महिलाओं के पेशेवर काम के घंटों में आई चार से पांच गुना गिरावट, उनकी स्थिति के बेहतर होने की भी कोई उम्मीद नहीं है

अमेरिका में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की स्थिति पहले से ही अच्छी नहीं थी। लेकिन कोरोना वायरस महामारी ने इस असमानता को और बढ़ाया है। 2017 में 41% मांएं अपने परिवार में कमाने वाली एकमात्र सदस्य थीं।

इसके अलावा 23.2% महिलाओं की परिवार की कुल आय में भागीदारी एक चौथाई थी। अब स्कूल, बच्चों की देखभाल के सेंटर और अन्य काम बंद होने का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है। जेंडर, वर्क ऑर्गेनाइजेशन पत्रिका ने अभी हाल में 60,000 अमेरिकी परिवारों का अध्ययन किया है।

उन्होंने पाया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के पेशेवर काम के घंटे चार या पांच गुना कम हुए हैं। इनकी स्थित के बेहतर होने की भी कोई उम्मीद नहीं है। इसकी वजह यह है कि स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है। बच्चों की देखभाल का पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण महिलाएं बड़ी संख्या में काम से बाहर रहेंगी। अमेरिका एकमात्र अमीर देश है जहां पैरेंटल छुट्‌टी का पैसा नहीं मिलता है।
अमेरिका में विकसित देशों के बीच मांओं की मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। अश्वेत महिलाओं में यह दर अधिक है। रिसर्च ग्रुप एएनएसआईआरएच की नई स्टडी में पाया गया है कि जिन महिलाओं को गर्भपात की अनुमति मांगने पर भी नहीं मिलती है, उनके गरीबी की रेखा के नीचे रहने, पति या पार्टनर के हाथों प्रताड़ित होने की संभावना ज्यादा रहती है।

गर्भावस्था और प्रसव के दौरान उनके जीवन को खतरा ज्यादा हो सकता है। मैसाचुएट्स यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की प्रोफेसर मिशेल बुडिग ने एक रिपोर्ट में लिखा है – ”बच्चे होने के बाद महिलाओं की आमदनी कम हो जाती है। वहीं पुरुषों की आय बढ़ती है। हर बच्चे पर मां की आय में 4% गिरावट आती है। कम आय की महिला कामगारों में वेतन का यह दंड 10% तक हो सकता है”।

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Four to five times the decline in the professional working hours of women, there is no hope of improving their status.