि राजा उनकी खिंचाई कर रहे हैं। मंत्री ने राजा कहा कि राजन् रूप-रंग तो उम्र के साथ नष्ट हो जाता है, अच्छे इंसान की पहचान उसके गुणों से और ज्ञान से ही होती है।
राजा ने मंत्री से कहा कि जो आप बोल रहे हैं, क्या इसे साबित भी कर सकते हैं?
मंत्री कहा कि ठीक है महाराज, मैं ये बात कल साबित कर दूंगा। उस समय गर्मी के दिन थे। दरबार खत्म होने के बाद महामंत्री ने राजा के पास रखा मिट्टी का मटका हटा दिया और उसकी जगह सोने का कलश रखा और उसमें पानी भर दिया। कलश को कपड़े से ढंक दिया।
अगले दिन दरबार लगा। राजा और सभी दरबारी उपस्थित थे। दोपहर में गर्मी बहुत बढ़ गई थी, राजा को प्यास लगी तो उसने सेवक से पानी लाने के लिए कहा। सेवक ने तुरंत ही कलश में से पानी भरकर राजा को दे दिया।
पानी पीते ही राजा को गुस्सा आ गया। वह बोला कि इतनी गर्मी में मुझे गर्म पानी क्यों दे रहे हो? सेवक डर गया, उसने कलश से कपड़ा हटाया तो वहां सोने का बहुत ही सुंदर कलश रखा था।
दरबार में मौजूद लोग कलश की सुंदरता से बहुत प्रभावित हुए। सभी उसकी तारीफ कर रहे थे, लेकिन राजा का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था।
राजा को क्रोधित देखकर महामंत्री उनके पास पहुंचे और उन्होंने कहा कि राजन् कल मैंने कहा था कि सुंदरता से ज्यादा महत्व ज्ञान और गुणों का है। सोने का कलश सुंदर है, लेकिन ये पानी ठंडा नहीं कर सकता। जबकि कुरूप काली मटकी पानी को ठंडा रखती है, इसीलिए पीने के पानी के लिए मटकी रखी जाती है सोने का कलश नहीं।
व्यक्ति के गुण ही उसे उपयोगी बनाते हैं, सुंदरता देखकर किसी भी व्यक्ति को परखना गलत होता है। अब आप ही बताइए रूप बड़ा है या गुण और बुद्धि?
मंत्री की बात सुनकर राजा को बात समझ आ गया कि उसकी सोच गलत थी। इसके बाद उसने अपनी सुंदरता पर अभिमान करना छोड़ दिया।