पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में एक ईसाई व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई गई है। मामला लाहौर का है। यहां की एक कोर्ट ने 37 साल के आसिफ परवेज को फांसी की सजा दी है। आसिफ 2013 से जेल में बंद है।
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक आसिफ होजरी फैक्ट्री में काम करता था। वहां के सुपरवाइजर मुहम्मद सईद खोखर ने उसके खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत की थी। आरोप था कि आसिफ ने उसे इस्लाम विरोधी बातें मैसेज कीं।
आसिफ का आरोप- इस्लाम नहीं कबूल किया तो फंसाया
आसिफ ने कोर्ट में अपनी गवाही के दौरान सभी आरोप नकारे थे। उसने कहा कि सुपरवाइजर उस पर इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव डाल रहे थे। जब उसने मना किया तो उस पर इस्लाम विरोधी बातें मैसेज करने का आरोप लगा दिया। वहीं, सुपरवाइजर के वकील गुलाम मुस्तफा चौधरी ने कहा है कि आसिफ के पास बचाव में कुछ कहने को नहीं था इसलिए उसने यह आरोप लगाए।
ईशनिंदा कानून के तहत 80 लोग कैद में
यूनाइटेड स्टेट के इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम कमीशन (यूएससीआईआरएफ) के अनुसार, मौजूदा समय में पाकिस्तान की जेलों में करीब 80 लोग ईशनिंदा कानून के तहत कैद हैं। इनमें से आधे लोगों को उम्रकैद और फांसी की सजा हो चुकी है। इस कानून के जरिए अल्पसंख्यकों जैसे- हिंदू और ईसाइयों को टार्गेट किया जाता है।
1990 से लेकर अब तक 77 लोगों की हत्या
अलजजीरा के मुताबिक पाकिस्तान में ईशनिंदा के चलते 1990 से लेकर अब तक 77 लोगों की हत्या हो चुकी है। इनमें ईशनिंदा के आरोपी और उनके परिवार और वकील शामिल हैं। इसका ताजा मामला इसी साल जुलाई में आया था जब ईशनिंदा के आरोपी को कोर्ट में ही छह गोलियां मारी गईं थीं। हालांकि, उसके हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन, बाद में अदालत में पेश होने के दौरान लोगों ने उस पर फूल बरसाए थे और माला पहनाई थी।
क्या है ईशनिंदा कानून?
पाकिस्तान के सख्त ईशनिंदा कानून के तहत इस्लाम के पैगंबर का अपमान करने पर मौत की सजा और इस्लाम, कुरान के अपमान पर उम्रकैद जैसी दूसरी कड़ी सजा दी जाती है। पाकिस्तान का यह कानून ब्रिटिश राज के दौरान बने ईशनिंदा कानून का विस्तार है। 1860 में धार्मिक हिंसा रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था। पाकिस्तान में जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल में इसका विस्तारित रूप लागू किया गया।
आसिया बीबी का मामला सबसे ज्यादा चर्चा में रहा
पाकिस्तान में आसिया बीबी का मामला ज्यादा चर्चा में आया था। 2010 में पड़ोसियों से झगड़ा होने पर आसिया बीबी (48) पर ईशनिंदा के आरोप लगाए गए थे। आसिया को भी निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। आठ साल तक जेल में रहने के बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। इसके बाद आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया। इस दौरान पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुए थे।