सार्क (साउथ एशिया एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन) देशों के नेताओं की अनौपचारिक बैठक गुरुवार को न्यूयॉर्क में हुई। इसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी समेत दूसरे सदस्य देशों के विदेश मंत्री ने हिस्सा लिया। बैठक में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- सार्क देशों के सामने सीमा पार से होने वाला आतंकवाद, कनेक्टिविटी तोड़ना और व्यापार में रूकावट डालने जैसी चुनौतियां हैं। जब तक इन तीन चुनौतियों का हल नहीं ढूंढ़ा जाएगा साउथ एशिया क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सुरक्षा बहाल नहीं होगी।
सार्क में 8 सदस्य देश हैं। इनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। 19 वां सार्क सम्मिट इस साल 15 से 19 नवम्बर के बीच पाकिस्तान में होने वाला था। हालांकि कश्मीर में इंडियन आर्मी के एक कैंप पर हुए हमले के बाद इसे टाल दिया गया है।
‘आतंक और इसका पालन पोषण करने वालों को हराएं’
भारतीय विदेश मंत्री के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के मुताबिक, जयशंकर ने कहा कि बीते 35 सालों में सार्क काफी आगे बढ़ा है। हालांकि, आतंक और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों से इसपर असर हुआ है। इससे सदस्यों देशों के बीच आपसी मेलजोल बढ़ाने की कोशिशों में रूकावट आई हैं। ऐसा माहौल में साथ मिलकर आगे बढ़ने का हमारा मकसद सफल नहीं होगा। ऐसे में जरूरी है कि हम साथ मिलकर आतंक और इसे पालने या समर्थन देने वाली ताकतों को हराएं।
पाकिस्तान ने विवादित क्षेत्रों का मुद्दा उठाया
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने विवादित इलाकों का दर्जा बदलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के नियमों का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में जब कोई देश एकतरफा फैसला लेता है तो पूरे क्षेत्र में शांति कायम रखने की कोशिशों को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस साल सार्क सम्मिट अपने यहां करना चाहता है। यह इसे कराने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए काम करेगा। पाकिस्तान सार्क देशों के साथ मिलकर दक्षिण एशिया के देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए काम करेगा।