कहने को तो शेक्सपियर ने अपने एक मशहूर नाटक (रोमियो और जूलियट) में लिखा है कि नाम में क्या रखा है? गुलाब को कोई भी नाम दो वह उतनी ही मीठी खुशबू देता है। लेकिन नाम से बहुत फर्क पड़ता है। शायद यही सोच कर वोडाफोन-आइडिया ने अपने मर्जर प्रक्रिया पुरी होते ही सबसे पहले अपने ब्रान्ड का नाम बदल दिया।
सोमवार को वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड ने अपने नए नाम वोडाफोन आइडिया (VI) का ऐलान कर दिया है। यानी की वोडाफोन का V और आइडिया का I मिलकर अब VI के नाम से जाना जाएगा। साथ ही कंपनी ने अपनी पंच लाइन को भी बदलकर टूगेदर फॉर टुमारो कर दिया है।
कंपनी की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है
इसे वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी कह सकते हैं, जहां अब कंपनी दोबारा खुद को मार्केट में स्टेब्लिश करने के लिए तमाम कोशिशें कर रहा है। बता दें कि साल 2018 में वोडाफोन-आइडिया का विलय हुआ था और तब से एक कंपनी होने के बाद भी वोडाफोन और आइडिया के अलग-अलग नाम से कारोबार चल रहा था।
इस कंपनी का मालिकाना हक ब्रिटेन की वोडाफोन और आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास है। जियो के आने के बाद दोनों कंपनियों ने आपस में विलय कर दिया था और वोडाफोन-आइडिया नाम से कंपनी अस्तित्व में आई थी। बता दें कि कंपनी के इस री लॉन्च के बाद आइडिया कंपनी के शेयर में तेजी नजर आई।
फिलहाल प्लान की कीमतों में बदलाव नहीं
बता दें कि फिलहाल कंपनी द्वारा प्लान की कीमतों को लेकर कोई बदलाव नहीं किए गए हैं। आइडिया और वोडाफोन दोनों के ग्राहक अब customercare@vodafoneidea.com, 9654297000 (वॉट्सऐप) और 198 पर कस्टमर केयर से जुड़ सकते हैं। इसके अलावा अलग-अलग सर्किल के लिए अलग-अलग कस्टमर केयर नंबर्स हैं जिन्हें आप वोडाफोन-आइडिया की नई वेबसाइट https://www.myvi.in/help-support/vi-customer-care-number से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
टैरिफ में बढ़ोतरी के दिए गए हैं संकेत
कंपनी ने कहा है कि टैरिफ प्लान की कीमतों में इजाफा करना जरूरी है। कंपनी के सीईओ रविन्दर टक्कर ने नए ब्रांड को लांच करते हुए कहा कि वोडाफोन और आइडिया का विलय दो साल पहले हुआ था। हम तबसे दो बड़े नेटवर्क, हमारे लोगों और प्रोसेस के एकीकरण की दिशा में काम कर रहे थे। इसी के साथ ही मर्जर की प्रक्रिया पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि कंपनी पहले कदम के तौर पर टैरिफ में बढ़ोतरी के लिए तैयार है। नए टैरिफ से कंपनी को एआरपीयू सुधारने में मदद मिलेगी। यह अभी 114 रुपए है जबकि एयरटेल और जियो का एपीआरयू क्रमशः 157 रुपए और 140 रुपए है।
कंपनी पर 50,000 करोड़ रुपए का एजीआर बकाया
इससे पहले ऐसी रिपोर्ट्स आई थी कि अमेरिकी की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और वेरिजॉन (Verizon) वोडाफोन आइडिया में 4 अरब डॉलर तक निवेश कर सकती हैं। हालांकि वोडाफोन आइडिया ने इन खबरों को खारिज कर दिया था। कंपनी ने कहा उसके निदेशक मंडल के समक्ष वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। कंपनी के बोर्ड ने हाल में इक्विटी शेयर जारी करके या ग्लोबड डिपोजिटरी रिसीट, अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट, फॉरेन करेंसी बॉन्ड्स, कन्वर्टिबल डिबेंचर्स के जरिए 25,000 करोड़ रुपए जुटाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी। इससे राशि से नकदी संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनी को बड़ी राहत मिल सकेगी। बता दें कि कंपनी पर करीब 50,000 करोड़ रुपए का एजीआर का बकाया है।
भारत में वोडाफोन की इंट्री साल 2007 में हुई थी
वोडाफोन की भारत में इंट्री भारत में वोडाफोन की इंट्री साल 2007 में हुई थी। कंपनी ने Hutchison Whampoa के 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर भारत में अपना कारोबार फैलाया। साल 2014 में एस्सार ग्रुप से बाकी बची हिस्सेदारी भी खरीद ली। इसी साल भारत सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100 फीसद विदेशी निवेश की अनुमति दे दी। बता दें कि वोडाफोन के पास साल 2007 में देश के 16 सर्कल के कुल 2.8 करोड़ से ज्यादा सब्स्क्राइबर थे।
जियो के आने के बाद बदला था टेलीकॉम सेक्टर का रुख
वोडाफोन और आइडिया का मर्जर सितंबर 2016 में रिलायंस जियो के आने के बाद देश में टेलीकॉम सेक्टर का रुख बिल्कुल बदल गया। अब यूजर्स सस्ते डेटा के लिए जियो की ओर तेजी बढ़ रहे थे। जियो के आने के बाद से वोडाफोन-आइडिया के ग्राहकों की संख्या लगातार घट रही है। प्रति ग्राहक औसत राजस्व (ARPU) नीचे आ रहा है।
दो साल पहले वोडाफोन-आइडिया के मर्जर को टेलीकॉम सेक्टर का दूसरा सबसे बड़ा मर्जर माना जाता है। जिसके तहत वोडाफोन इंडिया के पास 45.1%, आदित्य बिरला ग्रुप के पास 26% और आइडिया के शेयर होल्डर्स के पास 28.9% की हिस्सेदारी मिली। आइडिया की हिस्सेदारी नई कंपनी में 54.9% की हो गई थी। कंपनी का नाम वोडाफोन-आइडिया हो गया था।