(पवन कुमार) सुप्रीम कोर्ट में जानवरों को कानूनी तौर पर मनुष्यों के बराबर घोषित करने की मांंग वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। वकील शाश्वत आनंद और देवेश सक्सेना ने जनहित याचिका में कहा- ‘देश में हालात बहुत खराब हैं। विभिन्न जगहों पर पशुओं से क्रूरता के मामले सामने आ रहे हैं।
धार्मिक ग्रंथों में भी लिखा है कि पशु भी मनुष्यों के ही समान हैं। उनमें भी जीवन को आगे बढ़ाने, भावनाएं व्यक्त करने वाले गुण होते हैं। मगर लोग पशुओं के जीवन की कद्र ही नहीं करते। उन्हें सहानुभूति भी प्राप्त नहीं होती। केरल में गर्भवती हथिनी की हत्या इसका उदाहरण है। वहीं नागालैंड में कुत्तों का मांस बेचा जाता है। इसलिए जानवरों को मनुष्यों के बराबर कानूनी अधिकार दिए जाएं, ताकि उनके साथ अमानवीय बर्ताव न किया जा सके।’
इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा- ‘क्या आप याचिका के माध्यम से जानवरों को उस हद तक कानूनी समानता दिलाना चाहते हैं, जिसमें वे मुकदमा कर सकें और मुकदमा चला सकें? आप युवा वकील हैं। संभवत: आपने इस मुद्दे पर इस तरह से विचार नहीं किया है। क्या आप जानवरों को एक पर्सनैलिटी देना चाहते हैं?’ वकील ने कहा-‘पूर्व में कोर्ट द्वारा हुए विभिन्न फैसले यह तय करते हैं कि जानवर मनुष्यों के समान महत्व रखते हैं।’
इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- ‘जानवर मनुष्यों के बराबर नहीं हैं। क्या आपका कुत्ता आपके बराबर है?’ इस पर वकील ने धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा- ‘पशुओं को जीवन, भावनाओं इत्यादि के आधार पर मनुष्य के बराबर माना गया है। उनके पास भी आत्मा और बुद्धि होती है।’ इस पर चीफ जस्टिस बोले- ‘आप एक तरह से कानूनी दायित्व में वृद्धि की बात कर रहे हैं। हम मानते हैं कि मनुष्यों को निर्दोष जानवरों को अकारण चोट पहुंचाने पर दंडित किया जाना चाहिए।
जानवरों को मनुष्यों के बराबर हक देने पर विचार नहीं : सीजेआई
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को याचिका पर चार सप्ताह मेें अपना जवाब दायर करने को कहा है। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि हम याचिका पर नोटिस तो जारी कर रहे हैं, लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि हम जानवरों को मनुष्यों के बराबर कानूनी अधिकार दिए जाने के आधार पर इस याचिका पर विचार करेंगे।