भारत में ड्रग रेगुलेटर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 30 मिनट से कम समय में कोविड-19 की सटीक टेस्ट रिपोर्ट देने वाले सस्ते पेपर-बेस्ड टेस्ट स्ट्रिप को मंजूरी दे दी है। इसे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और टाटा ग्रुप की रिसर्च टीम ने डेवलप किया है। इस टीम का नेतृत्व डॉ. देबज्योति चक्रबर्ती और सौविक मैत्री कर रहे थे। इस टेस्ट का नाम फिल्ममेकर सत्यजीत रे के काल्पनिक जासूसी चरित्र फेलुदा के नाम पर रखा गया है।
फेलुदा कोविड-19 टेस्ट आखिर क्या है?
फेलुदा FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay का शॉर्टफॉर्म है। यह स्वदेशी सीआरआईएसपीआई जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है। यह नोवल कोरोनावायरस SARS-CoV2 के जेनेटिक मटेरियल को पहचानता है और उसे ही टारगेट करता है। यह टेस्ट उतना ही सटीक है जितना आरटी-पीसीआर टेस्ट। अब तक पूरी दुनिया में आरटी-पीसीआर टेस्ट को ही कोविड-19 के डायग्नोसिस में गोल्ड स्टैंडर्ड समझा जा रहा है। अंतर यह है कि फेलुदा के नतीजे जल्दी आते हैं और इसमें इस्तेमाल होने वाला डिवाइस बेहद सस्ता है। सीएसआईआर ने कहा,”फेलुदा टेस्ट नोवल कोरोनावायरस की पहचान करने में 96% सेंसिटिव और 98% स्पेसिफिक रहा है।’ फेलुदा दुनिया का पहला डायग्नोस्टिक टेस्ट है जो वायरस को पहचानने के लिए Cas9 प्रोटीन का इस्तेमाल करता है। सीएसआईआर रिसर्च टीम जीनोम डायग्नोस्टिक्स और थेरॉप्टिक्स के लिए सिकल सेल मिशन पर काम कर रही थी और इसी दौरान उन्हें इस तरह की नई टेस्ट किट बनाने की प्रेरणा मिली।
India’s first CRISPR Covid-19 test FELUDA, developed by @IGIBSocial and @TataGroup has been approved for use in India by @DCGI. Congratulations to the entire team! @PMOIndia @drharshvardhan @PrinSciAdvGoI @shekhar_mande @ICMRDELHI @AnuragAgrawalMD @Debojyo04532898
— CSIR (@CSIR_IND) September 19, 2020
CRISPR टेक्नोलॉजी क्या है?
सीआरआईएसपीआर (CRISPR) यानी क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रॉमिक रिपीट्स जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी है। इससे जेनेटिक डिफेक्ट्स दूर किए जाते हैं। किसी रोग को फैलने से रोकने और उसके उपचार में इस्तेमाल होता है। CRISPR टेक्नोलॉजी जीन में डीएनए के स्पेसिफिक सिकवेंस की पहचान सकती है। यह डीएनए सिकवेंस और जीन फंक्शन को बदलती है। इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भविष्य में अन्य बीमारियों को डायग्नोज करने में भी किया जा सकता है। अमेरिका ने मई में ही इमरजेंसी हालात में कोविड-19 टेस्ट के लिए दुनिया के पहले CRISPR-बेस्ड टेस्ट की मंजूरी दी थी। इसे मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया था।
https://t.co/MVWuwX0LOH The science behind FELUDA: high DNA binding specificity of FnCas9+ sgRNA-FAM & DNA-biotin on paper strip. FELUDA is aided by TOPSE, a smartphone app courtesy @AdiuvoDiag (Chennai) and JATAYU (https://t.co/90qrgjCqHX) (1/n). pic.twitter.com/0Qv1hketZv
— Debojyoti Chakraborty (@Debojyo04532898) September 20, 2020
फेलुदा कोविड-19 टेस्ट किस तरह काम करता है?
फेलुदा टेस्ट प्रेग्नेंसी स्ट्रिप टेस्ट की तरह है। वायरस होगा तो कलर बदल जाएगा। इसका इस्तेमाल पैथ लैब में भी किया जा सकता है। डॉ. देबोज्योति चक्रबर्ती के मुताबिक Cas9 प्रोटीन को बारकोड किया गया है ताकि वह मरीज के जेनेटिक मटेरियल में कोरोनावायरस सिकवेंस का पता लगा सकें। इसके बाद Cas9-SARS-CoV2 कॉम्प्लेक्स को पेपर स्ट्रिप पर रखा जाता है, जहां दो लाइन (एक कंट्रोल, एक टेस्ट) बताती है कि मरीज को कोविड-19 है या नहीं।
फेलुदा टेस्ट की लागत क्या है? अन्य टेस्ट से तुलना कैसे करें?
फेलुदा टेस्ट पर 500 रुपए खर्च आता है जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट पर 1,600 रुपए से 2,000 रुपए तक लग रहे हैं। एंटीबॉडी टेस्ट के रिजल्ट 20-30 मिनट में आते हैं और उस पर 500 से 600 रुपए का खर्च है। रैपिड एंटीजन टेस्ट किट 30 मिनट में पॉजिटिव या निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट देती है, उसकी लागत 450 रुपए है। ट्रूनेट टेस्ट के रिजल्ट 60 मिनट में आते हैं और किट की कीमत 1,300 रुपए है। मार्च में सिर्फ कोविड-19 की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर टेस्टिंग सेंटर थे। बाद में, आईसीएमआर ने TrueNat, CBNAAT, Abbott and Roche जैसे कार्टिज-बेस्ड टेस्ट को मंजूरी दी। जून में टेस्टिंग के लिए रैपिड एंटिजन टेस्ट को मंजूरी दी गई।
इसका नाम फेलुदा क्यों रखा गया?
वैसे तो फेलुदा यानी FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay है लेकिन बंगाली में सत्यजीत रे के प्रसिद्ध जासूसी किरदार का नाम भी यही है। डॉ. देबज्योति चक्रबर्ती ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे सत्यजीत रे के बड़े फैन हैं और यह नाम उनकी पत्नी ने पहली बार सुझाया था। प्रोदोष चंद्र मित्तर एक बंगाली जासूस है जो रे के उपन्यासों और लघुकथाओं में कई बार आया है। उपन्यासों में फेलुदा ने अपने कज़िन तापेश रंजन मित्रा के साथ कई एडवेंचर किए हैं। उनके साथ बहुत ही मजाकिया लाल मोहन बाबू भी रहता था। पिछले कुछ दशक में देश के अलग-अलग हिस्से में मामले की जांच करते हुए फेलुदा और उनके दो काल्पनिक साथी बंगाली साहित्य के प्रमुख किरदार बने रहे। फेलुदा एक ऐसे शातिर दिमाग के तौर पर पहचान रखते हैं जो हाजिरजवाब है और जल्द ही किसी भी अपराध को सुलझा लेते हैं। इसी वजह से सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने रैपिड कोविड-19 टेस्ट को उनका नाम दिया है।
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