बैंक लोन लेने के लिए फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो, इसके 50% से ज्यादा होने प रिजेक्ट हो सकती है लोन एप्लीकेशन

जब हम बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक लोन देने से पहले कई बातों पर गौर करता है। इन्ही में से एक मुख्य बात होती है फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR)। इससे पता चलता है कि आप हर महीने लोन की कितने रुपए तक की किस्त दे सकते हैं।

हाई FOIR से होगी दिक्‍कत
फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR) से पता चलता है कि‍ आपकी पहले से जा रही ईएमआई, घर का कि‍राया, बीमा पॉलि‍सी और अन्‍य भुगतान मौजूदा आय का कि‍तना फीसदी है। अगर लोन दाता को आपके ये सभी खर्च आपकी सैलरी के 50% तक लगते हैं तो वह आपकी लोन एप्‍लि‍केशन को रि‍जेक्‍ट कर सकते है। इसीलिए यह ध्यान भी रखें की लोन की रकम इससे ज्यादा न हो।

इसे उदाहरण से समझें
मान लीजिए आप पहले से ही 10 हजार महीने की होम लोन की किस्त चुका रही हैं। अगर यह मान लें कि उनकी सैलरी 30 हजार है जिसके हिसाब से उसकी मासिक देनदारी कुल वेतन के 33 फीसदी पर है। अगर इसके बाद कोई बैंक उन्हें लोन देता है तो यह ध्यान रखता है कि आपका कुल FOIR 50 फीसदी से अधिक न हो। यानी आपको उतना ही लोन दिया जाएगा जो उसके बचे हुए 17 फीसदी के हिसाब से होगा। आम तौर पर बैंक ये मानती हैं कि कोई भी व्यक्ति अपनी मासिक आय का 50 फीसदी से ज्यादा की EMI नहीं दे सकता।

क्या रहेगा कैलकुलेशन?
आप अभी 10 हजार महीना क़िस्त दे रहे हैं जो आपकी सैलरी जो 30 हजार की 33 फीसदी है। ऐसे में बैंक आएगा कि आप 15 हजार तक की किस्त भर सकती हैं क्योंकि आपको अपनी सैलरी का आधा पैसा अपना खर्च चलाने के लिए भी चाहिए रहेगा। ऐसे में अगर आप 10 लाख का लोन 10 फीसदी पर 10 साल के लिए लेना चाहेंगे तो बैंक ऐसे रिजेक्ट कर देगा। क्योंकि इसकी मासिक किस्त 6,608 रुपए रहेगी। इससे आपकी कुल मासिक देनदारी 16,608 (10000+6608) रुपए हो जाएगी, जो 15 हजार और 50 फीसदी FOIR से ज्यादा हो जाएगा। FOIR 55.36 पर पहुंच जाएगा। इस कारण लोन रिजेक्ट हो सकता है।

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फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो (FOIR) से पता चलता है कि‍ आपकी पहले से जा रही ईएमआई, घर का कि‍राया, बीमा पॉलि‍सी और अन्‍य भुगतान मौजूदा आय का कि‍तना फीसदी है