पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को 5 लोगों के साथ सेटलमेंट किया। इसके साथ ही इन पांच लोगों पर सेटलमेंट चार्ज के रूप में 5.25 करोड़ रुपए भरने को कहा गया। इन लोगों ने यह राशि डिमांड ड्राफ्ट और अन्य के रूप में सेबी को दे दिया। यह सेटलमेंट मन्नापुरम फाइनेंस लिमिटेड के साथ अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसिटिव इंफार्मेशन (शेयरों की कीमतों से संबंधित सूचनाओं का प्रसार करने) के मामले में किया गया है।
सेबी ने बुधवार को 6 अलग-अलग आदेश जारी किए। इस आदेश के मुताबिक पांचों लोगों ने इस मामले में सेटलमेंट पर सहमित जताई और सेबी की तय राशि को भरने को मंजूरी दी। यह मामला साल 2013 में सामने आया था। सेबी ने कहा कि मन्नापुरम और 5 अन्य लोगों ने यह सेटलमेंट किया है। इसमें से मन्नापुरम ने 2.01 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। यह राशि मन्नापुरम फाइनेंस के ईडी और डेप्यूटी सीईओ आई उन्नीकृष्ण के 1.39 करोड़ रुपए के चार्ज के साथ है। सचिन अग्रवाल ने 1.38 करोड़ रुपए भरा जबकि वीपी नंद कुमार, बीएन रविंद्र और राजेश कुमार ने 15.48-15.48 लाख रुपए सेटलमेंट के रूप में भरा।
सेबी ने कहा कि यह सेटलमेंट आरोपियों के आवेदन के बाद किया गया है। सेबी की जांच के बाद जब कारण बताओ नोटिस जारी की गई, उसके बाद यह सेटलमेंट का मामला आया। सेबी की हाई पावर्ड एडवाइजरी कमिटी ने इस मामले में मंजूरी दी। सेबी ने इस मामले में 19 मार्च 2013 को जांच की और पाया कि मन्नापुरम फाइनेंस का शेयर 20 प्रतिशत घट गया था। मन्नापुरम ने इस बारे में बीएसई को सूचना दी कि कुछ उसके लोन की रिकवरी सोने की कीमतों में कमी से नहीं हो पा रही है। इससे उसके लाभ में कमी हो सकती है।
सेबी की जांच में सामने आया कि मन्नापुरम ने तिमाही परिणाम के गाइडेंस को भी एंबिट कैपिटल के साथ साझा किया। मन्नापुरम की बोर्ड मीटिंग 13 मार्च 2013 को हुई थी। इसमें यह बात हुई थी कि कंपनी का लाभ तिमाही में गिर सकता है। 18 मार्च 2013 को एंबिट कैपिटल ने मन्नापुरम केसाथ मीटिंग की। इसी में इस संवेदनशील सूचनाओं को लीक करने की जानकारी मिली। इसके बाद एंबिट कैपिटल ने मन्नापुरम के शेयरों की रेटिंग बदलकर खरीदने से अंडर रिव्यू कर दी। इसे उसने 19 मार्च को बाजार खुलने से पहले अपने ग्राहकों को भी दे दिया। इससे उसके ग्राहक शेयरों को बेचकर निकल गए। सेबी के ऑर्डर के मुताबिक वी.पी नंदकुमार मन्नापुरम के एमडी एवं सीईओ थे। बी एन रविंद्र बोर्ड के सदस्य थे।