कमजोर ग्लोबल संकेतों और मोरेटोरियम की खबरों के चलते 18 फीसदी तक गिरे बैंकिंग शेयर, सरकारी बैंकों का है बुरा हाल

शेयर बाजार में बैंकिंग शेयरों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले एक महीने में बैंकिंग शेयरों 10 से 18 फीसदी तक गिरावट आई है। एचडीएफसी (HDFC) बैंक को छोड़ एसबीआई (SBI), पीएनबी (PNB) सहित कई बैंकों में भारी गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट की वजह सुप्रीम कोर्ट से मिली मोरेटोरियम अवधि को बढ़ाने का फैसले को माना जा रहा है।

सरकारी बैंक एसबीआई का शेयर एक महीने में 7 फीसदी से ज्यादा गिरकर आज 183 रुपए पर बंद हुआ है। बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर में भी 14 फीसदी की गिरावट रही, शेयर 41 रुपए पर बंद हुआ है। इसके अलावा आरबीएल बैंक और बंधन बैंक के शेयरों का भी यही हाल रहा। 12-12 फीसदी की गिरावट देखी गई है।

देश के प्रमुख बैंकों के शेयरों में पिछले एक महीने की गिरावट

बैंक बंद भाव गिरावट (%)
पीएनबी 29.35 17.67
यस बैंक 13.15 15.43
बैंक ऑफ बड़ोदा 41.55 14.06
फेडरल बैंक 48.45 13.33
आरबीएल बैंक 166.35 9.67
बंधन बैंक 267.95 8.27
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 183.80 7.36
आईसीआईसीआई बैंक 351.85 5.20
एचडीएफसी बैंक 1047.25 3.54

बैंकिंग शेयरों में गिरावट की वजह

बैंकिंग शेयरों में 18 फीसदी तक की जो गिरावट आई है, उसके कई कारण हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की अवधि को बढ़ाकर 28 सितंबर कर दिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट लोन मोरेटोरियम पर बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले ब्याज पर भी 28 सितंबर को फैसला सुनाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 31 अगस्त तक जो बैंक अकाउंट एनपीए घोषित नहीं किए गए थे, उन्हें अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा। इस वजह से बैंकिंग शेयरों में निवेश करने वाले निवेशक दुविधा की स्थिति में हैं। इसका ही नतीजा रहा कि बैंक निफ्टी पिछले 17 दिनों में 4,000 अंक टूटकर 21,178 के स्तर पर पहुंच गया है।

बैंकों के शेयर में मंदी रहने की आशंका

अमेरिका की ट्रेजरी विभाग से बैंकों की वित्तीय लेनदेन से संबंधित फाइल (FinCEN Files Leaks) के लीक होने की वजह से भी बैंकों के शेयर गिरे हैं। इसमें यह खुलासा हुआ है कि दुनियाभर के बड़े बैंक मनी लॉन्ड्रिंग और गैर-कानूनी तरीके से पैसों की लेनदेन में संलिप्त हैं। इसमें एचएसबीसी, डॉयशे, बार्कलेज जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

मीडिया आर्टिकल में छपी खबरों के कारण एचएसबीसी, डॉयशे और बार्कलेज जैसे ग्लोबल बैंकों के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली थी। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है। जानकार मानते हैं कि जब तक यह मामला शांत नहीं हो जाता, तब तक बैंकों के शेयर में गिरावट जारी रहने का अनुमान है।

बैंकों का शेयर खरीदना फायदेमंद या नहीं

विशेषज्ञों का कहना है कि अगली दो से तीन तिमाही बैंकों के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाली हैं। जब तक फिनसेन फाइल (FinCEN Files Leaks) का मामला शांत नहीं हो जाता और कोरोना से प्रकोप से इकोनॉमी बाहर नहीं निकल जाती, तब तक बैंकिंग शेयरों में बड़ी सुधार के आसार कम ही है। कई बैंक अपना कैपिटल बढ़ाने के लिए दूसरे रिसोर्स जुटाने पर ध्यान दे रहे हैं।

ऐसे में निवेशकों की सलाह है कि निवेशक बैंकिंग शेयरों में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश कर सकते हैं तो ही बैंकों के शेयर अभी खरीदें। लेकिन अगर आप शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं तो निवेश के लिए यह सही समय नहीं है। अभी सस्ते में शेयर खरीदकर सही समय आने पर बेच देना ही सही आइडिया है।

दरअसल, कमजोर ग्लोबल संकेतों और कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण यूरोप में दोबारा में लॉकडाउन की खबर से घरेलू मार्केट सोमवार से ही गिरावट में कारोबार कर रहा है। निफ्टी पिछले 6 दिनों में 600 अंक से ज्यादा टूटा है। इस दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकिंग शेयरों में प्राइवेट बैंकिंग शेयरों के मुकाबले ज्यादा गिरावट देखने को मिली है।

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बैंक निफ्टी पिछले 17 दिनों में 4,000 अंक टूटकर 21,178 के स्तर पर पहुंच गया है।