कीमती चीजों की बात तो दूर है, एक तिनके का भी लालच करना पाप को बढ़ाता है, लालचरहित व्यक्ति कभी पाप नहीं कर सकता

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व वैशाली राज्य के कुंडलपुर में इक्ष्वाकु वंश के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हुआ था। उनका प्रारंभिक नाम वर्धमान था। वर्धमान ने 30 वर्ष की आयु में सबकुछ त्यागकर संन्यास धारण कर लिया था। इसके बाद 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। महावीर स्वामी के शिष्यों में राजा बिंबिसार भी शामिल थे।

जानिए महावीर स्वामी के कुछ ऐसे विचार, जिन्हें अपनाने से हमारी कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं…

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