भले ही लड़ाई कर लेना, पिट जाना या पीट देना, लेकिन कभी भी बोलचाल बंद नहीं करनी चाहिे, क्योंकि बोलचाल बंद करने से सुलह के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं

जैन मुनि श्री तरुण सागर का जन्म 26 जून 1967 को हुआ था। जैन संत को कड़वे प्रवचनों की वजह से काफी प्रसिद्ध हुए थे। मुनि श्री तरुण सागर का बचपन का नाम पवन जैन था। जैन मुनि बनने के बाद उन्हें तरुण सागर के नाम से जाना जाने लगा। तरुण सागर महाराज की मृत्यु पीलिया बीमारी की वजह से 1 सितंबर 2018 को हुई थी।

जानिए मुनि श्री तरुण सागर के कुछ ऐसे विचार, जिन्हें अपनाने से हमारी सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं…

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