जब एक साथ कई जिम्मेदारियां हों, तो कैसे करें अपने कर्तव्य का पालन, परिवार, समाज और देश के लिए कैसे करें काम

कर्तव्य हर भूमिका में महत्वपूर्ण ही होता है लेकिन जब एक साथ कई चुनौतियां आ जाती हैं तो फिर हमें उनमें से एक को चुनना पड़ता है। तब यह संकट खड़ा होता है कि किसे चुनें, किसे छोड़ें।

भगवान कृष्ण के जीवन से सीखिए, कैसे अपने सारे कर्तव्यों को पूरा किया जाए। उनमें से कैसे प्राथमिकताएं तय की जाएं। कृष्ण का लगभग पूरा जीवन यात्राओं, युद्धों और व्यवस्थाओं में ही बीता। 16108 पत्नियां, हर पत्नी से 10 बच्चे, द्वारिका का राज्य और देश-समाज का रचनात्मक निर्माण। श्रीकृष्ण ने अपने कर्तव्यों को अलग-अलग बांट रखा था। वे जब द्वारिका में रहते तो प्रजा के लिए ज्यादा समय देते। उनकी समस्याएं सुलझाते। फिर समय निकालते थे परिवार के लिए। पत्नियों से संवाद, बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण की व्यवस्था।

जब वे किसी युद्ध या राजनीतिक कारणों से द्वारिका से जाते तो परिवार की बागडोर होती थी रुक्मिणी के हाथ में और राज्य की बलराम के हाथ में। कृष्ण ने अपने सारे कर्तव्यों में देश और समाज को सबसे ऊपर स्थान दिया। जब भी समाज या देश के लिए कोई काम होता वे सारे काम छोड़कर चल देते।

कृष्ण ने संदेश दिया है कि जीवन में अपनी जिम्मेदारियों को बांट कर रखें। देश और समाज सबसे पहले हों, फिर अपना परिवार। परिवार सुरक्षित तभी रहेगा जब समाज और देश सुरक्षित रहेंगे।

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Lord krishna When there are many responsibilities at once, how to do your duty, how to work for family, society and country