जल्द हो सकता है एक और डिजिटल स्ट्राइक, सरकार के निशाने पर हैं चीनी फिनटेक कंपनियां

भारत, चीन पर एक और डिजिटल स्ट्राइक करने की तैयारी में है। सरकार जल्द ही भारत में बिजनेस कर रही चीनी फिनटेक कंपनियों पर बैन लगा सकती है। इसके लिए सरकार डेटा और प्राइवेसी उल्लंघनों के लिए इन कंपनियों की जांच करने वाली है। इससे पहले सरकार ने 224 चीनी मोबाइल ऐप को बैन किया था।

डेटा साझा करना ज्यादा रिस्की

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोशल मीडिया नेटवर्कों पर डेटा शेयर करने के मुकाबले फिनटेक एप्स पर डेटा साझा करना ज्यादा रिस्की है। क्योंकि इसमें ऐप यूजर्स का सेंसेटिव फाइनेंशियल डेटा को शामिल किया जाता है। इसमें कर्ज या अन्य फाइनेंशियल सर्विस के दौरान यूजर्स अपना आधार कार्ड नंबर, इनकम टैक्स डिटेल जैसी अन्य जानकारियां साझा करते हैं। बता दें कि फाइनेंशियल और टेक्नोलॉजी दोनों सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों को फिनटेक कहा जाता है।

भारत में फिनटेक कंपनियों का कारोबार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन फिनटेक कंपनियों का मुख्य कारोबार डिजिटल तरीके से उधारी का है। भारत में केवल 2019 में इसका ट्रांजेक्शन वैल्यू 110 बिलियन डॉलर (8.09 लाख करोड़ रु.) का रहा, जो 2023 तक दोगुना से ज्यादा बढ़कर 350 बिलियन डॉलर (25.75 लाख करोड़ रु.) तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि यह मोबाइल यूजर्स की संख्या पर भी निर्भर करेगा।

सरकार की योजना

ऐसे में केंद्र सरकार चीनी कंपनियों को डेटा तक पहुंचने से रोकने और नागरिकों की प्राइवेसी को सुरक्षित करने के लिए सख्त उठा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फिनटेक कंपनियों को रेग्युलेट नहीं करती है, क्योंकि इसमें पब्लिक डिपोजिट शामिल नहीं है। जानकारों का मानना है कि चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध और फिनटेक कंपनियों की जांच दोनों सरकार की चीन से इकोनॉमी अलग करने की योजना का एक हिस्सा है।

सीमा पर तनाव का असर

सीमा पर बढ़ते तनाव का असर भारत और चीन के व्यापारिक संबंधों पर भी पड़ा है। जून में पूर्वी लद्दाख में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। जिसके बाद सरकार चीन के प्रति आर्थिक मोर्चे पर आक्रामक मूड में काम कर रही है। इसमें 224 चीनी ऐप्स को बैन करना सहित अन्य आर्थिक गतिविधियों में चीनी कंपनियों को बाहर करना शामिल है। बैन चीनी ऐप्स में पबजी मोबाइल, टिक-टॉक जैसी पॉपुलर ऐप्स शामिल हैं।

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जानकारों का मानना है कि चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध और फिनटेक कंपनियों की जांच दोनों सरकार की चीन से इकोनॉमी अलग करने की योजना का एक हिस्सा है।