ग्लोबल रियल एस्टेट ट्रांसपेरेंसी इंडेक्स में भारत का स्थान 34वां रहा है। रियल एस्टेट बाजार से जुड़े नियामकीय सुधार, बाजार से जुड़े बेहतर आंकड़े और हरित पहलों के चलते देश की रैंकिंग में एक अंक का सुधार हुआ है। वैश्विक संपत्ति सलाहकार कंपनी जेएलएल इस द्वि-वार्षिक सर्वेक्षण को करती है। वैश्विक संपत्ति सलाहकार कंपनी जेएलएल इस द्वि-वार्षिक सर्वेक्षण को करती है। 2018 में भारत की रैंकिंग 35 थी।
देश के आरईआईटी ढांचे का सुधार संस्थागत निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट के लिए इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल और ग्रीन रेटिंग जैसे संगठनों की सक्रिय भूमिका के माध्यम से भारत ने सस्टेनेबिलिटी ट्रांसपेरेंसी के लिए शीर्ष 20 में भी प्रवेश किया है।
2020 इंडेक्स आर्थिक और सामाजिक व्यवधान के समय बड़े पैमाने पर लॉन्च किया गया है, जहां पारदर्शी प्रक्रियाओं, सटीक और टाइमली डेटा और हाई एथिकल स्टैंडर्ड की पर फोकस है।
पिछले कुछ वर्षों में ग्लोबल ट्रांसपेरेंसी इंडेक्स में लगातार सुधार
कोविड-19 के बैकड्रॉप से यह भी सुनिश्चित होता है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के रियल एस्टेट कानूनी और नियामक प्रणालियों के भीतर पारदर्शिता ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे इस क्षेत्र में लगभग 40 बिलियन डॉलर इस्तेमाल करना चाहते हैं।
जेएलएल के सीईओ और कंट्री हेड (इंडिया) रमेश नायर ने कहा, “भारत ने पिछले कुछ वर्षों में ग्लोबल ट्रांसपेरेंसी इंडेक्स में लगातार सुधार देखा है। इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम के साथ हम उन देशों में से एक हैं जिन्होंने सकारात्मक सरकारी समर्थन और उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र के कारण उच्चतम सुधार देखा है।”
राष्ट्रीय आरईआईटी ढांचे का एक बड़ा योगदान रहा
भारत में पारदर्शिता के लिए राष्ट्रीय आरईआईटी ढांचे का एक बड़ा योगदान रहा है। इसमें आ रही प्रगति और शासन का साथ, संस्थागत निवेशकों से अधिक रुचि को आकर्षित करना जारी रखेगा। जेएलएल के अनुसार, अन्य ऐसेट क्लास के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए रियल एस्टेट पारदर्शिता को और बेहतर बनाने के लिए निवेशकों, व्यवसायों और उपभोक्ताओं का दबाव है।
इस बीच भारत में कोरोनावायरस महामारी ने खरीदारों की धारणा और बिक्री को प्रभावित कर रियल एस्टेट सेक्टर की दिक्कतों को और बढ़ा दिया है। उद्योग जगत के अनुमानों के मुताबिक रियल एस्टेट क्षेत्र में 60-70 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें तीन लाख सफेदपोश कर्मचारी भी शामिल हैं।
जेएमएल इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट और रिसर्च एंड आरईआईएस के प्रमुख सामंतक दास ने कहा, “महामारी ने वाणिज्यिक अचल संपत्ति में निवेश को अनिवार्य रूप से रोक दिया है, लेकिन बढ़ते आवंटन की ओर रुझान जारी रहेगा।”
वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में चीन 32वें, थाईलैंड 33वें, भारत 34वें, इंडोनेशिया 40वें, फिलीपींस 44वें और वियतनाम 56वें स्थान पर रहा है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया तीसरे और न्यूजीलैंड 6वें स्थान पर रहा।