वैक्सीन डेटा के लिए अरबों रुपए की बोली, अमेरिका रोज 100 वायरस झेल रहा है

(अभिषेक धाभई, आईटी एक्सपर्ट) दुनिया को कोरोना वैक्सीन का जितना इंतजार है, उससे ज्यादा बेचैनी दुनियाभर के साइबर हैकर्स में वैक्सीन को लेकर है। अमेरिका में केपीएमजी के हेल्थकेयर साइबर स्पेशलिस्ट डेविड नाइड्स बताते हैं कि इस महामारी के दौरान मई के बाद से पिछले वर्ष के मुकाबले हेल्थकेयर और लाइफ साइंस संबंधी संस्थानों पर साइबर अटैक 300 फीसदी बढ़ गया है। खासकर चीनी हैकर्स अमेरिका के संस्थानों में टीके को लेकर चल रहे रिसर्च के डेटा चुराना चाहते हैं। एफबीआई और डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यूरिटी ने भी इसकी चेतावनी दी है।

रिसर्च संस्थानों पर साइबर अटैक 300% तक बढ़े

Q. हैकर्स कैसे एक्टिव, कहां अटैक कर रहे हैं?

रूस, ईरान व चीन के हैकर्स रिसर्च सेंटर पर सायबर हमले कर रहे हैं। अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना पर अटैक हुआ। वियतनामी हैकर्स ने चीनी एजेंसी व ईरान के हैकर्स ने बायोटेक कंपनी गिलियड साइंसेंस में सेंध लगाई।

Q. सबसे ज्यादा किन संस्थानों पर खतरा है?

फार्मा कंपनियों के अलावा रिसर्च संस्थानों पर भी खतरा है। पिछले दिनों अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी पर भी अटैक हुआ। ब्रिटेन, कनाडा के रिसर्च सेंटर पर भी हमले हुए। इन्हें ब्रिटिश एजेंसी ने पकड़ा है।

Q. साइबर अटैक के अलावा और क्या?

डार्क नेट पर हैकर ग्रुप वैक्सीन डेटा को हैक करने के लिए बोलियां लगा रहे हैं। इसके लिए अरबों रुपए की बोली लग रही है। यूरोपियन बायोटेक कंपनियों ने तो रिसर्च सुरक्षित रखने के लिए लैब और रिसर्च सेंटर से कनेक्टिविटी काट दी है।

तो क्या आम आदमी पर भी खतरा है? : कोरोना के बहाने आम आदमी का डेटा चुराने के भी मामले सामने आए हैं। गूगल के थ्रेट एनालिसिस ग्रुप की स्टडी में बताया गया है कि कोरोना काल में हर दिन जी-मेल के माध्यम से 1.5 करोड़ लोगो को वायरस भेजा जा रहा है। रोजाना 24 करोड़ मैसेज कोविड से संबंधित स्पैम मेसेज भेजे जा रहे हैं।

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फाइल फोटो