(इसाबेला क्वाई) अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सुपर एंजाइम बनाया है, जाे प्लास्टिक से बनी हर तरह की बाेतलाें काे रिसाइकिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इससे प्लास्टिक जैसे सख्त पदार्थ काे छह गुना तेजी से रिसायकिल किया जा सकता है। चूंकि इसकी लागत बहुत कम है इसलिए इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाया जाएगा।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस खोज से प्लास्टिक प्रदूषण संकट से निपटने की दिशा में बड़ी सफलता मिल सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ वाॅशिंगटन के कैमेस्ट्री के प्राेफेसर जिम फेंडनर का कहना है कि यह वास्तव में उत्साहवर्धक प्रयाेग है, क्याेंकि हर साल करीब 36 कराेड़ टन प्लास्टिक दुनियाभर में पैदा हाेता है। इसमें से 15 कराेड़ टन जमीन पर ही पड़ा रह जाता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि समुद्र में भी प्लास्टिक 450 सालाें तक जस का तस पड़ा रह सकता है और माइक्राेप्लास्टिक के ताैर पर टूट-टूटकर यह पानी में मछलियाें और अन्य जंतुओं में प्रवेश कर जाता है।
मछलियाें और अन्य जंतुओं के जरिए यह माइक्राेप्लास्टिक इंसानाें के शरीर में आ जाता है जिससे कई तरह की गंभीर बीमारियां पैदा हाे रही हैं। इधर, ब्रिटेन के सेंटर फॉर एंजाइम इनोवेशन के निदेशक प्रोफेसर जॉन मैकगीहन का कहना है कि सुपर-एंजाइम कुछ ही दिनों में प्लास्टिक को उसकी मूल सामग्री में बदलने या ब्लॉक बनाने में सक्षम है। यह एंजाइम एक तरह के बैक्टीरिया से उत्पन्न होता है। फिर भी प्लास्टिक के उत्पादन में कमी नहीं आई तो प्लास्टिक कचरे की मात्रा अगले 20 वर्षों में तिगुनी हो सकती है।
कैसे बना यह सुपर एंजाइम
2016 में जापान में बैक्टीरियम से 2 प्रकार के एंजाइम्स प्राप्त किए गए। इनमें से एक प्लास्टिक काे ताेड़ने में पूरी तरह सफल रहा। लेकिन, 2018 में वैज्ञानिकाें ने दाेनाें एंजाइम्स का इस्तेमाल एक साथ किया ताे इसके टूटने की रफ्तार 6 गुना बढ़ गई।
दुनिया में हर मिनट खरीदी जाती हैं पानी की 10 लाख बोतलें
दुनियाभर में हर मिनट पानी की 10 लाख प्लास्टिक बोतलें बिकती हैं और हर साल 5 लाख कराेड़ सिंगल यूज प्लास्टिक बैग का उपयोग होता है। प्लास्टिक के कुल उत्पाद में से आधे एक बार ही यूज किए जाते हैं ।