राजीव चौक मेट्रो स्टेशन का गेट नंबर सात। शाम के साढ़े चार बज रहे हैं। गेट के बाहर दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं। स्टेशन के अंदर दाखिल होने के लिए करीब दस यात्री क़तार में खड़े हैं और बाहर रखे गए सैनिटाइज़र से अपने हाथ को सैनिटाइज़ करने के बाद ही अंदर दाखिल हो रहे हैं। गेट के बाहर तैनात दिल्ली पुलिस के जवान इस बात की तस्दीक़ कर रहे हैं कि क़तार में खड़े यात्री पर्याप्त दूरी बनाए रखें और बिना हाथ को सैनिटाइज़ किए हुए स्टेशन में दाखिल ना हों।

इस प्रक्रिया से गुज़र कर आगे बढ़ने के बाद यात्री दीवार पर लगी एक मशीन के सामने अपनी कलाई ले जा कर बुखार चेक कर रहे हैं। यहां फेस शील्ड पहने दिल्ली मेट्रो के कर्मचारी मौजूद हैं जो इस काम में यात्रियों की मदद कर रहे हैं। मशीन में लगे सेंसर के सामने अपनी कलाई कुछ सेकेंड के लिए रखनी है, लेकिन कुछ यात्री ग़लती से अपनी कलाई मशीन में टच कर दे रहे हैं। यहां मौजूद दिल्ली मेट्रो के कर्मचारी यात्रियों को ऐसा ना करने की सलाह दे रहे हैं। यहां से आगे बढ़ने के बाद यात्रियों के सामान को सैनिटाइज़ करने की व्यवस्था है और इतना सब कुछ होने के बाद यात्री सुरक्षा जांच के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

सुरक्षा जांच में लगे सी.आई.एस.एफ के जवान ने हाथ में दस्ताना पहन रखा है और फेस शील्ड लगाया हुआ है। जांच करने के दौरान जवान मेटल डिटेक्टर को शरीर के आसपास इस कदर घुमाते हैं कि वो शरीर से टच नहीं कर रहा है। सुरक्षा जांच के बाद ज्यादातर यात्री टिकट काउंटर का रुख़ कर रहे हैं। दिल्ली मेट्रो की तरफ से जारी गाइडलाइन में साफ-साफ कहा गया है कि काउंटर पर कैश का इस्तेमाल नहीं होगा। टोकन लेकर यात्रा नहीं किया जा सकेगा और कार्ड में कम से कम दो सौ रुपए का रिचार्ज करवाना होगा।

लेकिन कई यात्री ऐसे हैं जो भूलवश काउंटर पर कैश दे रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो डिजिटल पेमेंट करवा कर अपना कार्ड रिचार्ज करवाने में असमर्थ हैं। मुखर्जी नगर में रहकर यूपीएससी की तैयारी करने वाले विष्णु ऐसे ही यात्रियों में से एक हैं। वो पिछले दस-बीस मिनट से परेशान हैं। पूछने पर बतलाते हैं, “कार्ड का पासवर्ड भूल गए हैं। डाल रहे हैं लेकिन ले नहीं रहा है। फोन पे, गूगल पे या पेटीएम का इस्तेमाल करते नहीं हैं। कैश तो है लेकिन काउंटर पर ले नहीं रहे हैं।”

जिन यात्रियों के मेट्रो कार्ड में वैलेंस है या जिन्होंने सफलतापूर्वक डलवा लिया है वो एक-एक करके अपना कार्ड पंच कर रहे हैं और प्लेटफ़ार्म की तरफ जा रहे हैं। जिस मशीन पर कार्ड पंच किए जा रहे हैं उन्हें एक व्यक्ति हर थोड़ी देर में सैनिटाइज़ कर रहा है।
प्लेटफ़ार्म पर तैनात सुरक्षा गार्डस के चेहरे भी फेस शील्ड से कवर हैं। अजय पाल सिंह पिछले तीन सालों से राजीव चौक पर बतौर निजी सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। इस वक्त वो प्लेटफ़ार्म नंबर 2 पर खड़े हैं। अजय पाल को फ़िक्र है कि अभी तो यात्री कम हैं। ट्रेनें कम चल रही हैं तो सारे गाइडलाइन का पालन हो रहा है। 12 सितम्बर के बाद जब ज्यादातर रूट पर मेट्रो चलने लगेंगी और यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी तब असल मुश्किल होगी। कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगने के पहले दिल्ली मैट्रो हर दिन 2,700 फेरे लगाती थी। सुबह 6 बजे से लेकर रात के साढ़े ग्यारह बजे तक लगभग 2.76 मिलियन यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाती थी।