चेन्नई पुलिस के इकोनॉमिक अफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) ने फ्रैंकलिन टेंपल्टन (एफटी) म्यूचुअल फंड के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है। यह एफआईआर फ्रैंकलिन टेंपल्टन असेट मैनेजमेंट इंडिया प्रा. लि. और फ्रैंकलिन टेंपल्टन ट्रस्टी सर्विसेस प्रा.लि. के खिलाफ दर्ज की गई है। साथ ही कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में एमडी संतोष दास कामथ, सीआईओ संजय सप्रे के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
3 लाख निवेशकों का पैसा डुबाने का आरोप
फ्रैंकलिन पर एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उसने 3 लाख निवेशकों के पैसे गलत तरीके से डुबा दिए हैं। यह पैसा इसकी 6 स्कीम्स में निवेशकों ने लगाए थे। हालांकि इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में चार निवेशकों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मामले में सुनवाई की थी। निवेशकों ने देश की तमाम अदालतों में इस म्यूचुअल फंड के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
कर्नाटक हाईकोर्ट में चल रहा है मामला
कर्नाटक हाई कोर्ट सभी कोर्ट में दायर किए गए मामलों की एक साथ सुनवाई कर रहा है। सभी शिकायतकर्ताओं से कोर्ट ने कहा है कि सभी पार्टियां एक साथ आएं। जिसमें सेबी को फाइनल जवाब देने को कहा गया था। सेबी ने हालांकि इन स्कीम्स की फॉरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट कोर्ट में दी थी। इस एफआईआर में कंपनी के फंड मैनेजर का भी नाम है।
फ्रैंकलिन टेंपल्टन ने 23 अप्रैल को 6 डेट स्कीम को बंद कर दिया था। इसे इसलिए बंद किया गया था क्योंकि इसमें रिडेंप्शन का दबाव था। इन स्कीम्स का एयूएम 25 हजार करोड़ रुपए था।
6,486 करोड़ रुपए वापस मिले हैं
हालांकि इसमें से 6,486 करोड़ रुपए फंड हाउस को वापस मिल चुके हैं। चेन्नई फाइनेंशियल मार्केट्स एंड अकाउंटेंसी ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि वह फ्रैंकलिन टेंपल्टन के खिलाफ रिकवरी के लिए सूट फाइल करेगा और डैमेज के लिए भी क्लेम करेगा। इसने सभी निवेशकों से इसमें शामिल होने के लिए कहा है।
देश में 1.16 लाख करोड़ का है एयूएम
फ्रैंकलिन टेंपल्टन म्यूचुअल फंड भारत में करीबन 1.16 लाख करोड़ रुपए के फंड को मैनेज करता है। जबकि पूरी दुनिया में यह 700 अरब डॉलर के फंड का प्रबंधन करता है। फ्रैंकलिन टेंपल्टन ने स्कीम्स को बंद करने के लिए सेबी से कोई मंजूरी नहीं ली थी। रसना के प्रमोटर अरीज खंबाटा और उनकी पत्नी ने इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट में एक पिटीशन फाइल कर 6 डेट स्कीम्स के लिक्विडेशन की प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी।
3 जून को गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में स्टे दे दिया था। साथ ही सेबी को आदेश दिया था कि वह फॉरेसिक रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में रखे। हालांकि अभी तक सेबी ने यह काम नहीं किया है।