आयुर्वेद में कहा गया है कि तांबे के बर्तन में रखा गया पानी शरीर के तीनों दोषों- वात, कफ और पित्त को संतुलित करता है। ऐसे पानी को ‘ताम्रजल’ कहा जाता है। तांबे के बर्तन में कम से कम आठ घंटे रखने के बाद ही पीना चाहिए, तभी इसके अधिक फायदे मिलते हैं। दिन में दो या तीन बार भी इसका पानी पीता पर्याप्त है। बाक़ी समय सादा पानी पिया जा सकता है। कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल की क्लीनिकल डाइटीशियन डॉ. अदिति शर्मा बता रही हैं इसके क्या फायदे हैं…
तांबे के बर्तन में रखे पानी के 3 बड़े फायदे
1. डायरिया, पेचिस ओर पीलिया से बचाता है
तांबे में ओलिगो डायनेमिक गुण होते हैं, जिसके कारण यह बैक्टीरिया, ख़ासतौर पर ई-कोलाई और एस ऑरेस को नष्ट कर देता है। ये दोनों जीवाणु आमतौर पर पर्यावरण में पाए जाते हैं। ये डायरिया, पेचिश, पीलिया जैसी पानी से होने वाली बीमारियों की बड़ी वजह हैं। तांबे का पानी पीने से इनसे बचाव होता है।
2. जोड़ों में सूजन और दर्द से आराम दिलाता है
आर्थराइटिस और जोड़ों में सूजन तांबे में सूजनरोधी गुण भी होते हैं। यह अर्थराइटिस (गठिया वात) और रुमेटाइड अर्थराइटिस से होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम देता है। तांबा हड्डियों और इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है, इसलिए इन रोगों के मरीज़ों के लिए और भी फ़ायदेमंद है, जो हडि्डयों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
3. एसिडिटी, गैस दूर करता और किडनी स्वस्थ रखता है
एक ही जगह पर कई घंटों तक बैठे रहने से एसिडिटी, गैस और अपच आम दिक़्क़तें बन गई हैं। तांबा इनमें बहुत फ़ायदेमंद है। तांबा भोजन के हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट करने और पेट की सूजन दूर करने में मदद करता है। यह पेट के अल्सर, अपच एवं संक्रमण में भी मददगार है। यह पेट साफ़ करता है और लिवर व किडनी की कार्यप्रणाली को संतुलित बनाता है। शरीर से व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालने एवं पोषक पदार्थों के अवशोषण में भी सहायता करता है।
पानी में अवशोषित हो जाता है तांबा
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि रोज़ाना एक लीटर पानी में 2 मि.ग्रा. तक तांबे का सेवन शरीर के लिए अच्छा है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, तांबे के बर्तन में कई घंटों तक रखा गया पानी तांबे का एक हिस्सा अवशोषित कर लेता है। यह पानी कई तरह से फायदा पहुंचाता है।
चुंबक की मदद से तांबे की शुद्धता की पहचान सकते हैं। पांबे के लोटे, गिलास या बोतल पर चुंबक लगाकर देखें। यदि यह चिपक जाता है तो तांबा मिलावटी है। असली तांबे का रंग गुलाबी-नारंगी होता है। यदि तांबे का लोटा या बोतल आपके पास पहले से है तो उस पर नींबू रगड़ें और फिर पानी से साफ़ कर लें। यदि वे गुलाबी और चमकीला रंग लेते है तो तांबा शुद्ध है।
यह दिमाग को उत्तेजित करता है हमारा दिमाग इम्पल्स संचरण पर काम करता है। इसलिए तांबे के सेवन से दिमाग ज्यादा अच्छी तरह से काम करता है। यह मस्तिष्क को उत्तेजित करता है और भूलने जैसी समस्याओं से बचाता है।
कैसे चुनें असली तांबा
ऐसे बर्तन के भीतरी हिस्से को स्क्रब से रगड़कर साफ करें। बेहतर तरीक़ा है कि इसे नींबू से रगड़कर साफ़ किया जाए। रगड़कर कुछ मिनट के लिए छोड़ दें और फिर सादे पानी से धो लेंं। तांबे के बर्तन को साफ़ करने के लिए बेकिंग सोडे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।